7th Pay Commission : सरकारी नौकरी करने वालों के लिए 7वें वेतन आयोग के तहत कई बड़े बदलाव समय-समय पर होते रहते हैं। इन बदलावों में कर्मचारियों के वेतन, भत्ते और काम के नियमों में फेरबदल शामिल होता है। अब जो नया अपडेट सामने आया है, वह सीधे-सीधे नौकरी की स्थिरता से जुड़ा है। दरअसल, केंद्र सरकार ने एक ऐसा नियम स्पष्ट किया है जिसके तहत अगर कोई सरकारी कर्मचारी बिना अनुमति के लंबे समय तक छुट्टी पर रहता है, तो उसकी नौकरी पर सीधा असर पड़ सकता है।
यह नियम पुराने सर्विस रूल्स का ही हिस्सा है, लेकिन अब इसकी पुनः पुष्टि करते हुए केंद्र सरकार ने साफ कर दिया है कि अगर कोई कर्मचारी लगातार तय अवधि से ज्यादा गैरहाजिर रहता है, तो उसकी सेवा को बिना किसी सुनवाई के समाप्त किया जा सकता है। इस फैसले का असर लाखों सरकारी कर्मचारियों पर पड़ सकता है और इसीलिए यह जरूरी है कि सभी कर्मचारियों को इस बारे में पूरी जानकारी हो।
क्या कहता है CCS नियम और सरकार की गाइडलाइन
केंद्र सरकार ने यह आदेश Central Civil Services (Leave) Rules के तहत दोबारा स्पष्ट किया है। इसमें कहा गया है कि अगर कोई सरकारी कर्मचारी 90 दिनों से ज्यादा लगातार बिना अनुमति के ड्यूटी से गैरहाजिर रहता है, तो उसे “डिजॉइन” समझा जाएगा। इसका सीधा मतलब यह होता है कि उसे सेवा से स्वैच्छिक रूप से अलग हुआ मान लिया जाएगा और उसके खिलाफ विभागीय कार्रवाई के बजाय सीधे टर्मिनेशन कर दिया जाएगा।
इस आदेश में यह भी जोड़ा गया है कि विभाग प्रमुख या सक्षम अधिकारी को ऐसे मामलों में कर्मचारी से जवाब मांगने की जरूरत नहीं है, अगर यह साफ हो कि कर्मचारी ने जानबूझकर ड्यूटी से दूरी बनाई है। यह प्रावधान पहले से था, लेकिन अब इसे और अधिक सख्ती से लागू करने की बात कही गई है। खासतौर पर उन मामलों में जहां कर्मचारी छुट्टी के बाद बिना सूचना के अपनी पोस्ट पर नहीं लौटते हैं।
अभी तक कैसे होती थी कार्रवाई और अब क्या बदलेगा
अब तक अगर कोई कर्मचारी लंबे समय तक बिना बताए छुट्टी पर रहता था, तो उसके खिलाफ विभागीय जांच बैठती थी। जांच के दौरान कारण पूछा जाता था और फिर सेवा शर्तों के अनुसार अनुशासनात्मक कार्रवाई की जाती थी। इस प्रक्रिया में लंबा वक्त लगता था और कई बार कर्मचारी बहाल भी हो जाते थे।
लेकिन अब नए सख्त आदेश के तहत ऐसे मामलों को लंबा नहीं खींचा जाएगा। अगर कोई 90 दिन या उससे ज्यादा समय तक ड्यूटी पर नहीं आता है, और उसने छुट्टी की अनुमति नहीं ली है, तो उसे ‘डिसमिस’ किया जा सकता है। यह नियम न सिर्फ सख्त है, बल्कि यह कर्मचारियों के मन में यह भी साफ करता है कि नौकरी की सुरक्षा तभी तक है जब तक आप अपनी ड्यूटी को गंभीरता से निभा रहे हैं।
छुट्टी से जुड़े अन्य नियम और छुट्टी लेने की प्रक्रिया
सरकारी सेवा में छुट्टी लेना कोई अपराध नहीं है, बल्कि यह एक कर्मचारी का अधिकार होता है। लेकिन यह छुट्टी तभी वैध मानी जाती है जब उसे विभाग प्रमुख या संबंधित अधिकारी से पूर्व अनुमति ली गई हो। अगर कोई कर्मचारी बीमार है या व्यक्तिगत कारणों से छुट्टी लेना चाहता है, तो उसे समय पर आवेदन देना होता है।
बिना सूचना के गायब रहना, खासतौर पर तब जब छुट्टी का आवेदन भी नहीं दिया गया हो, इसे ड्यूटी से भागना माना जाता है। और जब यह अवधि बढ़ती चली जाती है, तो विभाग इसे ‘अनुशासनहीनता’ का मामला मान लेता है। इसलिए जरूरी है कि किसी भी परिस्थिति में कर्मचारी अपने विभाग को सूचित करे और सभी छुट्टियों को लिखित रूप में स्वीकृत कराए।
नौकरी की सुरक्षा के लिए ज़रूरी है समय पर रिपोर्टिंग
सरकारी नौकरी में जितनी सुविधा होती है, उतनी ही जिम्मेदारी भी होती है। 7वें वेतन आयोग के बाद जहां वेतन और भत्तों में सुधार हुआ है, वहीं काम को लेकर जवाबदेही भी बढ़ी है। ऐसे में अगर कोई कर्मचारी अपनी ड्यूटी को गंभीरता से नहीं लेता और बिना कारण लंबे समय तक छुट्टी पर रहता है, तो सरकार अब उसे बर्दाश्त करने के मूड में नहीं है।
केंद्र सरकार की यह नई गाइडलाइन उन सभी कर्मचारियों के लिए चेतावनी है जो बिना बताए गैरहाजिर रहते हैं। अब यह सोचना बंद करना होगा कि विभागीय प्रक्रिया बहुत लंबी चलेगी और नौकरी बच जाएगी। आज के दौर में नौकरी का मूल्य और ज़िम्मेदारी दोनों समझना जरूरी है। इसलिए सभी कर्मचारियों को यह ध्यान रखना होगा कि अगर छुट्टी जरूरी है तो आवेदन देकर ही लें, वरना यह लापरवाही उनके करियर को खत्म कर सकती है।
👉 यह जानकारी उन सभी सरकारी कर्मचारियों से ज़रूर शेयर करें जो छुट्टी लेने के नियमों को हल्के में लेते हैं। नियमों को समझना और उनका पालन करना अब और भी ज़रूरी हो गया है।