7th Pay Commission: सरकारी नौकरी करने वालों के लिए अब एक और अच्छी खबर सामने आई है। 7वें वेतन आयोग के अंतर्गत केंद्र सरकार ने स्पेशल लीव (Special Leave) को लेकर नियमों में बड़ा बदलाव किया है। अब कर्मचारियों को न सिर्फ छुट्टी लेने में आसानी होगी, बल्कि कुछ खास परिस्थितियों में उन्हें अतिरिक्त छुट्टियों का भी लाभ मिलेगा। इस नई व्यवस्था के लागू होने के बाद लाखों केंद्रीय कर्मचारियों को सीधा फायदा मिलेगा।
जो कर्मचारी लंबे समय से कुछ खास कारणों से छुट्टी नहीं ले पा रहे थे या नियमों की वजह से छुट्टी रिजेक्ट हो जाती थी, उनके लिए ये बदलाव किसी वरदान से कम नहीं है। खासतौर पर महिलाएं, दिव्यांग कर्मचारी और गंभीर बीमारी से जूझ रहे लोग अब अधिक सुरक्षित और सहयोगी छुट्टी नीति के दायरे में आएंगे।
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सरकार ने क्यों किया छुट्टी के नियमों में बदलाव
बीते कुछ सालों से कई कर्मचारी संगठन सरकार से छुट्टियों को लेकर नीति में बदलाव की मांग कर रहे थे। उनका कहना था कि कुछ परिस्थितियों में जहां कर्मचारियों को छुट्टी की जरूरत होती है, वहां उन्हें नियमों के कारण छुट्टी नहीं मिल पाती। इससे न केवल मानसिक तनाव बढ़ता है बल्कि परिवार और सेहत पर भी असर पड़ता है।
सरकार ने इन सभी सुझावों और मांगों को गंभीरता से लेते हुए 7वें वेतन आयोग की सिफारिशों के अनुरूप छुट्टियों के नियमों में सुधार किया है। यह सुधार न सिर्फ मानवीय दृष्टिकोण से है बल्कि प्रशासनिक स्तर पर भी संतुलन बनाए रखने के लिए जरूरी था।
किन-किन मामलों में मिलेगी स्पेशल छुट्टी
सरकार द्वारा जारी नए आदेश के अनुसार अब गंभीर बीमारी, मानसिक तनाव, देखभाल की जिम्मेदारी, दिव्यांगता, और महिलाओं से जुड़ी विशेष परिस्थितियों में कर्मचारी स्पेशल लीव का लाभ ले सकेंगे।
महिला कर्मचारियों को गर्भावस्था, प्रसव और देखभाल के लिए पहले ही मातृत्व अवकाश मिलता था, लेकिन अब इन अवकाशों को और व्यावहारिक और लचीला बनाया गया है। वहीं पुरुष कर्मचारियों के लिए भी अब पितृत्व अवकाश के साथ-साथ गंभीर स्थिति में स्पेशल लीव का प्रावधान जोड़ा गया है।
इसके अलावा अगर कोई कर्मचारी कैंसर, किडनी ट्रांसप्लांट, दिल की बीमारी जैसी जानलेवा बीमारी से ग्रस्त है, तो उसे लंबी अवधि की छुट्टी मिलेगी और उस दौरान वेतन में कोई कटौती नहीं की जाएगी।
छुट्टी लेने की प्रक्रिया को किया गया आसान
पहले स्पेशल छुट्टियों के लिए लंबी प्रक्रिया होती थी, जिसमें डॉक्टर का प्रमाण पत्र, मेडिकल बोर्ड की रिपोर्ट और विभागीय मंजूरी जैसे कई चरण होते थे। अब सरकार ने इस प्रक्रिया को सरल बनाते हुए कहा है कि यदि सरकारी अस्पताल या रजिस्टर्ड मेडिकल प्रैक्टिशनर द्वारा बीमारी प्रमाणित हो जाती है तो छुट्टी की मंजूरी जल्दी दी जाएगी।
नए नियमों के मुताबिक छुट्टी के आवेदन को एक समय सीमा में निपटाया जाएगा, ताकि कर्मचारी को अनिश्चितता में न रहना पड़े। इसके साथ ही सभी विभागों को यह भी निर्देश दिए गए हैं कि ऐसे मामलों में मानवीयता के आधार पर निर्णय लिया जाए।
कर्मचारियों की प्रतिक्रिया और लाभ
इस फैसले के बाद केंद्रीय कर्मचारियों के बीच खुशी की लहर है। बहुत से कर्मचारियों का कहना है कि यह फैसला उनकी व्यक्तिगत और पारिवारिक ज़रूरतों को समझने और मानने की दिशा में एक बड़ा कदम है।
जिन कर्मचारियों के घर में कोई बीमार है या जिनके खुद की तबीयत ठीक नहीं रहती, उनके लिए ये नियम वरदान साबित होंगे। अब उन्हें छुट्टी को लेकर डर नहीं होगा कि कहीं नौकरी पर असर पड़ेगा या वेतन कट जाएगा। यूनियनों ने भी सरकार के इस फैसले की तारीफ की है और इसे कर्मचारियों की भलाई के लिए जरूरी बताया है।
फैसले का असर भविष्य में भी दिखेगा
इस फैसले से एक बात और भी साफ हो गई है कि सरकार अब कर्मचारियों की जरूरतों को केवल नियमों के आधार पर नहीं बल्कि व्यावहारिक और मानवीय दृष्टिकोण से भी देख रही है। आने वाले समय में ऐसी और नीतियों की उम्मीद की जा सकती है जो कर्मचारियों को मानसिक, सामाजिक और पारिवारिक स्तर पर मजबूत बनाएं।
कर्मचारियों को भी चाहिए कि वे इन छुट्टियों का दुरुपयोग न करें और सही कारणों से ही इनका लाभ लें। क्योंकि जब कर्मचारी और सरकार दोनों जिम्मेदारी से काम करेंगे, तभी प्रशासनिक तंत्र मजबूत होगा और लोगों को बेहतर सेवाएं मिल सकेंगी।