Home Loan EMI : आज के समय में ज़्यादातर लोग अपने सपनों का घर खरीदने के लिए होम लोन का सहारा लेते हैं। महीने दर महीने बैंक को EMI भरते हैं और यह जिम्मेदारी निभाना हर उधार लेने वाले की प्राथमिकता होती है। लेकिन जब जिंदगी में अचानक कोई बड़ा खर्च आ जाए, नौकरी चली जाए या किसी वजह से आर्थिक संकट आ जाए, तो EMI चूकने की नौबत आ सकती है। बहुत से लोग नहीं जानते कि ऐसी स्थिति में बैंक कैसे रिएक्ट करता है। क्या एक ही बार में बैंक कार्रवाई कर देता है? क्या घर जब्त हो सकता है?
हाल ही में बैंकों और वित्तीय संस्थानों की ओर से जारी दिशानिर्देशों के अनुसार, अगर कोई व्यक्ति होम लोन की EMI समय पर नहीं चुका पाता है, तो उसे कुल चार बार तक मौका मिलता है। लेकिन अगर पांचवीं बार भी EMI नहीं भरी जाती, तो बैंक सख्त कदम उठाने का पूरा हक रखता है। इस फैसले के बाद लोन लेने वालों के लिए यह जरूरी हो गया है कि वे EMI चूकने की स्थिति में पहले से तैयार रहें और सभी नियमों को जान लें।
EMI बाउंस होने पर बैंक की शुरुआती प्रक्रिया
जब पहली बार आपकी EMI चूकती है या खाते में बैलेंस नहीं होता तो बैंक तुरंत उस ट्रांजैक्शन को फेल मानता है और आपके मोबाइल नंबर या ईमेल पर एक रिमाइंडर भेजता है। इसके साथ ही आपसे ₹500 से ₹1000 तक की पेनाल्टी ली जाती है। बैंक यह मानता है कि यह एक अस्थायी गलती है और ग्राहक अगली बार समय पर भुगतान कर देगा। यदि दूसरी या तीसरी बार ऐसा होता है तो बैंक फिर से रिमाइंडर भेजता है और आपको खुद से संपर्क करने का सुझाव देता है। इस दौरान बैंक आपकी क्रेडिट रिपोर्ट पर भी नज़र रखता है, और हर बार EMI बाउंस होने पर आपका CIBIL स्कोर प्रभावित होता है।
यदि चौथी बार तक भी आप ईएमआई नहीं भर पाते हैं, तब बैंक आपके खाते को ‘watchlist’ में डाल देता है यानी अब आप पर बारीकी से निगरानी रखी जाती है। इस स्तर पर बैंक आपको बार-बार फोन करता है, नोटिस भेजता है और यह सुनिश्चित करता है कि आप जानबूझकर चूक तो नहीं कर रहे हैं। बैंक समझता है कि वित्तीय संकट अस्थायी हो सकता है, इसलिए आपको इन चार बार तक सुधार का मौका दिया जाता है।
पांचवीं बार चूकने पर बैंक लेता है सख्त एक्शन
अगर आप पांचवीं बार भी EMI नहीं भरते, तो बैंक के पास कानूनी तौर पर यह अधिकार होता है कि वह आपके खिलाफ सख्त कार्रवाई करे। बैंक आपको लीगल नोटिस भेजता है जिसमें आपको 60 दिन का समय दिया जाता है कि आप बकाया रकम चुका दें। अगर आप तय समय में भुगतान नहीं करते हैं, तो बैंक SARFAESI Act 2002 के तहत आपकी प्रॉपर्टी की जब्ती प्रक्रिया शुरू कर सकता है।
बिना कोर्ट जाए ही बैंक आपके घर को जब्त कर सकता है, और फिर अखबार में नीलामी की सूचना देकर घर बेचने की प्रक्रिया चालू की जाती है। ये स्थिति तब और भी खराब हो जाती है जब घर की नीलामी में पूरी रकम वसूल नहीं होती, और बाकी की राशि भी आपसे ही मांगी जाती है। इससे न सिर्फ आपकी प्रॉपर्टी जाती है, बल्कि भविष्य में किसी भी प्रकार का लोन लेना भी मुश्किल हो जाता है क्योंकि आपकी क्रेडिट हिस्ट्री खराब हो जाती है।
लोन लेने वालों के पास क्या विकल्प रहते हैं
अगर आप जानते हैं कि अगली किस्त नहीं भर पाएंगे, तो सबसे पहले बैंक से खुद संपर्क करें। बैंक को अपनी आर्थिक स्थिति के बारे में साफ-साफ बताएं और उनसे लोन री-स्ट्रक्चरिंग, मोराटोरियम या EMI डिफरमेंट जैसी सुविधाओं के बारे में बात करें।
बैंक कभी भी सीधे घर नहीं छीन लेता, अगर आप समय पर बात करें और नीयत साफ हो। कई बार बैंक आपके EMI को कुछ समय के लिए स्थगित कर सकता है, या आपकी मासिक किस्त को घटाकर अवधि बढ़ा सकता है। यह सब बैंक की आंतरिक नीति और आपके ट्रैक रिकॉर्ड पर निर्भर करता है। लेकिन याद रखें कि यह सुविधा सिर्फ उन्हीं लोगों को मिलती है जो खुद आगे आकर बैंक से बात करते हैं, न कि उन लोगों को जो बैंक के नोटिस का जवाब भी नहीं देते।
क्रेडिट स्कोर और भविष्य की प्लानिंग पर असर
हर EMI बाउंस आपके CIBIL स्कोर पर असर डालता है और 50 से 100 पॉइंट तक गिरावट ला सकता है। अगर आप लगातार 5 बार EMI नहीं भरते हैं तो यह रिकॉर्ड 7 साल तक आपकी क्रेडिट रिपोर्ट में दर्ज रहेगा। इससे भविष्य में आप पर्सनल लोन, क्रेडिट कार्ड या किसी भी तरह के फाइनेंस के लिए अयोग्य हो सकते हैं।
सिर्फ यही नहीं, कंपनियां भी अब जॉब देने से पहले क्रेडिट रिपोर्ट देखती हैं। ऐसे में एक छोटी चूक आपका करियर तक प्रभावित कर सकती है। इसलिए होम लोन लेने से पहले खुद का बजट देखें और EMI सेट करते वक्त यह ध्यान रखें कि आपकी मासिक आमदनी में से किस्त निकलना आसान हो।