Tenant Rights : आज के दौर में जहां हर चीज़ की कीमत बढ़ रही है, वहीं किराए के मकानों में रहने वाले लोग भी अक्सर एक चिंता में रहते हैं – कहीं मकान मालिक अचानक किराया न बढ़ा दे। कई बार तो ऐसा होता भी है, जब बिना कोई जानकारी दिए या लिखित सहमति के ही मकान मालिक किराया बढ़ा देता है और किराएदार मजबूरी में मान लेता है। लेकिन क्या आपको पता है कि किराया बढ़ाने के भी नियम हैं, और बतौर किराएदार आपके पास कानूनी अधिकार होते हैं? अगर आप इन नियमों को जान लेंगे तो कोई भी आपको बेवजह परेशान नहीं कर पाएगा।
भारत के ज्यादातर बड़े शहरों और कस्बों में किराए पर रहने वाले लोगों की तादाद दिन-ब-दिन बढ़ रही है। नौकरी, पढ़ाई, ट्रांसफर या परिवार से दूर काम करने के कारण बहुत से लोग किराए के मकानों में रहते हैं। लेकिन बहुत से किराएदारों को यह नहीं पता होता कि किराया कब और कैसे बढ़ाया जा सकता है और इसके लिए क्या नियम हैं। इसी जानकारी की कमी का फायदा उठाकर कई बार मकान मालिक मनमर्जी करते हैं। लेकिन अब वक्त है कि किराएदार भी अपने अधिकारों को समझें और गलत चीजों के खिलाफ खड़े हों।
किराया बढ़ाने का नियम और समयसीमा
मकान मालिक अगर किराया बढ़ाना चाहता है तो वह कोई भी मनचाही तारीख तय नहीं कर सकता। Rent Control Act के तहत हर राज्य में किराया बढ़ाने के अलग-अलग नियम होते हैं, लेकिन ज्यादातर जगहों पर यह प्रावधान है कि किराया साल में एक बार से ज्यादा नहीं बढ़ाया जा सकता। और वो भी तब जब आपके और मकान मालिक के बीच किरायानामा यानी रेंट एग्रीमेंट हो।
किरायानामे में यह साफ लिखा होना चाहिए कि किराया कितने समय के बाद बढ़ेगा और कितने प्रतिशत तक बढ़ाया जा सकता है। आमतौर पर 5 से 10 प्रतिशत की बढ़ोतरी हर 11 महीने बाद मान्य होती है। अगर ऐसा कोई एग्रीमेंट नहीं है, तो मकान मालिक को पहले एक माहपूर्व नोटिस देना होता है और दोनों पक्षों की सहमति के बाद ही किराया बढ़ सकता है।
किराएदार के कानूनी अधिकार और सुरक्षा
किराएदार को कानूनी रूप से यह अधिकार है कि कोई भी मकान मालिक उसे अचानक से मकान खाली करने को नहीं कह सकता जब तक कि कोई वैध कारण ना हो। यदि आप समय पर किराया दे रहे हैं, प्रॉपर्टी का सही रख-रखाव कर रहे हैं और किसी अवैध काम में शामिल नहीं हैं, तो मकान मालिक को आपको घर से निकालने का कानूनी हक नहीं है।
इसके अलावा, अगर मकान मालिक किराया बढ़ा रहा है, तो वह इसे बिना लिखित सूचना के नहीं कर सकता। हर राज्य में Rent Control Act के तहत किराएदार को सुरक्षा दी गई है। यदि मकान मालिक कोई गलत दबाव बनाता है या जबरन किराया बढ़ाने की कोशिश करता है, तो किराएदार संबंधित किराया न्यायालय में केस कर सकता है और वहां से राहत पा सकता है।
रेंट एग्रीमेंट की भूमिका और जरूरी बातें
हर किराएदार को चाहिए कि वह लिखित किरायानामा बनाए और उसमें स्पष्ट रूप से किराया, जमा राशि (सिक्योरिटी डिपॉजिट), समयावधि, किराया बढ़ोतरी की शर्तें, और नोटिस पीरियड को दर्ज कराए। यह एग्रीमेंट मकान मालिक और किराएदार – दोनों की सुरक्षा करता है और भविष्य में किसी भी विवाद से बचाता है।
अगर किरायानामा नहीं होता तो कोई भी पक्ष दूसरे पर गलत आरोप लगा सकता है। और कई बार मकान मालिक इसी का फायदा उठाकर किराएदार पर अनावश्यक दबाव बना देता है। इसलिए चाहे आप 6 महीने के लिए मकान ले रहे हों या 2 साल के लिए, हमेशा रेंट एग्रीमेंट बनवाएं और उसे स्टाम्प पेपर पर पंजीकृत कराएं।
किराए में मनमानी बढ़ोतरी या तंग करने पर समाधान
अगर कोई मकान मालिक बार-बार किराया बढ़ाने की धमकी दे रहा है, या किराए न बढ़ाने पर सुविधाएं बंद करने की कोशिश करता है, जैसे पानी, बिजली या पार्किंग आदि – तो यह पूरी तरह से अवैध है।
किराएदार के पास यह अधिकार होता है कि वह ऐसे किसी भी मामले में स्थानीय रेंट अथॉरिटी या उपभोक्ता फोरम में शिकायत दर्ज करा सके। इसके अलावा, अगर किसी किराएदार के साथ भेदभाव हो रहा हो – जैसे जाति, धर्म या पेशे के आधार पर – तो वह भी कानूनी रूप से गलत है और उसके खिलाफ एक्शन लिया जा सकता है।