Ladakh News : केंद्र सरकार की तरफ से केंद्रशासित प्रदेश लद्दाख के लिए एक बड़ा फैसला लिया गया है। गृह मंत्रालय (MHA) ने अब लद्दाख के निवास प्रमाण पत्र (Domicile Tag) को लेकर नई नीति अधिसूचित की है। यह फैसला न केवल प्रशासनिक व्यवस्था को मजबूती देगा, बल्कि स्थानीय लोगों के अधिकारों और पहचान को भी स्पष्ट करेगा।
लद्दाख को जम्मू-कश्मीर से अलग करके 2019 में एक अलग केंद्रशासित प्रदेश बनाया गया था, लेकिन तब से यहां डोमिसाइल को लेकर स्पष्ट नीति नहीं थी। अब लगभग पांच साल बाद, MHA की तरफ से यह स्पष्ट किया गया है कि किसे “लद्दाख निवासी” माना जाएगा और कौन इस टैग के तहत लाभ उठा सकेगा।
स्थानीय पहचान को मजबूत करने की दिशा में कदम
यह फैसला लंबे समय से लद्दाख के लोगों की मांग रही है। वहां के छात्र, सरकारी नौकरी के उम्मीदवार और आम नागरिक लंबे समय से इस बात को लेकर परेशान थे कि उनके पास “स्थायी निवासी” होने का कोई स्पष्ट कानूनी प्रमाण नहीं था।
गृह मंत्रालय ने जो नीति जारी की है, उसके तहत अब यह तय कर दिया गया है कि कौन-कौन से लोग लद्दाख का डोमिसाइल टैग हासिल कर सकते हैं। इसके लिए प्रशासन ने साफ तौर पर शर्तें और पात्रता तय कर दी हैं, जिससे अब किसी भी प्रकार का भ्रम नहीं रहेगा।
अब यह टैग सरकारी नौकरियों, शैक्षणिक संस्थानों में दाखिले, स्थानीय योजनाओं और अन्य प्रशासनिक लाभों के लिए अनिवार्य होगा। इससे स्थानीय लोगों को संरक्षण मिलेगा और बाहरी लोगों की घुसपैठ से बचाव होगा।
किन्हें मिलेगा डोमिसाइल टैग
MHA के नोटिफिकेशन के अनुसार, जो लोग लद्दाख में स्थायी रूप से 15 साल या उससे अधिक समय से रह रहे हैं, वे इस डोमिसाइल टैग के योग्य माने जाएंगे। इसके अलावा, जिनके माता-पिता या दादा-दादी ने लद्दाख में जन्म लिया हो या यहां की सरकारी सेवाओं में काम किया हो, वे भी इस दायरे में आएंगे।
इसके अलावा, लद्दाख में स्थायी रूप से बसे तिब्बती शरणार्थियों को भी इस नीति में शामिल किया गया है। यानी जो तिब्बती समुदाय के लोग पिछले लंबे समय से लद्दाख में रह रहे हैं, उन्हें भी स्थानीय माना जाएगा। यह फैसला एक बड़ी राहत की तरह देखा जा रहा है क्योंकि अब तक उनके कानूनी दर्जे को लेकर असमंजस था।
स्थानीय रोजगार और शिक्षा में मिलेगा सीधा लाभ
डोमिसाइल टैग लागू होने से लद्दाख के युवाओं को सबसे बड़ा फायदा सरकारी नौकरियों और कॉलेजों में आरक्षण के रूप में मिलेगा। अब जो लोग स्थानीय निवासी माने जाएंगे, उन्हें प्राथमिकता मिलेगी।
सरकारी संस्थाओं में भर्ती के समय यह टैग एक अहम दस्तावेज होगा, जिससे बाहरी राज्यों से आकर नौकरी मांगने वालों को रोका जा सकेगा। यह निर्णय क्षेत्रीय बेरोजगारी की समस्या को कम करने की दिशा में एक सकारात्मक कदम है।
इसके अलावा, स्थानीय यूनिवर्सिटी और अन्य शिक्षण संस्थानों में डोमिसाइल वाले छात्रों को सीटें आरक्षित की जाएंगी, जिससे उन्हें प्रतिस्पर्धा में बराबरी का मौका मिल सके। लद्दाख के लोग लंबे समय से इसकी मांग कर रहे थे क्योंकि बाहरी छात्रों के आने से उनकी सीटें छिन जाती थीं।
स्थानीय संगठनों ने फैसले का किया स्वागत
लद्दाख की प्रमुख सामाजिक और धार्मिक संस्थाओं ने इस फैसले का स्वागत किया है। खासकर लद्दाख बौद्ध एसोसिएशन और मुस्लिम कोऑर्डिनेशन कमिटी ने सरकार के इस कदम को ऐतिहासिक बताया है। उनका कहना है कि इससे लद्दाख की सांस्कृतिक पहचान और जनसंख्या संरचना को बचाया जा सकेगा।
उन्होंने यह भी कहा कि सरकार को अब अगला कदम उठाकर लद्दाख को संविधान की धारा 6 के तहत स्थायी निवास का संवैधानिक दर्जा देना चाहिए, जिससे आगे चलकर कोई कानूनी विवाद न हो।
हालांकि कुछ लोगों ने चिंता भी जताई है कि डोमिसाइल जारी करने की प्रक्रिया पारदर्शी होनी चाहिए, ताकि गलत तरीके से कोई बाहरी व्यक्ति इसका लाभ न ले पाए।
लद्दाख के लिए यह क्यों है निर्णायक मोड़
लद्दाख जैसे सीमावर्ती और संवेदनशील इलाके में डोमिसाइल टैग का स्पष्ट होना बहुत जरूरी था। यहां की भौगोलिक स्थिति, जनसंख्या का संतुलन और सांस्कृतिक विविधता इसे बाकी राज्यों से अलग बनाती है।
अब जब डोमिसाइल नीति लागू हो चुकी है, तो यह उम्मीद की जा रही है कि इससे प्रशासनिक पारदर्शिता, स्थानीय पहचान की रक्षा और सामाजिक संतुलन बेहतर होगा। इसके साथ ही केंद्र सरकार का यह कदम बताता है कि लद्दाख के विकास के साथ-साथ वहां के लोगों की भावनाओं को भी बराबरी का महत्व दिया जा रहा है।