Electric Vehicle Import Tax

नई EV नीति में बड़ा बदलाव, अब विदेशी इलेक्ट्रिक कारें मिलेंगी सस्ती, जानिये क्या हे पूरा मामला : Electric Vehicle Import Tax

Electric Vehicle Import Tax: अगर आप भी लंबे समय से इलेक्ट्रिक कार खरीदने का सपना देख रहे थे लेकिन विदेशी गाड़ियों की कीमतें देखकर रुक जाते थे, तो अब आपको खुश होने का मौका मिल गया है। भारत सरकार ने एक ऐसा फैसला लिया है जिसने देश के ऑटो सेक्टर में हलचल मचा दी है। नई EV (Electric Vehicle) नीति के तहत भारत सरकार ने विदेशी इलेक्ट्रिक गाड़ियों पर लगने वाला आयात शुल्क 110% से घटाकर अब सिर्फ 15% कर दिया है।

 

ये बदलाव न सिर्फ भारत में EV सेक्टर को मजबूती देगा, बल्कि देश के आम ग्राहकों को भी ज्यादा ऑप्शन और बेहतर टेक्नोलॉजी वाली गाड़ियां सस्ते में मिल सकेंगी। इससे बाजार में कम्पटीशन बढ़ेगा और भारतीय कंपनियों को भी क्वालिटी सुधारने का दबाव रहेगा।

नई नीति का उद्देश्य और सरकार की सोच

सरकार का मुख्य उद्देश्य है कि भारत को 2030 तक एक बड़ा EV मार्केट बनाया जाए और ज्यादा से ज्यादा लोग इलेक्ट्रिक गाड़ियों की तरफ शिफ्ट करें। इसके लिए जरूरी था कि अच्छी क्वालिटी और टेक्नोलॉजी वाली गाड़ियां बाजार में उपलब्ध हों।

अब तक जो विदेशी EV कंपनियां भारत में अपने प्रोडक्ट लाना चाहती थीं, उन्हें 100% से ज्यादा का इम्पोर्ट ड्यूटी देना पड़ता था, जिससे उनकी गाड़ियां बहुत महंगी हो जाती थीं। अब 15% ड्यूटी के साथ ये कंपनियां भारत में अपनी गाड़ियां सस्ती दरों पर बेच पाएंगी। इससे लोगों को बजट में अच्छे फीचर्स और लंबी रेंज वाली गाड़ियां मिल सकेंगी।

 

विदेशी कंपनियों को मिलेगा भारत आने का मौका

इस फैसले से सबसे ज्यादा फायदा उन विदेशी इलेक्ट्रिक व्हीकल कंपनियों को होगा जो अब तक सिर्फ इसलिए भारत नहीं आ पा रही थीं क्योंकि यहां टैक्स स्ट्रक्चर बहुत कठोर था। Tesla, BYD, VinFast जैसी कंपनियां अब भारत में अपना प्रोडक्शन शुरू करने की तैयारी में हैं।

सरकार ने यह भी शर्त रखी है कि जो भी कंपनी इस रियायती इम्पोर्ट ड्यूटी का लाभ लेना चाहती है, उसे 3 साल के अंदर भारत में मैन्युफैक्चरिंग यूनिट शुरू करनी होगी और कम से कम 500 मिलियन डॉलर का निवेश करना होगा। इससे ‘Make in India’ को भी बढ़ावा मिलेगा और नई नौकरियों के अवसर पैदा होंगे।

देश के ग्राहक और बाजार पर असर

अब जब विदेशी गाड़ियां सस्ती दर पर उपलब्ध होंगी, तो भारतीय ग्राहकों को बेहतरीन विकल्प मिलेंगे। अभी तक जो इलेक्ट्रिक कारें भारत में बिकती थीं, उनमें से ज्यादातर एंट्री लेवल या सीमित रेंज वाली होती थीं। लेकिन अब ग्राहक अपनी जरूरत और बजट के हिसाब से लंबी रेंज, फास्ट चार्जिंग और बेहतर परफॉर्मेंस वाली गाड़ियां चुन सकेंगे।

 

इससे पूरे EV बाजार में एक नई प्रतिस्पर्धा शुरू होगी जिससे इंडियन कंपनियों जैसे टाटा मोटर्स, महिंद्रा, MG, ओला इलेक्ट्रिक को भी अपने प्रोडक्ट को और बेहतर बनाना पड़ेगा। ये ग्राहकों के लिए बेहद फायदेमंद साबित होगा।

लोकल मैन्युफैक्चरिंग को भी मिलेगा बूस्ट

सरकार ने यह पूरी योजना इस तरह से तैयार की है कि विदेशी कंपनियां भारत में सिर्फ बेचें नहीं, बल्कि यहां का हिस्सा बनें। जैसे ही ये कंपनियां भारत में फैक्ट्री लगाएंगी, यहां के लोगों को रोजगार मिलेगा, लोकल वेंडर और सप्लायर एक्टिव होंगे और भारत ग्लोबल EV सप्लाई चेन का हिस्सा बन पाएगा।

उदाहरण के तौर पर अगर Tesla भारत में यूनिट लगाता है, तो यहां की कई छोटी और मिड साइज कंपनियों को बैटरी, मोटर, सेंसर और अन्य पार्ट्स सप्लाई करने का मौका मिलेगा। इससे अर्थव्यवस्था पर पॉजिटिव असर होगा और भारत धीरे-धीरे EV मैन्युफैक्चरिंग हब बन सकता है।

चुनौतियां अब भी बाकी हैं

हालांकि यह कदम बहुत सकारात्मक है, लेकिन कुछ चुनौतियां अब भी बनी हुई हैं। सबसे बड़ी समस्या है EV चार्जिंग इंफ्रास्ट्रक्चर की। जब ज्यादा लोग EV खरीदेंगे, तो उन्हें चार्ज करने की सुविधा भी उतनी ही जरूरी होगी।

 

इसके अलावा कुछ एक्सपर्ट्स का मानना है कि इससे इंडियन कंपनियों को तगड़ा कॉम्पिटिशन मिलेगा और उन्हें समय रहते टेक्नोलॉजी और सर्विस को अपग्रेड करना पड़ेगा। सरकार को चाहिए कि वह लोकल कंपनियों को R&D के लिए सब्सिडी और टैक्स बेनिफिट दे ताकि वे ग्लोबल लेवल पर टिक सकें।

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