bank cheque bounce

चेक बाउंस पर भुगतान के लिए मिलता है सिर्फ इतने ही दिन का समय, जानें पूरा नियम: bank cheque bounce

bank cheque bounce: आज के समय में चेक से भुगतान करना एक आम प्रक्रिया है। कई लोग अपने रोज़मर्रा के लेनदेन, व्यापार या उधारी में चेक का इस्तेमाल करते हैं। लेकिन अगर यही चेक बाउंस हो जाए यानी खाते में पैसे न होने की वजह से या किसी अन्य कारण से बैंक चेक को रिजेक्ट कर दे, तो देने वाले के लिए ये मुसीबत का कारण बन सकता है।

ऐसे में यह जानना बेहद जरूरी है कि चेक बाउंस होने पर कानून क्या कहता है, और चेक जारी करने वाले को कितना समय मिलता है भुगतान करने के लिए ताकि वह कानूनी कार्रवाई से बच सके।

क्या होता है चेक बाउंस और इसके कारण

जब कोई व्यक्ति चेक जारी करता है और वह बैंक में जमा करने पर अस्वीकार हो जाता है, तो उसे चेक बाउंस कहा जाता है। इसका सबसे आम कारण होता है खाते में पर्याप्त राशि न होना।

इसके अलावा हस्ताक्षर मेल न खाना, तकनीकी गड़बड़ी या ओवरराइटिंग जैसे कारण भी हो सकते हैं। लेकिन अगर चेक जानबूझकर बाउंस कराया गया है या पेमेंट देने की नीयत नहीं है, तो यह भारतीय दंड संहिता की धारा 138 के तहत अपराध बन जाता है।

 

चेक बाउंस के बाद क्या प्रक्रिया होती है

अगर किसी का चेक बाउंस हो जाता है, तो बैंक द्वारा “चेक रिटर्न मेमो” दिया जाता है जिसमें अस्वीकार करने का कारण लिखा होता है। इसके बाद जिस व्यक्ति को पेमेंट मिलना था, वह 15 दिनों के भीतर कानूनी नोटिस भेज सकता है।

यह नोटिस पाने के बाद चेक जारी करने वाले को 15 दिन का समय दिया जाता है कि वह पेमेंट कर दे। अगर इस अवधि में पेमेंट नहीं किया गया, तो लेने वाला व्यक्ति 30 दिनों के भीतर अदालत में मामला दर्ज करा सकता है।

कानूनी सजा और जुर्माने का प्रावधान

अगर नोटिस भेजने के बाद भी पेमेंट नहीं किया गया, तो मामला कोर्ट में जाता है और दोषी साबित होने पर 2 साल तक की सजा या चेक राशि के दोगुने तक जुर्माना या दोनों हो सकते हैं।

हालांकि कोर्ट परिस्थितियों को भी देखता है – अगर गलती से चेक बाउंस हुआ हो और तुरंत पेमेंट कर दिया गया हो, तो अदालत राहत दे सकती है। लेकिन अगर बार-बार ऐसा हो रहा है, तो यह गंभीर मामला बन जाता है।

 

पेमेंट चुकाने के लिए कितना समय है

नियम के अनुसार, जैसे ही आपको कानूनी नोटिस मिलता है, आपके पास 15 दिन का समय होता है कि आप बकाया राशि चुका दें। यदि इस दौरान पेमेंट कर दिया जाता है, तो मामला अदालत तक नहीं जाता।

लेकिन अगर आप इस समय में चुकता नहीं करते हैं, तो केस दर्ज हो सकता है और फिर मामला आपराधिक प्रकृति का बन जाता है। इसीलिए समय रहते समाधान निकालना सबसे जरूरी होता है।

ऐसे मामलों से कैसे बचा जा सकता है

अगर आप चेक से भुगतान करते हैं, तो सुनिश्चित करें कि आपके खाते में पर्याप्त बैलेंस हो। चेक पर सही-सही हस्ताक्षर करें, बिना किसी ओवरराइटिंग के। अगर किसी कारणवश चेक बाउंस हो गया है, और नोटिस मिला है, तो 15 दिन के अंदर उस व्यक्ति से संपर्क करके पेमेंट करें या आपसी समझौते से मामला सुलझाएं। इससे आप कोर्ट की कार्रवाई से बच सकते हैं और आपका समय, पैसा और प्रतिष्ठा तीनों सुरक्षित रहेंगे।

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