AC केबिन In Truck: देश में ट्रक ड्राइवरों को अब सफर के दौरान गर्मी में तपने की ज़रूरत नहीं पड़ेगी। सरकार ने बड़ा फैसला लेते हुए कहा है कि 8 जून 2024 से भारत में बिकने वाले हर नए मीडियम और हेवी ट्रक में एसी केबिन अनिवार्य होगा। यह फैसला ना सिर्फ ड्राइवरों की सेहत और काम के माहौल को ध्यान में रखकर लिया गया है, बल्कि इससे ट्रांसपोर्ट इंडस्ट्री की कार्यशैली में भी बड़ा बदलाव आएगा।
अब तक ट्रकों में एसी का होना वैकल्पिक था, लेकिन बहुत कम कंपनियां इसे स्टैंडर्ड फीचर के रूप में देती थीं। लेकिन अब यह अनिवार्य होने के चलते कंपनियों ने ट्रक के मॉडल्स की कीमतों में इजाफा करना शुरू कर दिया है। माना जा रहा है कि यह बढ़ोतरी ₹30,000 से ₹50,000 तक हो सकती है।
सरकार ने क्यों लिया यह फैसला
ट्रक ड्राइवरों की स्थिति को लेकर सरकार लंबे समय से चिंतित थी। लगातार बढ़ती गर्मी, लंबी दूरी के सफर, और अस्वास्थ्यकर काम के माहौल ने ड्राइवरों की सेहत पर गहरा असर डाला है।
कई रिपोर्टों में यह सामने आया कि ज्यादा गर्मी में ट्रक चलाने से ड्राइवरों में थकान, चिड़चिड़ापन और नींद की कमी जैसी समस्याएं बढ़ गई हैं। इससे न केवल उनका स्वास्थ्य प्रभावित हुआ बल्कि दुर्घटनाओं का खतरा भी बढ़ गया। इन सभी बातों को ध्यान में रखते हुए परिवहन मंत्रालय ने यह फैसला लिया कि ट्रक में एसी केबिन अब स्टैंडर्ड सेफ्टी फीचर के तौर पर जोड़ा जाएगा।
किन वाहनों पर लागू होगा नया नियम
यह नियम मीडियम और हेवी कमर्शियल व्हीकल्स (MHCVs) पर लागू होगा, जिनका इस्तेमाल माल ढोने के लिए होता है। इसमें ट्रक, टिपर, डंपर और कंटेनर जैसे भारी वाहन शामिल हैं।
हल्के कमर्शियल वाहन (LCVs) और पर्सनल उपयोग के लिए बनाए जाने वाले पिकअप ट्रक फिलहाल इस दायरे से बाहर हैं। लेकिन भविष्य में हो सकता है कि इन पर भी यही नियम लागू कर दिया जाए। फिलहाल सरकार का फोकस उन ट्रकों पर है जो सबसे ज्यादा दूरी तय करते हैं और जिनमें ड्राइवर लंबा समय बिताते हैं।
वाहन कंपनियों की प्रतिक्रिया और कीमत में बढ़ोतरी
टाटा मोटर्स, अशोक लीलैंड, भारत बेंज़, और Eicher जैसी कंपनियों ने इस नियम का स्वागत तो किया है, लेकिन साथ ही उन्होंने कीमतों में वृद्धि का एलान भी कर दिया है। कंपनियों का कहना है कि एसी सिस्टम जोड़ना सिर्फ एक यूनिट लगाना नहीं होता, बल्कि इसके लिए पूरी कैबिन डिज़ाइन में बदलाव करना पड़ता है, जिससे लागत बढ़ जाती है।
अशोक लीलैंड के एक अधिकारी ने बताया कि ट्रकों में एसी सिस्टम जोड़ने से प्रति वाहन कम से कम ₹40,000 का असर आता है। इसी तरह टाटा मोटर्स ने भी अपने कुछ मॉडलों के दाम 3% तक बढ़ा दिए हैं। कंपनियों ने यह भी कहा कि आने वाले कुछ महीनों में उत्पादन लागत स्थिर हो सकती है, जिससे रेट में और परिवर्तन संभव है।
ड्राइवरों और ट्रांसपोर्ट यूनियनों की प्रतिक्रिया
इस फैसले को लेकर ट्रक ड्राइवरों और ट्रांसपोर्ट यूनियनों में खुशी की लहर है। अब तक ड्राइवरों को तपती गर्मी, धूल और बदबू के बीच दिन-रात काम करना पड़ता था। एसी केबिन के आने से उनकी काम करने की स्थिति में बड़ा सुधार होगा।
एक ड्राइवर का कहना था, “अब हम भी इंसान की तरह ट्रक चला पाएंगे। गर्मी में तो कभी-कभी हालत इतनी खराब हो जाती है कि गाड़ी सड़क पर ही रोकनी पड़ती है।” यूनियनों ने सरकार से यह भी मांग की है कि पुराने ट्रकों में भी एसी लगाने की सुविधा और सब्सिडी दी जाए ताकि सबको इसका लाभ मिल सके।
क्या इसका असर मालभाड़े पर पड़ेगा
जैसे ही ट्रक की कीमत बढ़ती है, तो ट्रांसपोर्टेशन का खर्चा भी बढ़ता है। विशेषज्ञों का मानना है कि शुरुआती दिनों में माल भाड़े में 1% से 2% तक की वृद्धि हो सकती है, लेकिन लॉन्ग टर्म में जब ट्रक ड्राइवरों की सेहत और काम की गुणवत्ता बेहतर होगी, तो यह खर्चा संतुलित हो जाएगा।
ट्रांसपोर्ट कंपनियों का भी यही मानना है कि यह खर्च लॉजिस्टिक सेक्टर के सुधार का हिस्सा है और इसे ग्राहकों को समझना होगा। सरकार ने भी स्पष्ट किया है कि यह फैसला सिर्फ लागत नहीं, बल्कि लोगों की जिंदगी और सुरक्षा को ध्यान में रखकर लिया गया है।