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Personal Loan: पर्सनल लोन नहीं भरने पर कितना होगा नुकसान, बैंक क्या लेगा एक्शन, जान लें नियम

Personal Loan: आज के दौर में अगर किसी को तुरंत पैसों की ज़रूरत पड़ जाए, तो सबसे आसान रास्ता होता है पर्सनल लोन। बैंक या फाइनेंस कंपनियां बिना किसी गारंटी के ये लोन दे देती हैं, जिससे लोग मेडिकल खर्च, शादी, घर की जरूरत या किसी और काम के लिए तुरंत फंड जुटा लेते हैं। लेकिन अगर इस लोन को समय पर न चुकाया जाए, तो बात सिर्फ ब्याज तक नहीं रहती, बल्कि आपकी क्रेडिट हिस्ट्री, भविष्य के लोन, और कानूनी स्थिति तक पर असर पड़ सकता है।

यही वजह है कि अगर आप पर्सनल लोन लेने की सोच रहे हैं, या पहले से ले रखा है, तो आपको ये जानना जरूरी है कि अगर लोन की EMI नहीं भरी जाए, तो क्या नुकसान हो सकता है और बैंक क्या कार्रवाई कर सकता है।

लोन नहीं चुकाने पर सबसे पहला असर कहां होता है

 

जब कोई व्यक्ति पर्सनल लोन लेता है, तो उसे तय समय और तय EMI के अनुसार भुगतान करना होता है। अगर समय पर EMI नहीं चुकाई जाती, तो सबसे पहले असर आपकी क्रेडिट रिपोर्ट और CIBIL स्कोर पर पड़ता है।

हर EMI की रिपोर्टिंग क्रेडिट ब्यूरो को होती है और एक भी चूक आपके स्कोर को गिरा देती है। मान लीजिए आप 750 स्कोर पर थे और एक-दो EMI नहीं भरी, तो स्कोर सीधा 650 के नीचे जा सकता है। इसका मतलब यह हुआ कि आगे जाकर आपको किसी भी बैंक या फाइनेंस कंपनी से लोन मिलने में भारी दिक्कत हो सकती है।

बैंक सबसे पहले क्या करता है

अगर आपने EMI नहीं भरी तो शुरुआत में बैंक आपको कॉल, SMS और मेल के जरिए याद दिलाना शुरू करता है। अगर 30 दिन तक कोई पेमेंट नहीं होती, तो मामला डिफॉल्ट कैटेगरी में चला जाता है।

 

इसके बाद बैंक की रिकवरी टीम सक्रिय हो जाती है और आपसे सीधे संपर्क करती है। कभी-कभी बैंक एजेंट घर या ऑफिस तक पहुंच जाते हैं। यहां तक कि लगातार तीन महीने तक EMI न भरने पर आपका लोन अकाउंट NPA (Non-Performing Asset) घोषित कर दिया जाता है, जिसका असर कानूनी स्तर पर भी पड़ता है।

पेनल्टी और ब्याज का बोझ कैसे बढ़ता है

लोन की EMI न चुकाने पर सिर्फ मूल रकम नहीं बढ़ती, उस पर पेनल्टी और लेट पेमेंट चार्ज भी जुड़ते जाते हैं। कई बैंक हर EMI पर 2% से लेकर 5% तक का लेट फाइनेंस चार्ज लगाते हैं। अगर आपने ₹10,000 की EMI नहीं भरी, तो अगली बार वो ₹11,000 से ₹12,000 तक पहुंच सकती है।

 

साथ ही, हर दिन का ब्याज बढ़ता रहता है और आपकी कुल देनदारी तेजी से ऊपर जाती है। यदि समय पर समाधान न निकाला जाए तो कुछ महीनों में ही छोटी रकम बड़ी रकम में बदल जाती है और उससे उबरना मुश्किल हो जाता है।

कानूनी कार्रवाई की स्थिति कब बनती है

अगर लगातार कई महीनों तक EMI नहीं चुकाई जाती, और बैंक के सारे प्रयास विफल हो जाते हैं, तो मामला लीगल नोटिस तक पहुंच सकता है। बैंक आपको 30 दिनों का नोटिस भेजता है जिसमें साफ तौर पर बताया जाता है कि आप लोन की शर्तों का उल्लंघन कर रहे हैं।

अगर इस नोटिस का जवाब नहीं दिया गया या भुगतान नहीं हुआ, तो बैंक कोर्ट जा सकता है। कोर्ट से आपको समन आ सकता है और अगर मामला बढ़ता है तो आपकी सैलरी में से कटौती, बैंक खाते की सीजिंग, यहां तक कि संपत्ति पर भी कार्रवाई हो सकती है। हालांकि पर्सनल लोन अनसिक्योर्ड होता है, लेकिन बैंक कोर्ट के जरिए डिक्री हासिल कर लेता है और फिर उसके अनुसार वसूली करता है।

 

समस्या से कैसे बचा जा सकता है

अगर किसी वजह से आप EMI नहीं चुका पा रहे हैं, तो सबसे पहले काम यह करना चाहिए कि बैंक को स्थिति की जानकारी दें। कई बार बैंक री-स्ट्रक्चरिंग या मोराटोरियम का विकल्प देता है, जिससे आपको कुछ महीनों की राहत मिल सकती है।

इसके अलावा आप अपने बजट में कटौती करके EMI चुकाने की प्राथमिकता तय करें। अगर एक से ज्यादा लोन चल रहे हैं तो पर्सनल लोन को पहले निपटाने की कोशिश करें क्योंकि इसका ब्याज सबसे ज़्यादा होता है। EMI के लिए ECS या ऑटो डेबिट ऑप्शन का इस्तेमाल करें ताकि गलती से भी चूक न हो।

👉 ये जानकारी अपने जानने वालों के साथ जरूर शेयर करें, ताकि वे भी लोन से जुड़ी सही जानकारी लेकर सावधानी से आगे बढ़ें।

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