Supreme Court: घर-परिवार की ज़िंदगी में पैसा और ज़ेवर एक सामान्य बात है। शादी के बाद अक्सर पति-पत्नी मिलकर अपने घर की ज़रूरतों को पूरा करते हैं। लेकिन जब बात पति और पत्नी के बीच के रिश्ते में खटास आने की हो, या किसी कारणवश तलाक की नौबत आ जाए, तब यही सवाल उठता है कि पत्नी के पास जो सोना (गहने) और पैसे हैं, क्या उस पर पति का भी कोई अधिकार होता है?
इस सवाल को लेकर समाज में अक्सर बहस होती रहती है। लेकिन हाल ही में सुप्रीम कोर्ट ने इस पर बड़ा और साफ फैसला दिया है, जिसने अब इस मुद्दे पर पूरी तरह से स्थिति स्पष्ट कर दी है। कोर्ट का ये फैसला देशभर के लाखों दंपत्तियों के लिए एक मिसाल बन गया है।
सुप्रीम कोर्ट ने क्या कहा अपने फैसले में
सुप्रीम कोर्ट ने अपने हालिया फैसले में स्पष्ट कहा है कि शादी के समय या शादी के बाद पत्नी को जो गहने, नकदी या संपत्ति मिलती है, वह सिर्फ और सिर्फ उसी की होती है। उस पर पति या ससुराल वालों का कोई अधिकार नहीं होता।
यह फैसला एक ऐसे मामले में आया जहां महिला ने आरोप लगाया था कि उसका सोना और पैसे उसके पति और ससुराल वालों ने अपने कब्जे में रख लिए हैं और उसे वापस नहीं दिए जा रहे। कोर्ट ने इस पर गंभीर टिप्पणी करते हुए कहा कि यह न केवल कानून के खिलाफ है, बल्कि नैतिक रूप से भी गलत है।
‘स्ट्रीडन’ क्या होता है और इसका कानूनी मतलब
हिंदू कानून के अनुसार पत्नी को शादी के समय या बाद में जो कुछ भी दिया जाता है – जैसे गहने, कपड़े, कैश, गाड़ी, संपत्ति आदि – उसे “स्ट्रीडन” कहा जाता है। इसका मतलब होता है “स्त्री की संपत्ति”।
सुप्रीम कोर्ट ने फिर से दोहराया कि स्ट्रीडन पर सिर्फ पत्नी का हक होता है, और पति को भी कानूनी रूप से उस पर कोई दावा करने का अधिकार नहीं है। यहां तक कि अगर पत्नी की मृत्यु भी हो जाती है, तब भी उसके स्ट्रीडन पर उसके माता-पिता या कानूनी वारिस का अधिकार होता है, न कि पति का।
पति का दायित्व और पत्नी की संपत्ति की सुरक्षा
कोर्ट ने अपने फैसले में यह भी कहा कि पति का यह कर्तव्य है कि वह अपनी पत्नी की संपत्ति की रक्षा करे और उसका दुरुपयोग न करे। अगर पत्नी किसी कारणवश पति को अपनी ज्वेलरी या पैसे रखवाने के लिए देती है, तो वह उसे सुरक्षित रखने का जिम्मेदार है।
अगर पति या उसके परिवार वाले स्ट्रीडन का उपयोग करते हैं या उसे लौटाने से मना करते हैं, तो यह आपराधिक कृत्य माना जाएगा और इसके तहत कार्रवाई की जा सकती है। कई मामलों में तो IPC की धारा 406 के तहत केस दर्ज किया गया है, जो कि आपराधिक विश्वासघात की श्रेणी में आता है।
समाज में सोच बदलने की ज़रूरत
हमारे समाज में यह सोच अब भी जड़ जमा चुकी है कि शादी के बाद पत्नी का सबकुछ पति का होता है। लेकिन यह कानूनन गलत है और महिलाओं के साथ अन्याय है। सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले से यह स्पष्ट हो गया है कि पत्नी का सोना, पैसा या अन्य संपत्ति पर किसी और का दावा नहीं चल सकता, चाहे वो पति ही क्यों न हो।
अब समय आ गया है कि समाज इस फैसले से सबक ले और अपनी मानसिकता को बदले। महिलाओं को उनकी आर्थिक स्वतंत्रता और अधिकार देना ही एक सशक्त समाज की निशानी है।
भविष्य में इस फैसले का असर क्या होगा
इस ऐतिहासिक फैसले से अब ऐसे मामलों में अदालतों को फैसला लेने में आसानी होगी। साथ ही महिलाओं को भी अपने अधिकारों के प्रति जागरूकता मिलेगी। अगर कोई महिला यह देखती है कि उसके गहनों या पैसों पर उसका पति या ससुराल कब्जा कर रहा है, तो वह अब बिना डरे कानूनी कार्यवाही कर सकती है। ये फैसला सिर्फ कानून की बात नहीं करता, बल्कि यह भावनात्मक और नैतिक स्तर पर भी महिलाओं को आत्मसम्मान और हक देता है। इससे समाज में महिला सशक्तिकरण को और मजबूती मिलेगी।
👉 यह जानकारी अपने घर की बहन, बेटी, पत्नी या मां से ज़रूर साझा करें ताकि वे अपने अधिकार को जानें और किसी भी तरह की ठगी या ज़्यादती का शिकार न हों।