Savings Account: कल्पना कीजिए कि एक आम नौकरीपेशा व्यक्ति, जिसका हर महीना सैलरी आने के बाद थोड़ी-थोड़ी बचत करके बैंक में कुछ पैसे जमा हो जाते हैं। वह किसी बड़े खर्च के लिए पैसे जमा कर रहा होता है, जैसे बच्चों की पढ़ाई, घर का रिनोवेशन या फिर भविष्य की सुरक्षा। लेकिन अचानक एक दिन उसके पास इनकम टैक्स विभाग का नोटिस आ जाता है। कारण? उसके सेविंग्स अकाउंट में बड़ी रकम जमा हुई थी, जिसकी जानकारी उसने विभाग को नहीं दी थी।
यह कहानी सिर्फ एक व्यक्ति की नहीं है, बल्कि आज लाखों लोग अनजाने में ऐसे नियमों का उल्लंघन कर रहे हैं और उन्हें इस बात का अंदाज़ा भी नहीं होता कि वे इनकम टैक्स के रडार में आ सकते हैं। अगर आप भी सेविंग्स अकाउंट में नियमित रूप से पैसे जमा करते हैं, तो यह जानकारी आपके लिए बेहद ज़रूरी है।
सेविंग्स अकाउंट में कितनी रकम पर आता है इनकम टैक्स का नोटिस
बैंक में सेविंग्स अकाउंट तो हर किसी के पास होता है। लेकिन बहुत से लोग नहीं जानते कि बैंक और इनकम टैक्स विभाग के बीच सीधा डेटा शेयरिंग का सिस्टम होता है। जैसे ही आप सालभर में ₹10 लाख या उससे ज़्यादा की रकम अपने सेविंग्स अकाउंट में कैश के रूप में जमा करते हैं, बैंक इस लेन-देन की जानकारी आयकर विभाग को भेज देता है। यह रकम नकद में जमा होनी चाहिए – ऑनलाइन ट्रांसफर या सैलरी से आने वाले पैसे इसमें शामिल नहीं होते।
अगर आपने यह कैश किसी व्यापार, शादी या किसी और कारण से जमा किया है और आपने उसे अपनी इनकम में सही तरीके से नहीं दिखाया है, तो इनकम टैक्स विभाग आपसे स्पष्टीकरण मांग सकता है। जरूरी नहीं कि नोटिस सिर्फ टैक्स वसूली के लिए आए – यह जांच के उद्देश्य से भी भेजा जा सकता है।
एफडी और करेंट अकाउंट के लिए हैं अलग नियम
अगर आप सेविंग्स अकाउंट के अलावा फिक्स्ड डिपॉजिट में भी मोटी रकम जमा कराते हैं, तो वहां भी एक लिमिट तय की गई है। अगर सालभर में ₹10 लाख या उससे ज्यादा की राशि एफडी में डाली जाती है, तो बैंक वह जानकारी भी टैक्स विभाग को भेजता है। इसके अलावा, करेंट अकाउंट्स के लिए यह लिमिट ₹50 लाख सालाना की है।
ऐसे में अगर आप बिज़नेस करते हैं और करेंट अकाउंट का इस्तेमाल करते हैं, तो इन लेन-देन का पूरा लेखाजोखा रखना बेहद ज़रूरी है। बिना दस्तावेज़ और हिसाब के कोई भी बड़ी जमा राशि आपको टैक्स अधिकारियों के सवालों के घेरे में ला सकती है।
नोटिस आने पर घबराएं नहीं, जवाब दें समझदारी से
अगर आपको इनकम टैक्स विभाग की तरफ से कोई नोटिस आता है, तो घबराने की ज़रूरत नहीं है। सबसे पहले यह समझना ज़रूरी है कि विभाग ने आपको नोटिस क्यों भेजा है – क्या वह सिर्फ पूछताछ के लिए है या किसी टैक्स चोरी की जांच के तहत?
ऐसे मामलों में आप अपने बैंक स्टेटमेंट, फॉर्म 16, इनकम प्रूफ और खर्च के सबूतों के साथ सही जानकारी विभाग को भेज सकते हैं। अगर आपकी तरफ से सबकुछ पारदर्शी है और आपने कोई गलत जानकारी नहीं छिपाई है, तो मामला आसानी से सुलझ सकता है। लेकिन अगर आप नोटिस को नजरअंदाज करते हैं, तो परेशानी बढ़ सकती है।
कैसे बचें इनकम टैक्स के ऐसे नोटिस से
इनकम टैक्स विभाग का मकसद हर व्यक्ति से पारदर्शिता बनाए रखना है। अगर आप अपनी आमदनी और खर्च का सही रिकॉर्ड रखते हैं और समय पर इनकम टैक्स रिटर्न भरते हैं, तो नोटिस का खतरा काफी हद तक टल सकता है।
अगर आपको किसी साल में ज्यादा नकद पैसे जमा करने की जरूरत पड़ी है, तो उसका कारण स्पष्ट होना चाहिए। कोशिश करें कि अधिकतर लेन-देन डिजिटल तरीके से करें, जिससे हर ट्रांजैक्शन का रिकॉर्ड बना रहे। साथ ही, फॉर्म 26AS और AIS रिपोर्ट्स की समय-समय पर जांच करते रहें, जिससे आप जान सकें कि सरकार के पास आपके लेन-देन की कौन सी जानकारी है।
बचत खाते में पैसे रखना आम बात है, लेकिन अगर आप बड़ी रकम नकद जमा करते हैं, तो इनकम टैक्स विभाग की नजर आप पर पड़ सकती है। इसीलिए ज़रूरी है कि आप हर लेन-देन का रिकॉर्ड रखें और टैक्स से जुड़ी हर बात को गंभीरता से लें। पारदर्शिता ही आज की टैक्स व्यवस्था की सबसे बड़ी जरूरत है और अगर आप सही तरीके से चलते हैं, तो किसी भी नोटिस का सामना करना आसान हो जाता है।
Disclaimer: यह लेख केवल सामान्य जानकारी के उद्देश्य से लिखा गया है। इसमें दी गई जानकारी वित्तीय सलाह नहीं है। कृपया टैक्स संबंधित मामलों में विशेषज्ञ से सलाह अवश्य लें।