Toll Tax Policy: देश में अगर आप गाड़ी चलाते हैं तो टोल टैक्स आपकी जेब पर असर जरूर डालता है। अब सरकार इस व्यवस्था में बड़ा बदलाव करने जा रही है। खबर है कि जल्द ही भारत में टोल टैक्स की नयी पॉलिसी लागू होने जा रही है, जिसमें टोल की गणना तय दूरी यानी कि आप जितना किलोमीटर चलेंगे, उसके हिसाब से होगी। ये सुनकर एक ओर जहां आम जनता को राहत की उम्मीद बंधी है, वहीं बहुत से लोग उलझन में भी हैं कि क्या यह खबर सच है या महज अफवाह। ऐसे में यह जरूरी हो जाता है कि इस बदलाव की पूरी सच्चाई सामने लाई जाए।
नई टोल पॉलिसी का मकसद क्या है और क्यों हो रहा बदलाव
सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय ने पिछले कुछ समय से टोल टैक्स की मौजूदा प्रणाली को लेकर कई शिकायतें पाईं। मौजूदा सिस्टम में चाहे आप आधी दूरी तय करें या पूरी, एक ही टोल देना होता है। इससे न सिर्फ लोगों को अतिरिक्त बोझ उठाना पड़ता है, बल्कि ट्रैफिक और टोल प्लाज़ा पर भी भीड़ बढ़ती है। इसी को देखते हुए केंद्र सरकार एक नई GPS आधारित टोल प्रणाली लाने की तैयारी कर रही है।
इस प्रणाली का मकसद है “यूज़र पे, यूज़र पे” का फॉर्मूला लागू करना, यानी जो जितना रास्ता तय करेगा, वह उतना ही टोल देगा। इससे उन लोगों को राहत मिलेगी जो सिर्फ छोटे रास्ते के लिए हाईवे का उपयोग करते हैं। सरकार का मानना है कि इससे पारदर्शिता बढ़ेगी और जनता का भरोसा भी।
कब से लागू हो सकती है नई दूरी आधारित टोल प्रणाली
सरकारी रिपोर्ट्स और केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी के हालिया बयानों के मुताबिक, नई टोल पॉलिसी को चरणबद्ध तरीके से लागू किया जाएगा। फिलहाल पायलट प्रोजेक्ट के रूप में कुछ चुनिंदा हाइवे पर इसका परीक्षण किया जा रहा है।
अगर सब कुछ योजना के अनुसार चलता है तो यह नई टोल प्रणाली 2025 के मध्य से देशभर में लागू हो सकती है। इसके लिए गाड़ियों में एक खास तरह का GPS ट्रैकिंग सिस्टम अनिवार्य किया जाएगा, जो टोल गणना के लिए उपयोग होगा। FASTag जैसी मौजूदा व्यवस्था को धीरे-धीरे इस नए सिस्टम से जोड़ा जाएगा।
कैसे काम करेगा किलोमीटर आधारित टोल सिस्टम
इस प्रणाली में जैसे ही कोई वाहन टोल रोड पर प्रवेश करेगा, उसका जीपीएस ट्रैकर एक्टिव हो जाएगा और निकलते समय दूरी को मापा जाएगा। यह डेटा सीधे टोल सर्वर से जुड़ा होगा, और जितनी दूरी आपने तय की होगी, उसी हिसाब से आपके FASTag या लिंक्ड अकाउंट से पैसे कट जाएंगे।
यह सिस्टम पूरी तरह से डिजिटल और ट्रांसपेरेंट होगा, जिससे टोल चोरी, फर्जीवाड़े और लंबी कतारों से राहत मिलेगी। साथ ही छोटे यात्रियों को अतिरिक्त भुगतान नहीं करना पड़ेगा। फिलहाल इस तकनीक को टेस्ट किया जा रहा है और सुरक्षा तथा सटीकता को जांचने के बाद ही इसे देशव्यापी लागू किया जाएगा।
सच क्या है और अफवाह क्या? जानिए असली स्थिति
यह बात एकदम सही है कि सरकार इस नई दूरी आधारित टोल पॉलिसी पर गंभीरता से काम कर रही है, लेकिन यह पूरी तरह से लागू अभी नहीं हुई है। सोशल मीडिया पर कुछ लोग इसे लेकर भ्रम फैला रहे हैं कि “1 जुलाई से नया टोल लागू” या “अब हर किलोमीटर पर कटेंगे पैसे”, जो गलत है।
सरकार ने फिलहाल इसे एक प्रस्ताव के रूप में रखा है, और इसकी तकनीकी तैयारी चल रही है। इसलिए जो भी खबरें सामने आ रही हैं, वे आंशिक रूप से सही हैं लेकिन लागू होने की तारीख को लेकर कोई स्पष्ट घोषणा नहीं हुई है। जब तक आधिकारिक अधिसूचना नहीं आती, तब तक इन खबरों को सही मानना जल्दबाज़ी होगी।
जनता के लिए क्या होगा असर और तैयारी कैसे करें
अगर यह नई प्रणाली लागू होती है तो आम लोगों को टोल पर बचत का मौका मिलेगा, खासकर उन यात्रियों को जो छोटे रूट पर चलते हैं। इससे हर वाहन पर व्यक्तिगत खर्च की सही गणना होगी और ट्रैफिक की समस्या भी घटेगी।
इस बदलाव के लिए वाहन मालिकों को GPS डिवाइस इंस्टॉल करवानी पड़ सकती है, जो या तो खुद वाहन निर्माता कंपनियां देंगी या सरकार की ओर से सब्सिडी पर उपलब्ध कराई जाएगी। साथ ही, लोगों को डिजिटल पेमेंट और FASTag जैसी सेवाओं को अपनाना होगा ताकि यह बदलाव सहजता से हो सके।
Disclaimer: यह लेख सार्वजनिक मीडिया रिपोर्ट्स और सरकार द्वारा दी गई जानकारी पर आधारित है। नई टोल नीति की तारीखें और कार्यान्वयन प्रक्रिया में बदलाव हो सकता है। कृपया आधिकारिक सूचना आने तक किसी भी फैसले से बचें।