Skoda VW: अब समय आ गया है कुछ बड़े बदलावों का। स्कोडा और वोक्सवैगन जैसी जानी-मानी कंपनियों ने भारत को लेकर बड़ा फैसला लिया है। वो भी ऐसा कि आने वाले कुछ सालों में भारतीय ऑटोमोबाइल सेक्टर की तस्वीर ही बदल सकती है। जी हां, Skoda और VW ने एक साथ मिलकर इंडिया 3.0 प्रोजेक्ट के तहत पूरे 10,000 करोड़ रुपये निवेश करने की घोषणा कर दी है। ये सिर्फ एक आंकड़ा नहीं है, ये इस बात का इशारा है कि भारत अब उनके लिए सिर्फ एक बाजार नहीं बल्कि ग्लोबल मैन्युफैक्चरिंग और इनोवेशन का हब बनता जा रहा है।
क्या है India 3.0 प्लान और क्यों है इतना खास
India 3.0 प्लान दरअसल स्कोडा और वोक्सवैगन की वो रणनीति है जिसके तहत वो भारत में अपने प्रोडक्शन, रिसर्च और कारों की डिजाइनिंग को पूरी तरह भारतीय ज़रूरतों के मुताबिक ढालेंगे। पहले की तरह अब कारें सिर्फ बाहर से बनकर नहीं आएंगी, बल्कि यहीं इंडिया में डिज़ाइन और तैयार होंगी। इसका मतलब है ज़्यादा लोकल जॉब्स, बेहतर क्वालिटी कंट्रोल और लोगों की पसंद के हिसाब से गाड़ियाँ।
इस प्रोजेक्ट के तहत नई फैक्ट्रीज़, R&D सेंटर और लोकल सप्लायर्स के साथ गहरा तालमेल होगा। इससे यह फायदा होगा कि कारें पहले से सस्ती होंगी क्योंकि प्रोडक्शन कॉस्ट भी कम होगी। और यही तो चाहिए आम भारतीय ग्राहक को अच्छी कार, सही कीमत में।
किन शहरों में होगा ये निवेश और क्या बदलेगा
पुणे और औरंगाबाद स्कोडा और VW के लिए पहले से मजबूत बेस हैं। इसी को आगे बढ़ाते हुए पुणे की फैक्ट्री में बड़ा विस्तार किया जा रहा है। साथ ही औरंगाबाद में इलेक्ट्रिक व्हीकल्स को असेंबल करने के लिए नया सेटअप बनने वाला है। यानी अब EV भी भारतीय ज़मीन से तैयार होकर सीधे बाजार में आएंगी।
यही नहीं, इस निवेश का एक बड़ा हिस्सा रिसर्च और डेवलपमेंट में भी लगाया जाएगा। इसका मतलब ये है कि आने वाले सालों में जो भी नई कारें लॉन्च होंगी, उनका दिमाग यहीं इंडिया में तैयार होगा। और जब डिजाइन इंडिया में होगा, तो गाड़ी भी इंडिया के हिसाब से होगी – चाहे वो सड़कों की हालत हो या लोगों की ज़रूरतें।
ग्राहकों को इससे क्या फ़ायदा मिलेगा
अब बात करते हैं सीधे-सीधे उस बात की जो सबसे ज़रूरी है। हमें क्या मिलेगा इससे? तो पहली बात, लोकल प्रोडक्शन बढ़ेगा तो गाड़ियों की कीमतें पहले से ज़्यादा किफायती हो सकती हैं। स्कोडा की Kushaq और VW की Taigun जैसी गाड़ियां जो पहले थोड़ी महंगी लगती थीं, अब हो सकता है कि नए वर्जन या अपडेटेड मॉडल सस्ते में मिलें।
दूसरी बात, जब कंपनियां इंडिया को अपना फोकस बना रही हैं, तो सर्विस सेंटर, पार्ट्स की उपलब्धता और आफ्टर सेल्स सपोर्ट भी बेहतर हो जाएगा। यानी अब अगर आपकी स्कोडा की कार में कोई दिक्कत आई, तो न तो आपको हफ्तों का इंतजार करना पड़ेगा और न ही ज़्यादा पैसा देना पड़ेगा।
क्या EV सेगमेंट में भी होगी हलचल
बिलकुल होगी, और यही तो सबसे दिलचस्प बात है। वोक्सवैगन ग्रुप भारत में EV सेगमेंट को लेकर काफी गंभीर दिख रहा है। उन्होंने साफ किया है कि आने वाले समय में वो भारतीय मार्केट के लिए खासतौर पर तैयार की गई इलेक्ट्रिक गाड़ियाँ लॉन्च करेंगे। इन गाड़ियों की टेस्टिंग और असेंबली यहीं होगी, जिससे कीमतें काबू में रहेंगी और तकनीक भी हमारे देश के लिहाज़ से उपयुक्त होगी।
EV की दुनिया में जहां अभी टाटा, MG और हुंडई जैसे ब्रांड्स छाए हुए हैं, वहां VW और Skoda की एंट्री से प्रतियोगिता और मज़ेदार हो जाएगी। और जब कॉम्पिटिशन बढ़ता है, तो फायदा तो आखिरकार ग्राहकों को ही मिलता है – बेहतर फीचर्स, सही कीमत और नए विकल्प।
निवेश का असर सिर्फ गाड़ियों तक सीमित नहीं रहेगा
10,000 करोड़ रुपये का निवेश सिर्फ फैक्ट्री या गाड़ियों तक सीमित नहीं रहेगा। इसका फायदा होगा लोकल इंडस्ट्री को, छोटे बिज़नेस को, और हजारों युवाओं को जिन्हें सीधे या अप्रत्यक्ष रूप से नौकरियों का मौका मिलेगा। महाराष्ट्र और खासकर पुणे जैसे शहरों में ऑटोमोबाइल सेक्टर की ग्रोथ और तेज़ हो सकती है।
जब कोई ग्लोबल ब्रांड इस तरह से भारत में दिलचस्पी दिखाता है, तो बाकी कंपनियों के लिए भी एक मजबूत संकेत बनता है कि इंडिया अब सिर्फ एक बाजार नहीं, बल्कि मैन्युफैक्चरिंग की एक ताकत बन चुका है।