Volkswagen Polo TDI खरीदी सेकंड हैंड, अब सस्पेंशन ओवरहॉल और बाकी झंझटों से गुजर रहा हूँ

Volkswagen Polo TDI: सेकंड हैंड गाड़ी लेने का फैसला मैंने सोच-समझकर किया था। बजट लिमिट में कुछ अच्छा, मजबूत और भरोसेमंद चाहिए था। थोड़ी रिसर्च के बाद मुझे एक Volkswagen Polo TDI मिल गई। दिखने में ठीक-ठाक, चलने में भी सही लग रही थी। लेकिन असली कहानी तो इसके बाद शुरू हुई, जब असलियत सामने आने लगी।

गाड़ी की डील पक्की करते वक्त सब कुछ नॉर्मल लगा। मालिक ने कहा, “बस थोड़ा बहुत सस्पेंशन का काम है।” मैंने सोचा चलो, इतना तो चलता है सेकंड हैंड में। पर जब खुद चलाने लगा और झटके महसूस होने लगे, तब समझ आया कि “थोड़ा बहुत” का मतलब असल में कितना ज्यादा है।

सस्पेंशन ओवरहॉल की शुरुआत

पहले कुछ दिन मैंने सोचा की शायद टायर प्रेशर ठीक नहीं होगा या फिर बैलेंसिंग की जरूरत है। लेकिन धीरे-धीरे जब हर गड्ढे पर झटका लगने लगा, तो मैं सीधा मैकेनिक के पास गया। उसने गाड़ी उठाकर नीचे झांका और बोला “सस्पेंशन का पूरा सेट ही बदलना पड़ेगा भाई।”

खर्चा सुनकर मैं थोड़ी देर चुप रह गया। फ्रंट शॉक एब्जॉर्बर, लोअर आर्म, बुशिंग, बॉल जॉइंट, सब कुछ बदलना पड़ा। लेकिन एक बात कहूं, काम अच्छे से हो जाए तो संतोष मिलता है। गाड़ी फिर से स्मूद चलने लगी और वो पुराना झटका अब नहीं आता।

बाकी की छोटी-छोटी चीजें भी परेशान करती रहीं

Volkswagen Polo TDI
Volkswagen Polo TDI

सस्पेंशन के अलावा कुछ और छोटी चीजें भी सामने आईं। AC थोड़ी देर बाद ठंडा करना बंद कर देता था, तो गैस भरवानी पड़ी। एक बार रात में ड्राइव करते वक्त हेडलाइट की बीम ऊपर-नीचे होने लगी, तो पता चला adjuster खराब था।

यही नहीं, डैशबोर्ड के अंदर से रattle की आवाजें आने लगी थीं, खासकर खराब सड़कों पर। थोड़ी मेहनत और इंसुलेशन टेप के साथ धीरे-धीरे सब सेट किया। एक-एक चीज सुलझाने में मजा भी आया और झुंझलाहट भी।

ड्राइविंग का मजा अभी भी बरकरार है

इन सब के बावजूद, जब भी मैं हाईवे पर निकलता हूं और गाड़ी 2000 rpm पर स्मूदली दौड़ती है, तो दिल खुश हो जाता है। TDI इंजन की grunt और टॉर्क का जवाब नहीं है। हां, थोड़ा नॉइज़ी है लेकिन यह उसकी पहचान भी है।

गियरशिफ्टिंग काफी सटीक है और क्लच थोड़ी भारी जरूर है, लेकिन आदत हो जाती है। लंबी दूरी की ड्राइव में यह गाड़ी थकाती नहीं है। यही वजह है कि इतने झंझटों के बावजूद मैंने इसे बेचना नहीं सोचा।

सेकंड हैंड कार खरीदते वक्त क्या सीख मिली

Volkswagen Polo TDI
Volkswagen Polo TDI

अब जब मैं पीछे मुड़कर देखता हूं, तो लगता है कि अगर गाड़ी लेते वक्त एक बार किसी अच्छे मैकेनिक से चेक करवा लेता, तो शायद कुछ खर्चे बच जाते। टेस्ट ड्राइव में सस्पेंशन की परेशानी महसूस नहीं हुई थी, लेकिन अब समझ आता है कि थोड़ा गहराई में देखना चाहिए था।

एक और बात, पेपर्स पूरे थे लेकिन सर्विस हिस्ट्री अधूरी थी। यही गलती नहीं दोहराऊंगा अगली बार। सर्विस बुक, पिछले रिपेयर के बिल और डीलर स्टैम्प, यह सब देखना जरूरी है ताकि बाद में कोई बड़ा सरप्राइज न मिले।

अब जो लोग सेकंड हैंड Polo लेने की सोच रहे हैं उनके लिए एक बात

Polo TDI एक बढ़िया गाड़ी है अगर आप इसे ठीक से मेंटेन रखें। इसका इंजन मज़बूत है, पर सस्पेंशन, क्लच और ब्रेकिंग सिस्टम को समय-समय पर चेक करना ज़रूरी है।

साथ ही, पार्ट्स थोड़े महंगे मिलते हैं और लोकल मैकेनिक हर बार ठीक से नहीं समझ पाते। इसलिए जहां तक हो सके, वोक्सवैगन के किसी अच्छे स्पेशलिस्ट को दिखाएं। कुछ चीज़ें DIY (Do it yourself) में भी आ जाती हैं, बस धैर्य और थोड़ा ज्ञान चाहिए।

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