Toll Tax: देशभर में टोल टैक्स वसूली के सिस्टम में बड़ा बदलाव किया गया है। सरकार टोल प्लाजा पर लगने वाले जाम और समय की बर्बादी को खत्म करने के लिए नई तकनीक का इस्तेमाल कर रही है। इसके तहत अब टोल टैक्स GPS आधारित प्रणाली से सीधे काटा जाएगा, जिससे यात्रा आसान और तेज होगी। इससे टोल प्लाजा पर रुकने की जरूरत नहीं होगी और यात्री बिना रुकावट अपने गंतव्य तक पहुंच सकेंगे।
सरकार का लक्ष्य है कि मार्च 2025 तक पूरे देश में इस नई GPS टोल वसूली प्रणाली को लागू कर दिया जाए। इस नई प्रणाली से वाहन चालकों को टोल प्लाजा पर लंबी कतार में खड़े होने से राहत मिलेगी। वर्तमान में FASTag से भुगतान हो रहा है, लेकिन GPS आधारित सिस्टम के आने से यह प्रक्रिया और भी सहज और पारदर्शी होगी।
GPS आधारित टोल कटने की प्रक्रिया
नई GPS आधारित टोल वसूली प्रणाली में वाहन में लगे GPS सिस्टम के जरिए टोल चार्ज अपने आप कट जाएगा। जब भी वाहन टोल क्षेत्र में प्रवेश करेगा, उस समय सिस्टम उस क्षेत्र की दूरी के अनुसार शुल्क काट लेगा। इसके लिए वाहन मालिक का बैंक खाता या वॉलेट GPS सिस्टम से लिंक रहेगा। इस तरीके से टोल टैक्स का भुगतान पूरी तरह से डिजिटल और पारदर्शी होगा।
इस प्रक्रिया में दूरी के अनुसार चार्ज काटने से यात्रियों को उतना ही भुगतान करना होगा, जितनी दूरी उन्होंने तय की है। इससे टोल चोरी की घटनाओं पर भी रोक लगेगी और सरकार को राजस्व का नुकसान नहीं होगा। साथ ही, वाहन चालकों को बिना किसी रोक-टोक के सफर करने में मदद मिलेगी।
FASTag से GPS टोल प्रणाली की ओर बदलाव
वर्तमान में देश में FASTag के माध्यम से टोल टैक्स वसूला जा रहा है, जो एक रेडियो फ्रीक्वेंसी आइडेंटिफिकेशन तकनीक पर आधारित है। इसके तहत वाहन पर लगे FASTag से स्कैन कर टोल चार्ज काटा जाता है। हालांकि, कई बार टोल प्लाजा पर नेटवर्क की समस्या या स्कैनिंग में दिक्कत की वजह से यात्रियों को परेशानी होती है।
GPS आधारित टोल प्रणाली से इन समस्याओं का समाधान हो जाएगा। इस नई प्रणाली में कोई स्कैनिंग की जरूरत नहीं होगी और वाहन के गुजरते ही अपने आप शुल्क कट जाएगा। इससे टोल प्लाजा पर लगने वाले ट्रैफिक जाम और समय की बर्बादी पूरी तरह से खत्म होगी। यह बदलाव डिजिटलीकरण की दिशा में एक बड़ा कदम है।
सरकार की योजना और रोडमैप
केंद्रीय सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी ने इस नई व्यवस्था की घोषणा की है। उनका कहना है कि मार्च 2025 तक पूरे देश में GPS आधारित टोल प्रणाली लागू कर दी जाएगी। इसके लिए वाहन निर्माताओं को नए वाहनों में GPS सिस्टम अनिवार्य रूप से लगाने के निर्देश दिए गए हैं। साथ ही पुराने वाहनों में भी GPS लगाने की प्रक्रिया को सरल बनाया जाएगा।
सरकार की इस योजना से टोल वसूली में पारदर्शिता बढ़ेगी और भ्रष्टाचार पर लगाम लगेगी। इसके अलावा सरकार का लक्ष्य टोल वसूली में राजस्व वृद्धि करना भी है। GPS आधारित प्रणाली से टोल चोरी के मामलों में कमी आएगी और सरकार को अधिक राजस्व मिलेगा, जिससे सड़क निर्माण और मेंटेनेंस के कार्यों में तेजी लाई जा सकेगी।
यात्रियों के लिए राहत और समय की बचत
GPS आधारित टोल प्रणाली से करोड़ों वाहन चालकों को राहत मिलेगी। उन्हें टोल प्लाजा पर रुकने की जरूरत नहीं होगी और लंबी कतारों में समय बर्बाद नहीं होगा। इससे ईंधन की भी बचत होगी और यात्रा का अनुभव बेहतर होगा। इसके अलावा टोल पर कैश लेनदेन बंद होने से धोखाधड़ी के मामलों में कमी आएगी।
यह नई प्रणाली देश की अर्थव्यवस्था को भी लाभ पहुंचाएगी। समय की बचत से लॉजिस्टिक सेक्टर में तेजी आएगी और माल ढुलाई सस्ती होगी। इसके अलावा वाहन चालकों को अपने रूट और खर्च पर नियंत्रण रखने में मदद मिलेगी, जिससे उनकी यात्रा सरल और सुरक्षित हो जाएगी।