Savings Account: देश के 5 सरकारी बैंकों ने बचत खातों में मिनिमम बैलेंस को लेकर बड़ा कदम उठाया है। अब खाताधारकों को राहत देने और खाते में सक्रियता बनाए रखने के लिए नए नियम लागू किए जा रहे हैं। इस फैसले से करोड़ों खाताधारकों को सीधा लाभ होगा और उन्हें पेनल्टी से भी राहत मिलेगी। बैंकिंग सेक्टर में यह बदलाव खाताधारकों के लिए बड़ा बदलाव साबित हो सकता है।
सरकारी बैंकों का मकसद ग्राहकों को बेहतर सुविधा देना और खाते में न्यूनतम राशि बनाए रखने में आसानी करना है। बैंक अब छोटे खाताधारकों की परेशानी को समझते हुए नियमों को आसान बना रहे हैं। इससे ग्रामीण और छोटे शहरों के खाताधारक ज्यादा लाभ ले सकेंगे और बिना डर के बैंक में पैसे जमा कर सकेंगे।
मिनिमम बैलेंस घटाने का निर्णय
SBI, PNB, Bank of Baroda, Canara Bank और Union Bank जैसे 5 बड़े सरकारी बैंकों ने मिनिमम बैलेंस को कम करने का निर्णय लिया है। पहले खातों में मिनिमम बैलेंस न रखने पर ग्राहकों को हर महीने पेनल्टी देनी पड़ती थी, जिससे गरीब और मध्यम वर्ग के खाताधारक परेशान होते थे। अब मिनिमम बैलेंस की सीमा कम होने से ग्राहकों पर दबाव कम होगा।
ग्राहकों के लिए यह राहत भरी खबर है, क्योंकि अब वे अपने खातों में कम राशि रखकर भी सक्रियता बनाए रख सकते हैं। बैंकों का मानना है कि इससे ग्राहक बैंकिंग से जुड़े रहेंगे और डिजिटल बैंकिंग को भी बढ़ावा मिलेगा। यह फैसला जनता की जरूरतों को ध्यान में रखकर लिया गया है।
ग्राहकों पर पेनल्टी का बोझ घटेगा
पहले मिनिमम बैलेंस न रखने पर खाताधारकों से 50 रुपये से 750 रुपये तक पेनल्टी वसूली जाती थी। कई गरीब और छात्र वर्ग के खाताधारक इस कारण से बैंक खाते को चालू नहीं रख पाते थे। अब मिनिमम बैलेंस की सीमा में कटौती से ग्राहकों पर पेनल्टी का बोझ काफी कम होगा।
इस बदलाव से ग्रामीण क्षेत्रों और छोटे व्यापारियों को सीधा लाभ मिलेगा। खाताधारक बैंक खातों में बिना पेनल्टी के लेनदेन जारी रख सकेंगे, जिससे वित्तीय जागरूकता और बैंकिंग का विस्तार होगा। यह कदम डिजिटल लेनदेन को भी प्रोत्साहित करेगा।
ग्रामीण और छोटे खाताधारकों को राहत
5 सरकारी बैंकों का यह कदम ग्रामीण क्षेत्रों में रहने वाले खाताधारकों के लिए विशेष रूप से लाभकारी होगा। ग्रामीण क्षेत्रों में अक्सर खातों में मिनिमम बैलेंस बनाए रखना मुश्किल होता है, जिससे लोग बैंकिंग से दूर होते जाते थे। नए नियम के तहत, कम इनकम वाले खाताधारक भी बिना किसी दबाव के बैंक खातों का उपयोग कर पाएंगे।
इससे ग्रामीण अर्थव्यवस्था में कैश फ्लो बेहतर होगा और लोग बैंकिंग सिस्टम में भरोसा रख पाएंगे। सरकारी बैंकों का यह कदम वित्तीय समावेशन को बढ़ाने में मदद करेगा। साथ ही, सरकारी योजनाओं के लाभ सीधे खाते में लेने में भी आसानी होगी।
बैंकों के लिए बढ़ेगी सक्रियता
मिनिमम बैलेंस कम करने का फैसला बैंकों के लिए भी फायदेमंद साबित होगा। खातों की सक्रियता बढ़ने से बैंकों को ज्यादा डिपॉजिट मिल सकेंगे और लेनदेन की संख्या भी बढ़ेगी। इससे बैंकिंग सिस्टम मजबूत होगा और बैंकों की आमदनी पर भी सकारात्मक असर पड़ेगा।
इस फैसले से खाताधारक बेझिझक अपने बैंक खाते का उपयोग कर सकेंगे। सरकार और RBI की तरफ से वित्तीय समावेशन को बढ़ावा देने की दिशा में यह बड़ा कदम माना जा रहा है। यह फैसला डिजिटल इंडिया और कैशलेस इकोनॉमी को भी आगे बढ़ाने में मदद करेगा।