Haryana News: जहां पहले यह इलाका साइबर क्राइम और नशाखोरी के लिए बदनाम था, अब वहीं के युवा खेल के मैदानों में पसीना बहाकर अपनी पहचान बना रहे हैं। प्रशासन और पुलिस की इस अनोखी कोशिश ने नूंह को नशे से दूर करने की दिशा में एक मजबूत कदम बढ़ाया है। इस पहल से न सिर्फ युवाओं का मनोबल बढ़ा है, बल्कि पूरे जिले में सकारात्मक बदलाव की लहर भी देखी जा रही है।
नूंह में खेलों के ज़रिए बदलाव की शुरुआत
नूंह जिले में पुलिस ने खाली पड़े स्टेडियमों और खेल मैदानों को फिर से जीवंत किया है। इन जगहों को साफ-सुथरा बनाकर युवाओं के लिए क्रिकेट, कबड्डी, बॉक्सिंग, भाला फेंक और बैडमिंटन जैसे खेलों की बेहतर सुविधाएं उपलब्ध कराई गई हैं। इस पहल के तहत युवाओं को सुबह-शाम खेलों में भाग लेने के लिए प्रेरित किया जा रहा है, जिससे वे नशे और अपराध से दूर रहें। इसके अलावा, खेलों के जरिए युवाओं को टीम वर्क और अनुशासन की सीख भी मिल रही है, जो उनकी जिंदगी में बहुत मददगार साबित हो रही है।
पुलिस और पूर्व सैनिकों की भूमिका
इस अभियान में पुलिसकर्मियों के साथ-साथ सेना और अर्धसैनिक बलों से सेवानिवृत्त खिलाड़ियों को भी जोड़ा गया है। ये अनुभवी खिलाड़ी युवाओं को प्रशिक्षित कर रहे हैं और उन्हें खेलों के प्रति जागरूक बना रहे हैं। इससे न केवल युवाओं का शारीरिक विकास हो रहा है, बल्कि वे विभिन्न फिटनेस परीक्षाओं के लिए भी बेहतर तरीके से तैयार हो रहे हैं। साथ ही, यह पहल युवाओं में आत्मविश्वास और नेतृत्व क्षमता बढ़ाने में भी सहायक साबित हो रही है, जो उनके समग्र विकास के लिए बहुत महत्वपूर्ण है।
माताओं की भागीदारी से नई दिशा
हरियाणा सरकार ने माताओं को भी इस अभियान में शामिल किया है। एक मोबाइल ऐप ‘मदर्स फॉर स्पोर्ट्स एंड फिटनेस’ के माध्यम से माताओं को नजदीकी खेल सुविधाओं की जानकारी दी जा रही है, ताकि वे अपने बच्चों को खेलों में भाग लेने के लिए प्रोत्साहित कर सकें। इससे बच्चों में खेलों के प्रति रुचि और सहभागिता बढ़ेगी और वे नशे से दूर रहेंगे। माताओं की सक्रिय भागीदारी ने परिवारों में सकारात्मक माहौल बनाया है, जो बच्चों के बेहतर भविष्य की ओर एक बड़ा कदम है।
युवाओं की सकारात्मक प्रतिक्रिया
इस पहल का युवाओं पर सकारात्मक प्रभाव पड़ा है। कई युवा, जो पहले नशे और अपराध की ओर बढ़ रहे थे, अब खेलों में अपनी अलग पहचान बना रहे हैं। उदाहरण के लिए, नागिना के रहने वाले अकरम ने बताया कि कैसे खेलों ने उन्हें एक नई राह दिखाई और वे अब अपने भविष्य को लेकर आशान्वित हैं। युवाओं की यह प्रतिक्रिया साफ दिखाती है कि खेल नशे से लड़ने का एक प्रभावी जरिया हो सकता है और इससे उनकी जिंदगी में स्थायी बदलाव आता है।
राज्यव्यापी अभियान की दिशा में कदम
हरियाणा सरकार ने राज्य भर में 1,100 खेल नर्सरी स्थापित करने की योजना बनाई है, ताकि युवाओं को खेलों के माध्यम से नशे से दूर रखा जा सके। इसके अलावा, ‘ढाकड़’ कार्यक्रम के तहत स्कूलों और कॉलेजों में छात्रों के समूह बनाए जा रहे हैं, जो नशे के आदी छात्रों की पहचान कर उन्हें सहायता और परामर्श प्रदान करेंगे। यह व्यापक योजना पूरे राज्य में नशा मुक्ति के लिए एक ठोस आधार तैयार कर रही है, जिससे आने वाले समय में और भी ज्यादा युवा स्वस्थ और नशामुक्त जीवन जी सकेंगे।
नूंह जिले में शुरू हुई यह पहल अब पूरे हरियाणा में फैल रही है। खेलों के माध्यम से नशे के खिलाफ यह लड़ाई एक नई उम्मीद की किरण बनकर उभरी है। यदि यह मॉडल सफल होता है, तो यह देश के अन्य हिस्सों के लिए भी एक प्रेरणा स्रोत बन सकता है। इस पहल से यह स्पष्ट हो रहा है कि सही दिशा और सहयोग से किसी भी सामाजिक समस्या को बड़े पैमाने पर जड़ से खत्म किया जा सकता है।