Personal Loan Rule: अगर आर्थिक तंगी से परेशान हैं और पर्सनल लोन की EMI नहीं भर पा रहे हैं तो घबराने की जरूरत नहीं है। ऐसी स्थिति में कुछ आसान और असरदार तरीके अपनाकर आप इस मुसीबत से बाहर निकल सकते हैं। कई बार लोग गलती से एक लोन चुकाने के लिए दूसरा लोन ले लेते हैं, जिससे वे कर्ज के गहरे दलदल में फंस जाते हैं। इससे बचना ही समझदारी है। नीचे दिए गए कुछ कदम अपनाकर आप इस संकट से राहत पा सकते हैं।
बैंक से थोड़ा समय मांग लेना
जब ईएमआई देने में परेशानी आने लगे तो सबसे पहले अपने बैंक या एनबीएफसी से संपर्क कर लेना चाहिए। उन्हें अपनी पूरी स्थिति साफ-साफ बता देनी चाहिए। बैंक को बताएं कि अभी कितने समय तक आप ईएमआई नहीं भर पाएंगे। बैंक आपकी स्थिति देखकर तय करता है कि वो आपको कुछ महीने या साल भर की राहत देगा या नहीं। कई बार बैंक आपके अनुरोध के मुताबिक पूरा समय दे देते हैं, और कभी-कभी थोड़ा कम वक्त भी दे सकते हैं। बस बात साफ तरीके से करनी होती है।
लोन को दोबारा बनवाने की गुजारिश करें
अगर जेब में पैसे नहीं हैं और ईएमआई नहीं दे पा रहे हैं तो बैंक से लोन को रीस्ट्रक्चर करने की रिक्वेस्ट कर सकते हैं। इससे आपको थोड़ी राहत मिलती है क्योंकि बैंक आपकी लोन की अवधि बढ़ा देता है और मासिक किस्त कम हो जाती है।
मान लीजिए आपने 5 साल के लिए 5 लाख का लोन लिया था और 3 साल तक नियमित ईएमआई दी, लेकिन अब दिक्कत आ गई है। तो बैंक बाकी बचे हुए अमाउंट के लिए नई अवधि तय कर सकता है जिससे आपकी ईएमआई थोड़ी कम हो जाए। इससे धीरे-धीरे भुगतान करने का वक्त भी मिल जाता है और बोझ भी हल्का लगता है।
बैलेंस ट्रांसफर करवा लेना
बाजार में बहुत सारे बैंक और वित्तीय संस्थान बैलेंस ट्रांसफर की सुविधा देते हैं। इसका मतलब होता है कि आप अपने पुराने लोन को चुकाने के लिए किसी नए बैंक से लोन ले लेते हैं जो कम ब्याज दर पर होता है। इससे आपके पुराने लोन की रकम भी खत्म हो जाती है और कुछ पैसे एक्स्ट्रा भी मिल जाते हैं जो काम आ सकते हैं।
ऐसे में कोशिश करें कि जिस बैंक या एनबीएफसी से नया लोन लें वो कम ब्याज पर दे रहा हो, ताकि आपकी जेब पर ज्यादा बोझ न पड़े। ध्यान रखें कि कुछ बैंक NBFC से लिए गए लोन को बैलेंस ट्रांसफर में शामिल नहीं करते, इसलिए पहले पूरी जानकारी लेनी चाहिए।
लोन सेटलमेंट का रास्ता अपनाएं
अगर आप बार-बार बैंक के फोन कॉल और मैसेज के बाद भी ईएमआई नहीं दे पा रहे हैं तो बैंक आपको सेटलमेंट का ऑप्शन देता है। इसे वन टाइम सेटलमेंट (OTS) कहते हैं। इसमें बैंक आपसे पूरी बकाया रकम की मांग नहीं करता, बल्कि एक तय राशि पर बात करता है जो आमतौर पर 10 से 50 फीसदी के बीच होती है।
अगर आप ये रकम तय समय पर भर देते हैं तो बाकी की रकम बैंक माफ कर देता है। इसके लिए बैंक आमतौर पर एक हफ्ते का समय देते हैं। ध्यान रखें कि एक बार लोन सेटलमेंट हो जाए तो अगली बार लोन मिलना थोड़ा मुश्किल हो सकता है, लेकिन संकट की घड़ी में ये एक अच्छा उपाय हो सकता है।
समझदारी से करें फैसले
जैसे ही आपको महसूस हो कि आपकी आमदनी घट रही है और खर्चे बढ़ रहे हैं, तो लोन और ईएमआई के मामलों में जल्द से जल्द सोचना शुरू कर दें। किसी भी हालत में लोन से भागना या छिपना सही तरीका नहीं है। बैंक से मिलकर बात करें, अपनी दिक्कत बताएं, और जो भी विकल्प सामने आए उन पर गंभीरता से विचार करें।
बैंक और फाइनेंशियल इंस्टीट्यूशन भी चाहते हैं कि कस्टमर उनके पैसे लौटाएं, इसलिए वो आपके हालात को समझने की कोशिश करते हैं। जरूरी नहीं कि आप अकेले ही इस स्थिति से गुजर रहे हों, कई लोग ऐसे दौर से गुजरते हैं। सही सलाह, सही समय और सोच-समझकर लिए फैसले आपकी आर्थिक स्थिति को फिर से पटरी पर ला सकते हैं।
तो अगली बार अगर लोन की ईएमआई देनी मुश्किल हो जाए तो खुद को कोसने की बजाय ऊपर बताए गए आसान से उपाय अपनाएं। न तो ज्यादा टेंशन लें, न ही जल्दबाजी में कोई गलत फैसला लें। सोच-समझकर, बैंक से बात करके और सही विकल्प चुनकर आप कर्ज के बोझ से धीरे-धीरे निकल सकते हैं।