Propoerty Rights

Property Rights: बिना शादी जन्मा बच्चा पिता की संपत्ति का हकदार है या नहीं? हाईकोर्ट ने दिया बड़ा फैसला

Property Rights: सोचिए अगर कोई बच्चा बिना शादी के जन्म ले और बड़े होकर उसे पता चले कि उसका बाप कोई और है, और वो बाप मर गया है तो क्या उसे उस बाप की जमीन-जायदाद में हिस्सा मिलेगा? ये सवाल एक बार नहीं, कई बार उठा है। लेकिन अब हाईकोर्ट ने इस पर एक ऐसा फैसला सुनाया है जिसने पूरे देश में हलचल मचा दी है। ये फैसला ना सिर्फ कानून को नई दिशा दे रहा है बल्कि समाज के उस हिस्से की भी आवाज़ बन गया है जिसे अब तक चुपचाप सब सहना पड़ता था।

हाईकोर्ट का क्या है फैसला?

हाल ही में एक केस में मध्यप्रदेश हाईकोर्ट ने कहा कि अगर कोई बच्चा बिना शादी के जन्मा है, तो भी वो अपने जैविक पिता की संपत्ति पर अधिकार जता सकता है। कोर्ट ने साफ कहा कि ऐसे बच्चों को समाज में ‘नाजायज’ या ‘अवैध’ मानकर उनके हक नहीं छीने जा सकते। इंसान जब पैदा होता है, तो उसे उसके अधिकार मिलना चाहिए, चाहे उसके माता-पिता ने शादी की हो या नहीं। ये फैसला उस केस में आया जहां एक युवक ने दावा किया था कि वो उस आदमी का बेटा है जिसने शादी नहीं की थी लेकिन उसे जन्म दिया।

 

कानून क्या कहता है ऐसे मामलों में?

अब अगर हम कानून की किताब में देखें तो हिंदू उत्तराधिकार अधिनियम 1956 के मुताबिक, अगर बच्चा शादी के बाहर जन्म लेता है और ये साबित हो जाए कि उसका बाप वही है जिसके नाम वो दावा कर रहा है, तो उसे संपत्ति में हिस्सा मिल सकता है। पर बात तब फँसती है जब बाप की शादी नहीं हुई थी या समाज ने उस रिश्ते को मान्यता नहीं दी हो। पहले ऐसे मामलों में ज्यादातर बच्चों को अधिकार नहीं मिलता था, क्योंकि उन्हें ‘अवैध संतान’ कह दिया जाता था। लेकिन अब अदालत ने साफ कर दिया है कि जन्म से कोई बच्चा गलत नहीं होता, हालात उसे उस रास्ते पर लाते हैं।

इस फैसले का समाज पर क्या असर पड़ेगा?

 

भारत में रिश्तों को लेकर सोच अभी भी बहुत परंपरागत है। बिना शादी के बच्चा होना आज भी बहुत बड़ी बात मानी जाती है। कई बार तो माँ-बेटा दोनों को समाज से तिरस्कार झेलना पड़ता है। लेकिन अब इस फैसले से उन बच्चों को उम्मीद की किरण मिल गई है जिन्हें अब तक समाज में अपनी पहचान साबित करनी पड़ती थी। ये फैसला उन लाखों बच्चों की आवाज़ बन गया है जिन्हें अब तक पिता की संपत्ति तो दूर, उनका नाम तक नहीं मिलता था।

क्या ऐसे बच्चों को अब कानूनी सहारा मिलेगा?

बिलकुल मिलेगा, लेकिन इसके लिए कुछ बातें जरूरी होंगी। सबसे पहली बात ये है कि बच्चा ये साबित कर पाए कि उसका जैविक पिता वही है। इसके लिए डीएनए टेस्ट सबसे बड़ा सबूत माना जाएगा। अगर अदालत में डीएनए से साबित हो जाए कि बच्चा उसी आदमी का है जिसकी संपत्ति की बात हो रही है, तो अब उस बच्चे को संपत्ति में अधिकार मिलेगा। हालांकि ये अधिकार सिर्फ पिता की स्व-निर्मित संपत्ति पर होगा, पैतृक संपत्ति (जो पिता को उसके बाप-दादा से मिली हो) पर मामला थोड़ा अलग हो सकता है।

फैसले से पहले और बाद में फर्क

पहले जब ऐसे मामले अदालतों में आते थे, तो बच्चों को सिर्फ अपनी मां की ओर से मिले हक मिलते थे। पिता अगर शादीशुदा नहीं था या उसने बच्चे को अपनाया नहीं था, तो अदालतें उनके हक की सुनवाई तक नहीं करती थीं। लेकिन अब हाईकोर्ट के इस फैसले के बाद ये बात साफ हो गई है कि जन्म के आधार पर कोई बच्चा किसी हक से वंचित नहीं रहेगा। इससे भविष्य में आने वाले कई मामलों में बच्चों को कानूनी ताकत मिलेगी।

ये फैसला सिर्फ एक कोर्ट का नहीं, बल्कि समाज के एक बड़े तबके के लिए इंसाफ की शुरुआत है। भारत जैसे देश में जहां परिवार और रिश्तों को बहुत बड़ा माना जाता है, वहाँ इस तरह का फैसला सोच को भी बदलने का काम करेगा। अब उन बच्चों को भी जीने का अधिकार मिलेगा जिन्हें अब तक अपनी पहचान छुपानी पड़ती थी। हाईकोर्ट का ये फैसला उन सबके लिए उम्मीद की एक नई रौशनी है, जो आज तक हाशिए पर थे।

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