Wheat Rate Hike: अबकी बार किसानों की मेहनत रंग लाई है। देश के कई राज्यों में गेहूं के दामों में ऐसा उछाल देखने को मिला है कि मंडियों में किसानों के चेहरे खिल उठे हैं। कई सालों बाद ऐसा मौका आया है जब फसल काटते ही किसानों को मंडी में उनकी उम्मीद से कहीं ज़्यादा दाम मिल रहे हैं। खासतौर पर मध्यप्रदेश, उत्तरप्रदेश, राजस्थान और हरियाणा जैसे राज्यों में गेहूं ₹2400 से ₹2550 प्रति क्विंटल तक बिक रहा है, जो कि सरकारी न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) ₹2275 से बहुत ऊपर है।
इस बार मंडियों में रौनक सिर्फ व्यापारियों की नहीं, बल्कि किसानों की भी है। जो किसान सालों से कम दामों की वजह से नाराज रहते थे, अब खुलकर कह रहे हैं कि यह मौका उनके लिए किसी इनाम से कम नहीं है। खास बात यह भी है कि सरकारी खरीदी की तुलना में प्राइवेट व्यापारियों की तरफ से ज्यादा दाम मिल रहा है, जिस वजह से किसान सरकारी केंद्रों की बजाय सीधी मंडी का रुख कर रहे हैं।
मंडियों में तेजी से बदला माहौल
कुछ हफ्तों पहले तक गेहूं की फसल को लेकर किसान संशय में थे कि इस बार क्या भाव मिलेंगे। लेकिन जैसे ही नई फसल की आवक शुरू हुई, बाजार ने इशारा दे दिया कि मांग ज़्यादा है और स्टॉक कम। इंदौर, भोपाल, उज्जैन, जयपुर, कोटा, कानपुर, लखनऊ, करनाल और कुरुक्षेत्र जैसी प्रमुख मंडियों में तेजी साफ दिखने लगी। किसान जैसे ही ट्रैक्टर में भरकर मंडी पहुंचे, उन्हें ₹2400 से ₹2550 के बीच रेट मिलने लगे।
पिछले साल जब दाम MSP के करीब भी नहीं पहुंच पा रहे थे, तब किसानों को अपनी फसल औने-पौने दामों में बेचनी पड़ी थी। लेकिन इस बार कहानी बदल गई है। जानकारों का कहना है कि यह उछाल अंतरराष्ट्रीय बाजार में गेहूं की कमी, रूस-यूक्रेन युद्ध, और भारत में स्टॉक की कमी की वजह से है।
किसानों को हुआ है असल फायदा
एक सामान्य किसान के लिए प्रति क्विंटल ₹300 से ₹400 का ज़्यादा भाव बहुत मायने रखता है। इससे उसकी लागत निकलने के साथ-साथ मुनाफा भी हो रहा है। कई किसान तो मंडियों में गेहूं बेचने की बजाय अभी रोक कर बैठे हैं ताकि रेट और बढ़ जाएं। कुछ जगहों पर व्यापारियों ने किसानों को अग्रीम राशि भी दी है, ताकि वो उनकी फसल पहले से खरीद सकें।
जिन किसानों ने फसल बेच दी, उनके अनुसार इस बार लाभ प्रतिशत 20 से 25% तक पहुंच गया है। इससे किसानों का मनोबल बढ़ा है और वो फिर से गेहूं की खेती को लेकर उत्साहित हैं। किसान संगठनों ने भी सरकार से मांग की है कि ऐसे बाजार-आधारित भाव को बढ़ावा दिया जाए ताकि किसान को सही मेहनताना मिल सके।
दामों की ऊँचाई में कौन से राज्य सबसे आगे
अगर बात की जाए गेहूं के सर्वाधिक भाव की, तो मध्यप्रदेश अभी सबसे आगे चल रहा है। इंदौर और उज्जैन मंडी में ₹2550 का भाव देखा गया, जो MSP से ₹275 ज़्यादा है। वहीं राजस्थान के कोटा और भरतपुर में भी ₹2500 के करीब रेट मिल रहा है।
उत्तरप्रदेश में कानपुर, लखनऊ, वाराणसी और प्रयागराज की मंडियों में ₹2450 से ₹2500 तक का रेट देखा गया। हरियाणा की करनाल और कुरुक्षेत्र मंडी में भी ₹2480 के आसपास का भाव चल रहा है। पंजाब में अभी भी ज्यादातर खरीदी सरकारी MSP पर हो रही है, लेकिन खुले बाजार में वहां भी रेट धीरे-धीरे ऊपर चढ़ रहा है।
क्या आने वाले हफ्तों में रेट और बढ़ेंगे
जानकारों की मानें तो अगर मौसम साथ देता रहा और सरकार आयात या ओपन मार्केट सेल स्कीम का सहारा नहीं लेती, तो गेहूं के रेट में और इजाफा हो सकता है। अंतरराष्ट्रीय स्तर पर गेहूं की कमी ने भारतीय बाजार को बड़ा मौका दिया है।
हालांकि अगर सरकार ने दाम को कंट्रोल करने के लिए स्टॉक जारी किया या आयात को मंजूरी दी, तो बाजार थोड़ा ठंडा पड़ सकता है। लेकिन तब तक किसानों को जो फायदा मिल रहा है, वह शायद लंबे समय बाद मिला है। इससे आने वाले वर्षों में गेहूं उत्पादन में बढ़ोतरी की भी संभावना है।
खेती की ओर लौटता विश्वास
लंबे समय से किसान खेती से हटते जा रहे थे क्योंकि लागत ज़्यादा थी और दाम कम। लेकिन इस बार जो तस्वीर सामने आई है, उसने किसानों को एक बार फिर खेती की ओर लौटने की वजह दी है। रबी फसल में खासकर गेहूं ने किसानों की जेब में वो राहत दी है जिसकी उन्हें ज़रूरत थी।
इस समय सबसे जरूरी बात यह है कि किसान जागरूक बने रहें, मंडियों में दामों की जानकारी लें और जल्दबाजी में फसल न बेचें। मंडी की चाल समझकर सही समय पर बेचने से ही असली मुनाफा मिल सकता है।