Bank Locker Rule: अगर आप अपनी कीमती ज्वेलरी, दस्तावेज़ या नकदी बैंक लॉकर में रखते हैं तो आपके मन में ये सवाल जरूर आता होगा – क्या मेरी संपत्ति बैंक में वाकई सुरक्षित है? और अगर चोरी, आग या किसी हादसे से लॉकर में रखी चीज़ें नष्ट हो जाएं तो क्या बैंक इसकी भरपाई करेगा? अब इसको लेकर जो नए नियम 2025 में लागू किए गए हैं, वे ग्राहकों को थोड़ा सुकून जरूर देंगे, लेकिन साथ में कुछ नई जिम्मेदारियां भी लेकर आए हैं।
RBI ने बैंक लॉकर को लेकर जो नए दिशा-निर्देश जारी किए हैं, उसमें लॉकर धारक और बैंक दोनों की भूमिका स्पष्ट की गई है। पहले जहां बैंक किसी भी नुकसान के लिए पूरी तरह जिम्मेदार नहीं माने जाते थे, वहीं अब अगर बैंक की लापरवाही पाई जाती है, तो बैंक को मुआवजा देना ही होगा। यह बदलाव उन लाखों ग्राहकों के लिए राहत भरा है जो सालों से बैंक लॉकर को लेकर असमंजस में थे।
2025 के नए नियम क्या कहते हैं
भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) ने 1 जनवरी 2022 से लॉकर नियमों में बदलाव किया था, लेकिन अब 2025 में इसे और अधिक पारदर्शी और ग्राहक हितैषी बनाने के लिए सुधार किया गया है। नए नियमों के मुताबिक, यदि बैंक की गलती या लापरवाही से लॉकर में रखी संपत्ति को कोई नुकसान होता है – जैसे कि चोरी, आग, पानी से नुकसान या अन्य कोई घटना – तो बैंक को ₹5 लाख तक का मुआवजा देना होगा।
ये मुआवजा सिर्फ उसी स्थिति में मिलेगा जब यह साबित हो जाए कि नुकसान बैंक की सुरक्षा व्यवस्था की कमी की वजह से हुआ है। यानी अगर लॉकर में रखा सामान प्राकृतिक आपदा, ग्राहक की गलती या किसी बाहरी कारण से नष्ट होता है, तो बैंक की जिम्मेदारी नहीं बनती। इस नियम का उद्देश्य ग्राहकों को भरोसा देना है कि बैंक में रखा सामान कुछ हद तक तो सुरक्षित है।
बैंक और ग्राहक – दोनों की जिम्मेदारी तय
RBI के नियम अब इस बात पर ज़ोर देते हैं कि केवल बैंक ही नहीं, लॉकर धारक की भी कुछ ज़िम्मेदारियां तय की गई हैं। मसलन, लॉकर को नियमित रूप से इस्तेमाल करना, समय पर फीस जमा करना और बैंक से संवाद बनाए रखना अब ग्राहक की जिम्मेदारी होगी। अगर कोई ग्राहक सालों तक लॉकर नहीं खोलता या समय पर फीस नहीं देता तो बैंक उसे नियम अनुसार नोटिस भेज सकता है और एक निश्चित प्रक्रिया के बाद लॉकर को खाली भी कर सकता है।
दूसरी तरफ, बैंक को यह सुनिश्चित करना होगा कि लॉकर रूम में सीसीटीवी कैमरे हों, एंट्री-एग्जिट का रिकॉर्ड ठीक से रखा जाए और लॉकर तक केवल अधिकृत व्यक्ति ही पहुंच पाए। यदि इन मानकों में चूक पाई गई, तो बैंक पर कार्रवाई तय है। इससे लॉकर सिस्टम पहले की तुलना में ज्यादा सुरक्षित और नियंत्रित हो गया है।
लॉकर समझौता अब जरूरी दस्तावेज
2025 से लागू नए नियम के तहत बैंक और ग्राहक के बीच लॉकर एग्रीमेंट करना अनिवार्य हो गया है। यह समझौता ग्राहक की सुरक्षा और बैंक की जिम्मेदारी को स्पष्ट करता है। लॉकर खोलते समय ग्राहक को बैंक की तरफ से एक एग्रीमेंट दिया जाएगा, जिसमें दोनों पक्षों की जिम्मेदारियां, नियम और शर्तें लिखी होंगी।
इसमें यह भी साफ लिखा होगा कि कौन-कौन लॉकर का संचालन कर सकता है, किस स्थिति में लॉकर को सील किया जा सकता है और ग्राहक के अधिकार क्या हैं। पहले कई ग्राहक इस दस्तावेज को बिना पढ़े साइन कर देते थे, लेकिन अब इसकी प्रति ग्राहक को दी जाएगी ताकि वह अपनी ज़िम्मेदारियों से अवगत रहे और भविष्य में कोई गलतफहमी न हो।
मुआवजे की सीमा और उसके लिए प्रक्रिया क्या है
नए नियमों के तहत अगर बैंक की लापरवाही साबित होती है, तो अधिकतम ₹5 लाख तक का मुआवजा दिया जा सकता है। इसके लिए ग्राहक को संबंधित बैंक शाखा में लिखित शिकायत देनी होगी और यह बताना होगा कि कैसे बैंक की गलती से संपत्ति का नुकसान हुआ।
बैंक की जांच टीम पूरे मामले की समीक्षा करेगी और यदि उनकी गलती पाई गई, तो तय प्रक्रिया के तहत मुआवजा दिया जाएगा। लेकिन ध्यान देने वाली बात यह है कि ग्राहक को लॉकर में रखे सामान की वैल्यू साबित करनी होगी – यानी अगर आपने ज्वेलरी रखी है, तो उसके बिल, फोटो या अन्य दस्तावेज़ पहले से संभालकर रखें। बिना सबूत के दावा करना मुश्किल हो सकता है।
👉 यह जानकारी अपने परिवार और दोस्तों के साथ ज़रूर शेयर करें ताकि वे भी बैंक लॉकर से जुड़ी नई गाइडलाइंस को समझ सकें और अपने कीमती सामान को सही तरीके से सुरक्षित रख सकें।