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Covid-19 : कोरोना मामलों में फिर उछाल, वैक्सीन की स्थिति पर देश की नजरें, सरकार अलर्ट मोड में

Covid-19 : देश एक बार फिर उस मोड़ पर आ खड़ा हुआ है जहां से कुछ साल पहले एक महामारी की डरावनी शुरुआत हुई थी। कोविड-19 के मामलों में बीते कुछ हफ्तों से बढ़ोतरी देखी जा रही है, और इसे लेकर सरकार से लेकर आम जनता तक सभी सतर्क हो चुके हैं। जिन लोगों को लगा था कि अब कोरोना पूरी तरह खत्म हो चुका है, उनके लिए यह नया उभार किसी चेतावनी से कम नहीं।

हालांकि, इस बार एक बड़ा फर्क यह है कि देश के पास वैक्सीन का अनुभव और स्टॉक दोनों मौजूद हैं। लेकिन सवाल ये उठ रहा है कि क्या वर्तमान में भारत के पास पर्याप्त वैक्सीन का भंडार है या नहीं? और अगर मामले और बढ़ते हैं, तो क्या हम तीसरी या चौथी लहर जैसी किसी स्थिति से निपटने के लिए तैयार हैं?

सरकारी आंकड़ों के अनुसार वर्तमान वैक्सीन स्टॉक

स्वास्थ्य मंत्रालय की हालिया रिपोर्ट के अनुसार, भारत के पास इस समय करीब 4 करोड़ डोज़ का सक्रिय स्टॉक मौजूद है। इसमें Covishield, Covaxin और कुछ हद तक CorBEvax और iNCOVACC जैसी वैक्सीन शामिल हैं। हालांकि, इन स्टॉक में से एक बड़ा हिस्सा उन वैक्सीन का है जिनकी एक्सपायरी डेट नजदीक है। रिपोर्ट में यह भी बताया गया है कि कई राज्यों में वैक्सीन का उपयोग न होने के कारण कुछ डोज़ बर्बाद भी हो गई हैं।

इसके बावजूद केंद्र सरकार ने राज्यों से कहा है कि वे मौजूदा स्टॉक का तेजी से उपयोग करें और किसी भी नए मामले को लेकर सतर्क रहें। को-विन पोर्टल पर अब भी वैक्सीन की उपलब्धता अपडेट की जा रही है, और बूस्टर डोज़ या ‘प्रिकॉशन डोज़’ लेने वालों की संख्या धीरे-धीरे फिर बढ़ रही है। खासकर बुजुर्गों और फ्रंटलाइन वर्कर्स के लिए वैक्सीन की प्राथमिकता दोबारा से तय की जा रही है।

राज्य सरकारों की तैयारियां और जमीनी हकीकत

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देश के कई राज्यों ने कोरोना मामलों की बढ़ती संख्या को देखते हुए अपनी-अपनी तैयारी शुरू कर दी है। महाराष्ट्र, केरल, दिल्ली, तमिलनाडु और कर्नाटक जैसे राज्यों में एक बार फिर से मास्क पहनना अनिवार्य किया जा रहा है। अस्पतालों में आइसोलेशन वार्ड फिर से एक्टिव किए जा रहे हैं और RT-PCR टेस्टिंग में भी तेजी लाई जा रही है।

राज्यों ने केंद्र से अपील की है कि उन्हें जरूरत के हिसाब से वैक्सीन डोज़ की सप्लाई दी जाए, क्योंकि कई जिलों में स्टॉक या तो खत्म हो गया है या एक्सपायर होने की कगार पर है। ग्रामीण इलाकों में जागरूकता की कमी और वैक्सीन को लेकर फिर से उपजी आशंका प्रशासन के लिए चुनौती बन रही है।

इस बार सरकार कोशिश कर रही है कि वैक्सीन कैंप छोटे शहरों और कस्बों में फिर से लगाए जाएं ताकि लोग समय रहते बूस्टर डोज़ ले सकें और संक्रमण की चेन को फिर से कमजोर किया जा सके।

फार्मा कंपनियों की भूमिका और उत्पादन की स्थिति

भारत बायोटेक और सीरम इंस्टीट्यूट जैसी वैक्सीन निर्माता कंपनियों ने फिलहाल नए उत्पादन को धीमा कर दिया था क्योंकि वैक्सीन की मांग में भारी गिरावट आई थी। लेकिन अब जैसे ही केस बढ़ने लगे हैं, इन कंपनियों ने फिर से स्टैंडबाय मोड में उत्पादन शुरू करने की योजना बनाई है।

सीरम इंस्टीट्यूट ने हाल ही में बयान जारी कर बताया कि अगर सरकार आदेश देती है, तो वे 2 हफ्ते के अंदर 5 करोड़ डोज़ का उत्पादन फिर से शुरू कर सकते हैं। भारत बायोटेक ने भी अपने प्लांट्स को मेंटेनेंस से निकाल कर तैयार रखने की बात कही है। हालांकि, उत्पादन से पहले सरकार को इन कंपनियों से मांग के हिसाब से ऑर्डर देने होंगे ताकि समय पर डिलीवरी हो सके।

यह भी देखा जा रहा है कि सरकार इस बार वैक्सीन की वेस्टेज नहीं चाहती, इसलिए केवल जरूरत के अनुसार स्टॉक तैयार किया जाएगा। फार्मा कंपनियों ने भी स्पष्ट कर दिया है कि वे केवल सरकारी निर्देशों के अनुसार ही उत्पादन करेंगी।

लोगों की जागरूकता और जिम्मेदारी की भूमिका

महामारी से लड़ने में जितना योगदान सरकार और हेल्थ सिस्टम का होता है, उतना ही बड़ा योगदान आम लोगों का भी होता है। इस बार सबसे ज्यादा जरूरी है कि लोग खुद से वैक्सीन के लिए आगे आएं। कई लोगों ने अब तक बूस्टर डोज़ नहीं ली है, या वे मान चुके हैं कि अब कोरोना खत्म हो चुका है।

सरकार की ओर से नए जागरूकता अभियान चलाने की योजना है ताकि हर आयु वर्ग के लोग समझें कि संक्रमण का खतरा फिर सिर उठा रहा है और इससे लड़ने का सबसे असरदार हथियार वैक्सीन ही है।

इसके साथ ही मास्क पहनना, हाथ धोना और भीड़-भाड़ से बचना अब फिर से जरूरी होता जा रहा है। अगर जनता ने समय रहते सजगता दिखाई तो वैक्सीन स्टॉक का सही उपयोग भी होगा और संक्रमण की रफ्तार भी थमेगी। ऐसे में यह जिम्मेदारी सिर्फ सरकार या फार्मा कंपनियों की नहीं, हम सबकी है।

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