CIBIL Score: भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने हाल ही में रेपो रेट में 25 बेसिस पॉइंट की कटौती की है, जिससे होम लोन लेने वालों को राहत मिल सकती है। अब उम्मीद की जा रही है कि बैंक जल्द ही अपने होम लोन की ब्याज दरें घटा सकते हैं। इससे आपकी ईएमआई का बोझ हल्का हो सकता है और लोन चुकाना थोड़ा आसान हो जाएगा। हालांकि अभी बैंकों ने कोई ऑफिशियल रेट कट की घोषणा नहीं की है, लेकिन विशेषज्ञों का कहना है कि अगले कुछ हफ्तों में इसका असर ज़रूर दिखेगा। अगर आप घर खरीदने की सोच रहे हैं तो ये समय फायदे का हो सकता है, बस सही प्लानिंग की ज़रूरत है।
होम लोन के लिए इंतजार करना फायदेमंद हो सकता है
अगर आपने घर लेने का मन बना लिया है लेकिन ब्याज दरों को लेकर असमंजस में हैं, तो थोड़े दिन रुकना बेहतर होगा। बैंकों को RBI की रेट कटौती का असर अपने लोन प्रोडक्ट्स में लागू करने में कुछ समय लगता है। अगर आप थोड़ा इंतजार करते हैं तो शायद आपको कम ब्याज दर पर लोन मिल सके। इससे न सिर्फ EMI कम होगी, बल्कि लोन की कुल लागत भी घट जाएगी। ये कदम खासकर मिडिल क्लास के लिए काफी राहत भरा हो सकता है। इसके अलावा, कुछ बैंक समय-समय पर ऑफर्स भी देते हैं जो आपको इस वक्त लाभ में डाल सकते हैं।
सिबिल स्कोर क्या होता है और इसकी क्या अहमियत है
सिबिल स्कोर, जिसे क्रेडिट स्कोर भी कहते हैं, यह 3 अंकों का एक नंबर होता है जो आपकी फाइनेंशियल आदतों को दर्शाता है। यह स्कोर बताता है कि आपने पहले लिए गए लोन या क्रेडिट कार्ड की किस्तें कितनी समय पर चुकाई हैं। इसमें आपकी क्रेडिट हिस्ट्री, मौजूदा उधारी, नए लोन की संख्या और पुराने लोन का व्यवहार शामिल होता है। बैंक इसी स्कोर के आधार पर तय करते हैं कि आपको लोन देना सुरक्षित है या नहीं। यह आपके पूरे लोन प्रोफाइल की नींव होता है और इसे बेहतर बनाए रखना बहुत जरूरी होता है।
होम लोन के लिए कितना होना चाहिए क्रेडिट स्कोर
होम लोन के लिए आवेदन करते समय क्रेडिट स्कोर सबसे अहम फैक्टर होता है, जो सीधे आपकी पात्रता और ब्याज दर को प्रभावित करता है। ज़्यादातर बैंक 650 से ऊपर के स्कोर को स्वीकार करते हैं, लेकिन 750+ स्कोर वालों को लोन न केवल जल्दी मिल जाता है बल्कि बेहतर शर्तों के साथ भी। अगर स्कोर बहुत अच्छा है, तो बैंक प्रोसेसिंग फीस में भी छूट दे सकते हैं। इसके अलावा, लोन अप्रूवल का समय भी कम लगता है और डॉक्यूमेंटेशन आसान हो जाता है। इसलिए पहले से स्कोर को सुधारना फायदेमंद साबित होता है।
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स्कोर के आधार पर क्या होता है असर
अगर आपका क्रेडिट स्कोर 750 से ऊपर है, तो बैंक आपको फर्स्ट प्रायोरिटी पर रखते हैं और लोन अप्रूवल काफी आसान हो जाता है। 700–749 स्कोर वाले लोगों को भी लोन मिल जाता है लेकिन शर्तें थोड़ी सख्त हो सकती हैं। 650–699 स्कोर पर बैंक कुछ अतिरिक्त जानकारी मांग सकते हैं और ब्याज दर थोड़ी ऊंची रख सकते हैं। वहीं 650 से नीचे स्कोर वालों को या तो ज्यादा डाउन पेमेंट करना पड़ता है या को-एप्लिकेंट जोड़ना पड़ता है। इसलिए स्कोर के हिसाब से ही लोन मिलने और उसकी शर्तें तय होती हैं।
क्रेडिट स्कोर सुधारने के जरूरी स्टेप्स
अगर आपका स्कोर कम है तो घबराएं नहीं, इसे बेहतर बनाने के लिए कुछ आसान उपाय हैं। सबसे जरूरी है कि समय पर EMI और क्रेडिट कार्ड का भुगतान करें, चाहे रकम कितनी भी हो। कोशिश करें कि अपने कार्ड की लिमिट का 30% से ज्यादा इस्तेमाल न करें। एक साथ कई जगह लोन या क्रेडिट के लिए आवेदन करना भी स्कोर को नुकसान पहुंचा सकता है। अपनी खर्च की आदतों पर नियंत्रण रखें और धीरे-धीरे आपका स्कोर ऊपर जाएगा। एक बार स्कोर अच्छा हो गया तो होम लोन मिलना आसान हो जाएगा।
सिबिल रिपोर्ट चेक करना क्यों है जरूरी
कई बार आपका स्कोर सही होने के बावजूद भी आपको लोन में दिक्कत आती है, इसका कारण आपकी सिबिल रिपोर्ट में गलत जानकारी हो सकती है। आप साल में एक बार मुफ्त में सिबिल की वेबसाइट से अपनी रिपोर्ट डाउनलोड कर सकते हैं। अगर उसमें कोई पुराना या गलत डेटा हो तो उसे ठीक कराने की रिक्वेस्ट भी कर सकते हैं। रिपोर्ट में लिखा हर डेटा आपके लोन अप्रूवल पर असर डाल सकता है, इसलिए समय-समय पर इसे चेक करना फायदेमंद होता है। इसे आदत बनाएं और समय रहते सुधार करवाएं।
को-एप्लिकेंट बनाकर कैसे बढ़ाएं चांस
अगर आपका स्कोर कम है तो आप किसी भरोसेमंद सदस्य को को-एप्लिकेंट बनाकर साथ में आवेदन कर सकते हैं। खासकर पति/पत्नी, भाई या माता-पिता में से किसी का स्कोर अच्छा हो तो आपकी फाइल मजबूत हो जाती है। कई बैंक महिला को-एप्लिकेंट होने पर ब्याज दर में कुछ प्रतिशत की छूट भी देते हैं। इससे ना सिर्फ लोन मिलने की संभावना बढ़ती है बल्कि EMI भी कम होती है। यह तरीका उन लोगों के लिए फायदेमंद है जिनका स्कोर अभी ठीक नहीं है।
लोन की अवधि बढ़ाएं और ईएमआई कम करें
अगर आपकी EMI ज्यादा बन रही है और बैंक का रिस्क ज़्यादा लग रहा है, तो आप लोन की अवधि बढ़ाकर EMI को हल्का कर सकते हैं। इससे बैंक को भरोसा होता है कि आप आराम से किस्त चुका सकते हैं। जैसे अगर आप 15 साल के बजाय 25 साल का लोन लेते हैं तो आपकी EMI कम हो जाएगी। हालांकि कुल ब्याज थोड़ा ज़्यादा चुकाना पड़ेगा, लेकिन शुरुआत में ये तरीका आपकी लोन फाइल को मजबूत करता है। भविष्य में आप प्रीपेमेंट कर सकते हैं।
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नियमित आय दिखाना बहुत जरूरी
बैंक हमेशा ऐसे लोगों को लोन देने में दिलचस्पी लेते हैं जिनकी आय नियमित और स्पष्ट हो। अगर आप सैलरीड हैं तो अपनी सैलरी स्लिप, फॉर्म 16 और बैंक स्टेटमेंट तैयार रखें। यदि आप बिजनेस करते हैं तो आपकी आय और टैक्स से जुड़ी डॉक्यूमेंटेशन बिल्कुल साफ होनी चाहिए। एक स्थायी और भरोसेमंद आय का सोर्स आपकी फाइल को मजबूत करता है और बैंक को लोन देने में भरोसा आता है। इससे ब्याज दर पर भी पॉजिटिव असर पड़ता है।
सिबिल स्कोर से बनती है आपकी लोन की तस्वीर
सिबिल स्कोर आपकी पूरी लोन पात्रता की तस्वीर साफ करता है। जितना बेहतर स्कोर, उतना आसान लोन। बेहतर स्कोर से आपको सिर्फ लोन मिलने में मदद नहीं मिलती, बल्कि कम ब्याज, कम EMI और तेज अप्रूवल का भी फायदा होता है। अगर अभी स्कोर कम है, तो नियमित भुगतान, रिपोर्ट की जांच और सही क्रेडिट व्यवहार से आप इसे सुधार सकते हैं। साथ ही, को-एप्लिकेंट जोड़ना, ज्यादा डाउन पेमेंट और सही दस्तावेज भी आपकी मदद कर सकते हैं।
Disclaimer
यह लेख केवल जानकारी देने के लिए लिखा गया है और इसे फाइनेंशियल सलाह नहीं माना जाना चाहिए। होम लोन लेने से पहले अपनी आय, खर्च और भविष्य की योजना को ध्यान में रखें। किसी भी फैसले से पहले विशेषज्ञ की सलाह ज़रूर लें। बैंकों की शर्तें और ब्याज दरें समय के साथ बदलती रहती हैं, इसलिए ऑफिशियल जानकारी के लिए संबंधित बैंक या संस्था से संपर्क करें।