Ankita Bhandari

अंकिता भंडारी के दोषियों को फांसी दिलाने हाईकोर्ट जाएंगे माता-पिता, निचली अदालत के फैसले को देंगे चुनौती

Ankita Bhandari Murder Case : उत्तराखंड की बेटी अंकिता भंडारी की दर्दनाक हत्या ने पूरे देश को झकझोर कर रख दिया था। एक मेहनती, ईमानदार और सपनों से भरी लड़की को बेहरमी से मार दिया गया, और आज भी उसकी आत्मा को इंसाफ नहीं मिल पाया है। हाल ही में निचली अदालत ने इस मामले में तीन दोषियों को दोषी तो ठहराया, लेकिन मृत्युदंड की बजाय उम्रकैद की सजा सुनाई, जिससे अंकिता के माता-पिता और लाखों लोगों के दिलों में मायूसी छा गई है।

अब अंकिता भंडारी के माता-पिता ने ऐलान किया है कि वे निचली अदालत के इस फैसले को हाईकोर्ट में चुनौती देंगे। उनका कहना है कि यह केवल एक लड़की की हत्या नहीं थी, बल्कि पूरे समाज की नैतिकता और भरोसे की हत्या थी। वे चाहते हैं कि दोषियों को फांसी की सजा मिले ताकि आने वाले समय में कोई और बेटी इस तरह की बर्बरता का शिकार न हो।

न्याय की उम्मीद और कोर्ट का फैसला

 

23 सितंबर 2022 को अंकिता भंडारी की लाश ऋषिकेश के पास एक नहर से बरामद हुई थी। मामले में पुलकित आर्य, जो एक रिजॉर्ट का मालिक और पूर्व भाजपा नेता का बेटा है, मुख्य आरोपी पाया गया था। उसके साथ दो अन्य आरोपी भी थे – अंकित गुप्ता और सौरभ। जांच में सामने आया कि अंकिता पर रिजॉर्ट के ग्राहकों को ‘स्पेशल सर्विस’ देने का दबाव डाला जा रहा था, और जब उसने इसका विरोध किया, तो उसकी हत्या कर दी गई।

अब जब मामले में कोर्ट ने तीनों को दोषी मानते हुए उम्रकैद की सजा सुनाई, तो भंडारी परिवार को यह फैसला अधूरा लगा। उनका कहना है कि यह केवल एक औपचारिक न्याय है, असल न्याय तब होगा जब ऐसे वहशी दरिंदों को मौत की सजा दी जाए।

माता-पिता का दर्द और जनता का समर्थन

 

अंकिता के माता-पिता ने कोर्ट के फैसले के बाद मीडिया से बातचीत में कहा कि वे हार मानने वाले नहीं हैं। उनकी बेटी को बेरहमी से मार दिया गया, उसकी इज्जत को रौंदा गया, और अब अदालत का यह फैसला उन्हें अधूरा लगता है। उनका कहना है कि वे जल्द ही उत्तराखंड हाईकोर्ट में याचिका दायर करेंगे और दोषियों को फांसी दिलवाने की लड़ाई लड़ेंगे।

इस पूरे मामले को लेकर जनता में भी भारी गुस्सा है। सोशल मीडिया से लेकर सड़कों तक लोग अंकिता के लिए न्याय की मांग कर रहे हैं। “#JusticeForAnkita” एक बार फिर से ट्रेंड करने लगा है। खासकर महिलाएं और युवा इस फैसले से आहत हैं। लोगों का कहना है कि जब तक दोषियों को सबसे कड़ी सजा नहीं मिलेगी, तब तक ऐसे मामलों में कमी नहीं आएगी।

कानूनी प्रक्रिया और सरकार की भूमिका

कानून के तहत निचली अदालत के फैसले को ऊपरी अदालत में चुनौती दी जा सकती है। भंडारी परिवार ने साफ कर दिया है कि वे इसी दिशा में कदम बढ़ा चुके हैं। उनके वकील ने बताया कि उन्होंने फैसले की कॉपी हासिल कर ली है और जल्द ही हाईकोर्ट में अपील दाखिल की जाएगी।

 

उत्तराखंड सरकार ने इस मामले की जांच SIT से करवाई थी, लेकिन पीड़ित परिवार का आरोप है कि जांच में जानबूझकर देरी की गई, कई अहम सबूतों को नजरअंदाज किया गया, और कुछ जगहों पर प्रभावशाली लोगों को बचाने की कोशिश की गई। अब जब मामला हाईकोर्ट जाएगा, तो यह देखना अहम होगा कि वहां कितनी पारदर्शिता और सख्ती बरती जाती है।

सरकार की भूमिका भी इस मामले में अब जांच के दायरे में है। जब अंकिता की हत्या हुई थी, तब सरकार ने रिजॉर्ट को रातों-रात बुलडोजर से गिरा दिया, जिससे कई अहम सबूत खत्म हो गए। इसी वजह से जनता का गुस्सा अब सरकार की कार्यप्रणाली पर भी उठने लगा है।

न्याय व्यवस्था और समाज की अपेक्षा

अंकिता भंडारी सिर्फ एक केस नहीं है, वह पूरे सिस्टम पर सवाल है। यह सवाल है कि जब कोई बेटी अपनी मेहनत से जीवन बनाना चाहती है, तो उसे क्यों दरिंदों के सामने झुकने को मजबूर किया जाता है? क्यों कानून की प्रक्रिया इतनी धीमी है कि आरोपी सालों तक बाहर घूमते रहते हैं?

 

अगर इस मामले में दोषियों को फांसी नहीं मिलती, तो यह सिर्फ भंडारी परिवार की नहीं, पूरे समाज की हार होगी। यही वजह है कि अब हर आम आदमी चाहता है कि न्याय में देर न हो, और न्याय इतना मजबूत हो कि भविष्य में कोई पुलकित, अंकित या सौरभ ऐसा दुस्साहस न कर सके। अंकिता की चुप तस्वीर अब देश के हर उस कोने में गूंज रही है जहां बेटियां खुद को असुरक्षित महसूस करती हैं। और यह गूंज तब तक रुकेगी नहीं जब तक न्याय पूरी तरह से नहीं मिल जाता।

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