बिहार गोबर गैस योजना 2025: बिहार सरकार एक बार फिर किसानों के लिए एक ऐसी योजना लेकर आई है जो सीधे तौर पर उनके रोज़मर्रा के जीवन से जुड़ी है। राज्य में पशुपालन करने वाले लाखों परिवारों के लिए गोबर अब सिर्फ खाद का जरिया नहीं रहेगा, बल्कि ऊर्जा का एक बड़ा साधन बन चुका है। बिहार गोबर गैस योजना 2025 के तहत अब किसान अपने घर में गोबर गैस प्लांट लगवा सकते हैं और इसके लिए सरकार ₹22,500 तक की सब्सिडी भी दे रही है। यह योजना खासतौर पर ग्रामीण इलाकों के उन लोगों के लिए फायदेमंद है जिनके पास पशु हैं और जो अपने घर की रसोई का खर्च घटाना चाहते हैं।
अब समय आ गया है कि गांव का किसान खुद से अपनी रसोई के लिए गैस बनाए और एलपीजी सिलेंडर की महंगाई से राहत पाए। इस योजना की सबसे बड़ी खासियत ये है कि इसमें सरकार सीधे किसान के खाते में सब्सिडी ट्रांसफर करती है। इसके लिए ना तो लंबी कागज़ी कार्रवाई है और ना ही बाबुओं के चक्कर लगाने की ज़रूरत।
योजना का असली फायदा कैसे मिलेगा
गांवों में बहुत से लोग पशुपालन करते हैं लेकिन गोबर को बस खेतों में फेंक देते हैं या गड्ढे में जमा कर देते हैं। अब सरकार चाहती है कि इस गोबर का इस्तेमाल ऊर्जा उत्पादन में हो, जिससे घर की गैस की ज़रूरत पूरी हो सके। इस योजना से किसानों को दोहरे फायदे मिलेंगे – एक तो रसोई का खर्च बचेगा, दूसरा पर्यावरण साफ-सुथरा रहेगा।
गाय, भैंस या बकरी पालने वाले किसान जो गोबर गैस प्लांट लगवाना चाहते हैं, उन्हें योजना के तहत ₹22,500 की आर्थिक मदद दी जाएगी। प्लांट एक बार लग जाए तो सालों तक किसान को एलपीजी सिलेंडर की ज़रूरत नहीं पड़ेगी। इतना ही नहीं, बायो गैस का जो अवशेष बचता है, वो बढ़िया जैविक खाद के रूप में खेत में काम आता है।
कैसे करें आवेदन, जानिए आसान तरीका
इस योजना के लिए आवेदन करना बिलकुल सरल है। आपको बस अपने जिले के पशुपालन विभाग या कृषि कार्यालय जाना है। वहां पर योजना से जुड़ा फॉर्म मिलेगा जिसे भरना होगा। जरूरी दस्तावेजों में आधार कार्ड, बैंक अकाउंट डिटेल्स और पशुओं की संख्या की जानकारी देनी होती है।
एक बार आवेदन जमा हो जाए, तो अधिकारी आपके घर या खेत पर आकर जांच करेंगे कि वहां गैस प्लांट लग सकता है या नहीं। सारी प्रक्रिया पारदर्शी होती है और अगर आप पात्र पाए जाते हैं तो कुछ ही समय में आपको मंजूरी मिल जाएगी और फिर प्लांट लगवाने की प्रक्रिया शुरू हो जाती है। इसके बाद सब्सिडी सीधे आपके बैंक अकाउंट में भेज दी जाती है।
गांव की तस्वीर कैसे बदलेगी इस योजना से
गांवों में अब धीरे-धीरे बदलाव की बयार चल रही है। जहां पहले गोबर को सिर्फ बेकार समझा जाता था, वहीं अब लोग उसकी असली कीमत पहचान रहे हैं। गोबर गैस प्लांट लगने से गांवों में धुआं रहित खाना बन रहा है, महिलाएं भी रसोई में अब बिना कोयला या लकड़ी जलाए खाना पका रही हैं और बच्चों को गैस की बदबू या धुएं से परेशानी नहीं हो रही।
इस योजना का एक और बड़ा असर ये होगा कि लोग खुद-ब-खुद स्वच्छता पर ध्यान देंगे। खुले में गोबर फेंकने की प्रवृत्ति घटेगी और खेतों में इस्तेमाल होने वाली केमिकल खाद की जगह बायो स्लरी का उपयोग बढ़ेगा। इससे खेती भी ज्यादा उपजाऊ होगी और मिट्टी की सेहत सुधरेगी।
किन्हें मिलेगा लाभ
सरकार की इस योजना का लाभ वही किसान उठा सकते हैं जिनके पास कम से कम एक या दो गाय या भैंस हों और जिनके पास प्लांट लगाने के लिए थोड़ी जगह हो। ऐसे किसानों को प्राथमिकता दी जाती है जो वास्तव में इसका उपयोग करेंगे।
अगर आप एक छोटे किसान हैं और रोज़ गोबर खेत में डालते हैं तो अब ये योजना आपके लिए एक बेहतरीन विकल्प हो सकती है। इससे ना सिर्फ आपके घर की गैस की ज़रूरत पूरी होगी, बल्कि धीरे-धीरे आप दूसरे ग्रामीणों को भी प्रेरित कर सकोगे कि वो भी इस योजना से जुड़ें।
आगे का रास्ता क्या है?
बिहार सरकार इस योजना को ज़्यादा से ज़्यादा गांवों तक पहुंचाना चाहती है। इसके लिए हर जिले में जागरूकता अभियान भी चलाए जा रहे हैं ताकि लोग योजना की सही जानकारी पा सकें।
अगर आप भी योजना से जुड़ना चाहते हैं, तो आज ही नजदीकी कृषि या पशुपालन कार्यालय जाकर जानकारी लें और आवेदन करें। कुछ साल बाद आप खुद कहेंगे कि “गोबर से गैस बनाना, और सरकार से सब्सिडी पाना – इससे बेहतर कुछ नहीं।”