Cheque Bounce New Rules: चेक बाउंस के मामलों में अब अदालतें तेजी से सुनवाई करेंगी। सुप्रीम कोर्ट ने निर्देश दिया है कि ऐसे मामलों में लंबी तारीखें देने की बजाय त्वरित न्याय दिया जाए। इससे पीड़ित पक्ष को जल्द न्याय मिलेगा और पैसे की वापसी की प्रक्रिया तेज होगी। इसके अलावा, अदालतों को निर्देश दिया गया है कि चेक बाउंस मामलों में सुनवाई के लिए 6 महीने का समयसीमा निर्धारित की जाए। अगर मामला 6 महीने में निपटाया नहीं जाता है, तो संबंधित अदालत को इसकी जानकारी देनी होगी। यह नियम लंबित मामलों को कम करने में मदद करेगा।
सजा और जुर्माने की व्यवस्था
चेक बाउंस होने पर भारतीय दंड संहिता की धारा 138 के तहत कार्रवाई की जाती है। इस मामले में दोषी व्यक्ति को दो साल तक की सजा हो सकती है। इसके साथ ही, जुर्माने के रूप में चेक की राशि का दोगुना तक जुर्माना लगाया जा सकता है।
यदि आरोपी व्यक्ति तय समय में चेक की राशि का भुगतान नहीं करता है, तो उसे जेल की सजा काटनी पड़ सकती है। इसके अलावा अदालत जुर्माने के अलावा अतिरिक्त हर्जाना भी लगा सकती है, जिससे पीड़ित को राहत मिल सके।
बैंक का महत्वपूर्ण रोल
चेक बाउंस के मामलों में बैंक की भूमिका अहम होती है। जब किसी खाते में पर्याप्त धनराशि नहीं होती और चेक बाउंस होता है, तो बैंक संबंधित व्यक्ति को लिखित में सूचना देती है। यह नोटिस चेक बाउंस की स्थिति में महत्वपूर्ण दस्तावेज के रूप में कार्य करता है।
इस नोटिस के बाद, चेक जारी करने वाले व्यक्ति को 15 दिनों के भीतर चेक की राशि का भुगतान करना होता है। अगर तय समय में भुगतान नहीं किया जाता, तो पीड़ित पक्ष कानूनी कार्रवाई के लिए अदालत जा सकता है। इससे चेक बाउंस के मामलों में पारदर्शिता बनी रहती है।
समय पर नोटिस देना अनिवार्य
चेक बाउंस होने पर नोटिस भेजने की समयसीमा भी तय की गई है। चेक बाउंस होने की स्थिति में 30 दिनों के भीतर नोटिस भेजना अनिवार्य है। यदि इस समयसीमा में नोटिस नहीं भेजा गया, तो मामला अदालत में कमजोर पड़ सकता है।
नोटिस भेजने के बाद, 15 दिनों का समय चेक जारी करने वाले को भुगतान के लिए दिया जाता है। यदि इस अवधि में भुगतान नहीं होता है, तो 30 दिनों के भीतर अदालत में शिकायत दर्ज कराई जा सकती है। इससे कानूनी प्रक्रिया में देरी नहीं होती और पीड़ित पक्ष को समय पर न्याय मिलता है।
चेक बाउंस से बचने के लिए सावधानी
चेक जारी करते समय यह सुनिश्चित करें कि खाते में पर्याप्त राशि हो। इसके अलावा, चेक पर हस्ताक्षर सही ढंग से करें ताकि तकनीकी कारणों से भी चेक बाउंस न हो। चेक बाउंस होने से व्यक्ति की बैंकिंग विश्वसनीयता पर असर पड़ता है और भविष्य में बैंकिंग सुविधाओं में भी परेशानी हो सकती है।
इसके साथ ही, चेक बाउंस होने पर जुर्माना और कानूनी कार्रवाई से बचने के लिए समय पर भुगतान करें। अगर गलती से चेक बाउंस हो जाता है, तो जल्द से जल्द संबंधित व्यक्ति को भुगतान कर दें और बैंक के माध्यम से समाधान कर लें। इससे कानूनी प्रक्रिया से बचा जा सकता है।