Cheque Bounce Rule: चेक के ज़रिए लेन-देन करना भले ही पुराने समय की बात लगे, लेकिन आज भी बहुत सारे लोग खासकर बिजनेस के क्षेत्र में इसका इस्तेमाल करते हैं। हालांकि, चेक से भुगतान करते समय थोड़ी सी भी लापरवाही आपको कानूनी झंझट में डाल सकती है। चेक बाउंस होना अब केवल एक साधारण गलती नहीं रह गई है, बल्कि इसके लिए सरकार ने कड़े कानून बना दिए हैं। अगर आपका चेक बाउंस होता है, तो आपको न केवल जुर्माना भरना पड़ सकता है बल्कि जेल भी हो सकती है।
चेक बाउंस होने पर क्या होता है कानून के तहत प्रावधान
नेगोशिएबल इंस्ट्रूमेंट्स एक्ट की धारा 138 के अंतर्गत चेक बाउंस होना एक आपराधिक अपराध माना जाता है। इसका मतलब है कि यदि आपने किसी को भुगतान के लिए चेक दिया और वह चेक बाउंस हो गया तो आपके खिलाफ कोर्ट में केस दर्ज हो सकता है। अगर कोर्ट में यह साबित हो जाता है कि आपने जानबूझकर चेक दिया और खाते में पैसे नहीं थे, तो इसके लिए आपको दो साल तक की जेल हो सकती है। इसके साथ-साथ कोर्ट द्वारा चेक की रकम के दोगुने तक जुर्माना, वकील का खर्चा और कोर्ट फीस भी वसूली जा सकती है। इसके अलावा बैंक भी अपने नियमों के अनुसार 100 से 750 रुपये तक का चार्ज वसूल सकता है।
अब तीन बार चेक बाउंस होने पर खाता हो सकता है फ्रीज
सरकार ने चेक बाउंस के मामलों को लेकर कड़े कदम उठाए हैं। यदि किसी व्यक्ति का चेक लगातार तीन बार बाउंस होता है, तो संबंधित बैंक उसका खाता अस्थायी रूप से फ्रीज कर सकता है। इसका मतलब है कि खाता धारक तब तक कोई लेन-देन नहीं कर पाएगा जब तक बैंक द्वारा खाते को दोबारा एक्टिवेट न किया जाए। यह कदम इसलिए उठाया गया है ताकि बैंकिंग प्रणाली में अनुशासन बना रहे और लोग चेक का गलत इस्तेमाल न करें।
शिकायत दर्ज करने का समय बढ़ाया गया, अब 3 महीने तक मिल सकती है राहत
पहले चेक बाउंस के मामलों में शिकायत दर्ज करने के लिए सिर्फ एक महीने का समय दिया जाता था, लेकिन अब इस समय सीमा को बढ़ाकर तीन महीने कर दिया गया है। इसका उद्देश्य है कि जिन लोगों को समय की कमी या अन्य किसी कारणवश शिकायत दर्ज करने में दिक्कत होती थी, उन्हें अब पर्याप्त समय मिल सके। इससे न्यायिक प्रक्रिया ज्यादा संतुलित और न्यायपूर्ण हो गई है।
ऑनलाइन शिकायत दर्ज करने की सुविधा अब और आसान
मद्रास हाईकोर्ट ने चेक बाउंस के मामलों की सुनवाई को तेज करने के लिए कुछ जरूरी दिशा-निर्देश जारी किए हैं। अब चेक बाउंस की शिकायत ऑनलाइन भी दर्ज की जा सकती है। इसके अलावा डिजिटल सबूत जैसे ईमेल, ट्रांजैक्शन रिकॉर्ड आदि को भी कोर्ट में मान्यता दी जा रही है। इससे उन लोगों को राहत मिलेगी जो दूरदराज के इलाकों में रहते हैं या जिन्हें कोर्ट तक पहुंचने में कठिनाई होती है।
बैंक की जिम्मेदारी भी बढ़ी, 24 घंटे में देना होगा चेक बाउंस का अपडेट
नए नियमों के तहत अब सभी बैंकों को चेक बाउंस की स्थिति में 24 घंटे के भीतर खाताधारक और चेक प्राप्तकर्ता दोनों को SMS और ईमेल के जरिए सूचना देना अनिवार्य कर दिया गया है। इसमें यह स्पष्ट बताया जाएगा कि चेक बाउंस क्यों हुआ, जैसे कि खाते में पर्याप्त बैलेंस न होना या तकनीकी कारण। यह पारदर्शिता बनाए रखने और पक्षकारों को समय पर जानकारी देने के उद्देश्य से लागू किया गया है।
चेक बाउंस से बचने के लिए अपनाएं यह ज़रूरी सावधानियां
अगर आप चाहते हैं कि चेक बाउंस की स्थिति न आए, तो आपको कुछ सावधानियों को ध्यान में रखना चाहिए। सबसे जरूरी है कि हमेशा अपने खाते में पर्याप्त बैलेंस बनाए रखें ताकि चेक क्लियर हो सके। चेक पर तारीख और नाम को सही तरीके से भरें और सिर्फ ब्लैक या ब्लू पेन का ही इस्तेमाल करें। कभी भी फटे हुए या खराब हालत वाले चेक का उपयोग न करें। ‘Account Payee’ चेक का उपयोग करना अधिक सुरक्षित होता है। इसके साथ ही, बैंक स्टेटमेंट को समय-समय पर चेक करते रहें और अगर किसी कारणवश भुगतान में देरी हो रही है, तो संबंधित व्यक्ति को पहले ही सूचना दे दें।
अब सभी बैंकों पर लागू होंगे एक जैसे सख्त नियम
अब चाहे आपका चेक किसी भी बैंक का हो, नियम और कार्रवाई सभी के लिए समान होगी। कोई भी बैंक अब चेक बाउंस पर ढील नहीं दे सकता। यह बदलाव इसलिए किया गया है ताकि लेन-देन में पारदर्शिता और समानता बनी रहे।
चेक बाउंस अब केवल एक मामूली गलती नहीं रह गई है। इसके पीछे गंभीर कानूनी परिणाम छिपे हैं जो किसी को भी परेशानी में डाल सकते हैं। इसलिए जरूरी है कि चेक से लेन-देन करते समय सतर्क रहें और सभी नियमों का पालन करें। सरकार द्वारा बनाए गए नए नियम और कड़े कानून न केवल बैंकिंग प्रणाली को मजबूत बनाएंगे बल्कि धोखाधड़ी जैसी घटनाओं पर भी रोक लगाएंगे। चेक बाउंस की स्थिति में अब लापरवाही भारी पड़ सकती है, इसलिए सजग रहिए और सुरक्षित तरीके से लेन-देन कीजिए।