Covid 19 Cases In India : कुछ वक्त तक कोरोना का नाम लोगों की जुबान से गायब हो गया था। लेकिन अब एक बार फिर से कोविड-19 के मामले तेजी से बढ़ते दिख रहे हैं। देशभर में जो स्थिति धीरे-धीरे सामान्य हो रही थी, अब उसमें हलचल दिखने लगी है। स्वास्थ्य मंत्रालय की नई रिपोर्ट के मुताबिक भारत में सक्रिय कोरोना मामलों की संख्या बढ़कर 3961 हो गई है और पिछले 24 घंटे में 4 लोगों की मौत भी दर्ज की गई है।
भले ही अब मास्क और सोशल डिस्टेंसिंग की अनिवार्यता खत्म हो चुकी है, लेकिन संक्रमण की वापसी ने एक बार फिर सोचने पर मजबूर कर दिया है। त्योहारों का मौसम शुरू हो रहा है, ऐसे में भीड़-भाड़ वाले इलाकों में खतरा और भी बढ़ सकता है।
कौन-कौन से राज्य सबसे ज्यादा प्रभावित
मंत्रालय की रिपोर्ट के अनुसार केरल, महाराष्ट्र, कर्नाटक, दिल्ली और तमिलनाडु में सबसे ज्यादा मामले सामने आ रहे हैं। इन राज्यों में टेस्टिंग की संख्या भी बढ़ाई गई है और पॉजिटिविटी रेट भी अन्य राज्यों की तुलना में ज्यादा है।
केरल में सबसे ज्यादा एक्टिव केस हैं, जबकि महाराष्ट्र में संक्रमण की रफ्तार थोड़ी कम है लेकिन अब भी सतर्कता बरती जा रही है। दिल्ली में बीते कुछ दिनों में हल्की तेजी देखी गई है, जिसे लेकर स्वास्थ्य विभाग अलर्ट पर है। राज्य सरकारें अब एक बार फिर से अस्पतालों में बुनियादी तैयारियों की समीक्षा कर रही हैं ताकि स्थिति बिगड़ने से पहले नियंत्रण में लाई जा सके।
लक्षण फिर से वही, पर असर कम दिख रहा है
इस बार जो कोरोना के केस सामने आ रहे हैं, उनमें लक्षण लगभग पुराने जैसे ही हैं – जैसे बुखार, खांसी, थकान, गले में खराश और स्वाद या सूंघने की क्षमता में कमी। हालांकि राहत की बात ये है कि ज्यादातर केस माइल्ड यानी हल्के लक्षण वाले हैं और बहुत कम लोगों को अस्पताल में भर्ती होने की नौबत आ रही है।
डॉक्टरों का कहना है कि जिन लोगों को वैक्सीन की दोनों डोज़ या बूस्टर डोज़ लगी है, उनके शरीर में वायरस से लड़ने की ताकत ज्यादा बनी हुई है। लेकिन बुजुर्ग, पहले से बीमार लोग या कमजोर इम्यून सिस्टम वाले व्यक्तियों के लिए अब भी खतरा बना हुआ है।
सरकार और हेल्थ एजेंसियों की तैयारियां
कोरोना के फिर से पैर पसारने के संकेत मिलते ही केंद्र सरकार और राज्य सरकारें हरकत में आ गई हैं। सभी जिलों में अस्पतालों को ऑक्सीजन सिलेंडर, दवाइयों और बेड्स की उपलब्धता की समीक्षा करने को कहा गया है।
AIIMS और ICMR जैसे संस्थानों को नए वैरिएंट्स की जाँच के लिए जीनोम सिक्वेंसिंग की प्रक्रिया तेज़ करने के निर्देश दिए गए हैं। वहीं स्वास्थ्य मंत्रालय ने सभी राज्यों को यह सलाह दी है कि वह “टेस्ट, ट्रैक, ट्रीट और वैक्सीनेट” के पुराने फॉर्मूले पर फिर से काम शुरू करें।
स्वास्थ्य विभाग के अनुसार अभी पैनिक की जरूरत नहीं है लेकिन लापरवाही नहीं बरती जा सकती। त्योहारों और ठंड के मौसम में संक्रमण बढ़ने की संभावना हमेशा बनी रहती है।
जनता की भूमिका और जरूरी सावधानियाँ
कोरोना की पिछली लहरों ने ये तो सिखा ही दिया है कि जब तक जनता सतर्क नहीं होगी, तब तक कोई भी सिस्टम कामयाब नहीं हो सकता। इस बार सरकार ने लॉकडाउन या प्रतिबंध जैसी सख्ती नहीं लगाई है क्योंकि केस गंभीर नहीं हैं, लेकिन स्वस्थ जीवनशैली और सावधानी पहले जैसी ही जरूरी है।
भीड़-भाड़ वाले इलाकों में मास्क पहनना, हाथ धोते रहना और बीमार महसूस होने पर तुरंत डॉक्टर से सलाह लेना, ये कुछ सामान्य सी बातें हैं जो बहुत बड़ा असर डाल सकती हैं। जो लोग अभी तक बूस्टर डोज़ नहीं लगवा पाए हैं, उनके लिए सरकार ने अभियान दोबारा शुरू किया है। बड़ों के साथ-साथ छोटे बच्चों के लिए भी विशेष वैक्सीनेशन ड्राइव की योजना बनाई जा रही है।