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होम लोन लेते समय 90 प्रतिशत लोग करते हैं ये गलती, फिर लोन चुकाने में लग जाता है डबल समय Home Loan EMI

Home Loan EMI : भारत में शायद ही कोई ऐसा व्यक्ति होगा, जो अपने परिवार के साथ एक सुरक्षित और स्थायी आशियाने का सपना न देखता हो। चाहे वो गांव हो या शहर, हर कोई चाहता है कि उसका खुद का घर हो। यह सपना कई लोगों के लिए भावनात्मक भी होता है, क्योंकि घर न केवल चार दीवारों का नाम है, बल्कि उसमें बसी होती हैं यादें, भावनाएं और अपनापन। लेकिन आज के दौर में इस सपने को हकीकत में बदलना आसान नहीं है। महंगाई और रियल एस्टेट की ऊंची कीमतों ने आम आदमी की कमर तोड़ दी है। खासकर शहरों में, जहां एक छोटा सा फ्लैट भी लाखों-करोड़ों का आता है।

यही कारण है कि आज की तारीख में ज़्यादातर लोग घर खरीदने के लिए बैंक या वित्तीय संस्थाओं से होम लोन लेने को मजबूर होते हैं। ये लोन धीरे-धीरे मासिक किस्तों (EMI) में चुकाया जाता है और वर्षों तक चलता है। हालांकि होम लोन कई मामलों में मददगार होता है, लेकिन अगर सावधानी न बरती जाए तो यह मदद आपकी जेब पर भारी भी पड़ सकती है।

होम लोन लेते समय की सबसे आम गलती

जब कोई व्यक्ति होम लोन लेने जाता है, तो उसकी पहली कोशिश होती है कि उसकी EMI यानी मासिक किस्त कम से कम हो। कारण बिल्कुल साफ है – मासिक खर्च पहले से ही बहुत ज़्यादा होता है और उस पर भारी EMI लेने से मासिक बजट बिगड़ सकता है। इसी वजह से लोग कम EMI पाने के चक्कर में लोन की अवधि यानी लोन टेन्योर (Tenure) बहुत लंबी ले लेते हैं। कुछ लोग तो 25–30 साल तक का लोन भी ले लेते हैं, ताकि EMI कम आए।

शुरुआत में यह एक समझदारी भरा फैसला लगता है, लेकिन असल में यही एक बड़ी गलती साबित होती है। क्योंकि जितनी लंबी अवधि में आप लोन चुकाते हैं, उतना ही ज़्यादा ब्याज भी चुकाना पड़ता है। कई बार ऐसा होता है कि ब्याज की रकम मूलधन (Principal) से भी ज़्यादा हो जाती है। यानी अगर आपने 30 लाख का लोन लिया है, तो अंत में आप 60 लाख तक बैंक को चुका सकते हैं – और वो भी सिर्फ EMI कम रखने के लालच में।

फ्लोटिंग ब्याज दर और बढ़ती EMI का जाल

भारत में अधिकतर होम लोन फ्लोटिंग रेट यानी बदलती ब्याज दर पर आधारित होते हैं। इसका मतलब ये है कि जैसे ही भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) रेपो रेट बढ़ाता है, वैसे ही बैंक भी अपने लोन की ब्याज दरें बढ़ा देते हैं। अब चूंकि EMI आपकी आमदनी के हिसाब से तय की गई थी, इसलिए बैंक EMI को बढ़ाने के बजाय लोन की अवधि को और खींच देते हैं।

उदाहरण के तौर पर, अगर आपने 20 साल के लिए लोन लिया था, और ब्याज दर बढ़ गई, तो बैंक आपकी EMI तो वही रखेगा, लेकिन लोन की अवधि 25 या 30 साल तक बढ़ा देगा। इससे आपको तुरंत फर्क महसूस नहीं होगा, लेकिन असल में आप ब्याज के रूप में लाखों रुपये ज़्यादा चुका रहे होंगे।

एक आसान उदाहरण से समझें लोन की चालाकी

मान लीजिए आपने 30 लाख रुपये का होम लोन लिया, 8% ब्याज दर पर और 20 साल के लिए। आपकी मासिक EMI लगभग 25,093 रुपये बनती है। अब यदि 5 साल बाद ब्याज दर 11% हो जाए और आपने EMI में कोई बदलाव न किया, तो बैंक आपकी लोन की अवधि को 28–30 साल तक बढ़ा देगा।

इसका मतलब है कि आप 8–10 साल ज़्यादा लोन चुकाते रहेंगे, और इसके साथ-साथ ब्याज में 15–20 लाख रुपये अतिरिक्त दे देंगे। अगर आप शुरू से ही EMI थोड़ी ज़्यादा रखते या ब्याज दर बढ़ने पर EMI थोड़ा बढ़ा देते, तो लोन की अवधि उतनी न बढ़ती और ब्याज का पैसा भी बचता।

बचाव के तरीके – होम लोन के जाल में न फंसें

होम लोन से जुड़ी इन समस्याओं से बचने के लिए कुछ आसान और समझदारी भरे उपाय अपनाए जा सकते हैं:

1. EMI तय करते समय सोच-समझकर फैसला लें:

EMI न तो इतनी ज़्यादा हो कि आप हर महीने परेशान हो जाएं, और न ही इतनी कम हो कि आपको लोन चुकाने में ज़िंदगी निकल जाए। सामान्यत: EMI आपकी कुल मासिक आय का 35–40% से ज़्यादा नहीं होनी चाहिए।

2. ब्याज दर बढ़ने पर EMI बढ़ाएं, टेन्योर नहीं:

अगर बैंक आपको विकल्प देता है कि आप EMI बढ़ाएं या टेन्योर बढ़ाएं, तो EMI बढ़ाना ज़्यादा समझदारी वाला विकल्प है। इससे आप कम समय में लोन निपटा पाएंगे।

3. बोनस या एक्स्ट्रा इनकम का इस्तेमाल करें:

अगर आपको सालाना बोनस, प्रॉफिट शेयरिंग या किसी और स्रोत से एक्स्ट्रा पैसा मिलता है, तो उसे खर्च करने के बजाय होम लोन का प्रीपेमेंट करें। इससे लोन जल्दी खत्म होगा और ब्याज की बचत होगी।

4. हर साल लोन स्टेटमेंट ज़रूर चेक करें:

बैंक हर साल आपको एक लोन स्टेटमेंट भेजता है जिसमें बताया जाता है कि आपने कितना मूलधन और ब्याज चुकाया है। इस स्टेटमेंट को ध्यान से पढ़ें और समझें कि आपकी EMI सही दिशा में जा रही है या नहीं।

 

सोच-समझकर लें होम लोन का फैसला

होम लोन लेना केवल एक वित्तीय फैसला नहीं होता, यह एक लंबी अवधि की ज़िम्मेदारी भी होती है। एक बार लोन लेने के बाद, आपको 15–30 साल तक हर महीने उसकी EMI भरनी होती है। इसलिए जल्दबाज़ी में कोई भी फैसला लेना भारी पड़ सकता है।

सिर्फ EMI कम दिखने के लालच में लोन की अवधि बढ़ाना आपको बहुत महंगा पड़ सकता है। बेहतर होगा कि EMI ऐसी रखें जो आपकी जेब और ज़िम्मेदारियों के बीच संतुलन बनाए। साथ ही लोन का टेन्योर जितना हो सके उतना कम रखें, ताकि आप जल्दी अपना घर पूरी तरह से पा सकें और ब्याज के लाखों रुपये भी बचा सकें।

होम लोन एक सहारा है, लेकिन समझदारी न बरती जाए तो यह बोझ भी बन सकता है। सही प्लानिंग, समय-समय पर समीक्षा और थोड़ी सी आर्थिक अनुशासन से आप इस सपने को बिना तनाव के पूरा कर सकते हैं।

 

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