India News: हावड़ा से एक ऐसी दिल दहला देने वाली खबर सामने आई है जिसे सुनकर इंसानियत भी शर्मसार हो जाए। एक महिला को पहले अच्छे काम का झांसा देकर कोलकाता लाया गया, फिर मां-बेटे की जोड़ी ने उसे फंसा कर बार में डांस करने पर मजबूर किया। जब उसने इसका विरोध किया, तो उसे प्रताड़ित किया गया, मारा-पीटा गया और आखिरकार इस कदर ज़ुल्म हुआ कि अब वह अस्पताल में जिंदगी और मौत की लड़ाई लड़ रही है।
उसकी हालत इतनी गंभीर हो चुकी है कि अब उसका ICU में इलाज चल रहा है और डॉक्टरों की एक टीम उसे बचाने की कोशिश कर रही है। यह मामला सामने आते ही पूरे हावड़ा में सनसनी फैल गई और आम लोगों में गुस्से की लहर दौड़ गई है।
कैसे रची गई पूरी साजिश
महिला पश्चिम बंगाल के एक छोटे से गांव से ताल्लुक रखती है। आर्थिक स्थिति कमजोर होने के चलते वह रोजगार की तलाश में थी। ऐसे ही वक्त में उसकी मुलाकात एक महिला से हुई जिसने खुद को मददगार बताया। उस महिला ने उसे अपने बेटे से मिलवाया और भरोसा दिलाया कि वे कोलकाता में उसे अच्छे घर में नौकरी दिलाएंगे – साफ-सफाई या देखभाल जैसी कोई सरल सेवा।
महिला की मां बीमार थी और घर की जिम्मेदारी भी उसी पर थी, इसलिए वह झांसे में आ गई। भरोसे का फायदा उठाकर उन्हें कोलकाता लाया गया और यहीं से उसकी जिंदगी का सबसे भयावह दौर शुरू हो गया।
बार डांसर बनने पर मजबूरी और ज़ुल्म की शुरुआत
शुरुआत में महिला ने खूब विरोध किया, रोई, गिड़गिड़ाई लेकिन उसकी आवाज़ को दबा दिया गया। उसे धमकाया गया कि अगर उसने किसी को बताया तो जान से मार देंगे। बार मालिक को भी साजिश में शामिल बताया जा रहा है। वहां काम करने वाली औरतें भी डरी-सहमी थीं, किसी में साहस नहीं था कि उसका साथ दें। कुछ ने इशारे में बताया कि यहां से बाहर जाना मुमकिन नहीं है। यह सब जानकर वह पूरी तरह टूट चुकी थी, लेकिन उसे मजबूरी में सब सहना पड़ा।
धीरे-धीरे उसके बाहर निकलने पर पाबंदी लग गई। मोबाइल भी छीन लिया गया और परिवार से संपर्क का कोई जरिया नहीं छोड़ा गया। उसे नशा देकर बार में भेजा जाता और अगर वह कमाई नहीं कर पाती, तो मारपीट की जाती। महिला के शरीर पर चोटों के निशान इस बात की गवाही दे रहे हैं कि उसके साथ कितनी बर्बरता हुई। हर दिन उसे मानसिक और शारीरिक रूप से तोड़ा गया, उसकी इच्छाओं को कुचल दिया गया। बार में ग्राहकों से अपमानित होना अब उसकी दिनचर्या बन गई थी।
बीमारी और अस्पताल में जिंदगी की जंग
लगातार मानसिक और शारीरिक शोषण के कारण महिला की तबीयत बिगड़ने लगी। उसे बुखार, कमजोरी और आंतरिक चोटें होने लगीं। हालत बिगड़ने पर आखिरकार उसे हावड़ा के सरकारी अस्पताल में भर्ती करवाया गया, लेकिन जब तक ये हुआ, तब तक बहुत देर हो चुकी थी। डॉक्टरों का कहना है कि महिला के शरीर में खून की कमी है, किडनी पर असर हुआ है और संक्रमण पूरे शरीर में फैल चुका है। हालत इतनी नाजुक है कि वह बोल भी नहीं पा रही है, बस आंखों से दर्द बयां कर रही है।
अस्पताल के डॉक्टरों ने बताया कि महिला की हालत गंभीर है। उसे अंदरूनी चोटें हैं, शरीर में इंफेक्शन फैला है और मानसिक स्थिति भी अस्थिर है। फिलहाल ICU में उसका इलाज चल रहा है और डॉक्टर उसे बचाने की पूरी कोशिश कर रहे हैं। अस्पताल में भर्ती होने के बाद ही यह मामला पुलिस के संज्ञान में आया। एक नर्स ने जब उसकी हालत देखी और महिला ने धीरे-धीरे इशारों में अपनी कहानी बताई, तब जाकर असली सच बाहर आया और पुलिस को सूचना दी गई।
पुलिस जांच और मां-बेटे की गिरफ्तारी
अस्पताल प्रशासन ने जब महिला की स्थिति और उसके बयान पुलिस को दिए, तब जाकर इस पूरे मामले की सच्चाई सामने आई। पुलिस ने तेजी से कार्रवाई करते हुए उस महिला और उसके बेटे को गिरफ्तार कर लिया है, जिन्होंने उसे झांसे में लेकर इस हालत तक पहुंचाया।
दोनों आरोपियों से पूछताछ के बाद कई और पीड़ितों की जानकारी सामने आई है, जिन्हें इसी तरह फंसाया गया था। पुलिस ने बार मालिक के खिलाफ भी कार्रवाई शुरू कर दी है और कई दस्तावेज जब्त किए हैं। पूछताछ में ये भी सामने आया है कि यह मां-बेटे की जोड़ी पहले भी कई महिलाओं को ऐसे ही फंसा चुकी है। बार मालिक से उनकी साठगांठ थी, जिससे पैसे मिलते थे और महिलाएं बर्बाद होती थीं। पुलिस अब इस रैकेट के पीछे के पूरे नेटवर्क को खंगाल रही है। ऐसे मामलों में मानव तस्करी की आशंका भी जताई जा रही है, इसलिए राज्य की विशेष जांच एजेंसियां भी अब इस केस से जुड़ गई हैं।
समाज में ऐसे मामलों की गंभीरता
यह घटना सिर्फ एक महिला की नहीं है, बल्कि हजारों ऐसी औरतों की कहानी है जो गरीबी, मजबूरी और विश्वासघात का शिकार होती हैं। हावड़ा की इस महिला ने जो सहा, वो दिखाता है कि आज भी हमारे समाज में सुरक्षा और सम्मान महिलाओं के लिए एक लंबा संघर्ष है। ऐसी घटनाएं यह भी साबित करती हैं कि समाज में आज भी गुमनाम अंधेरे कोने मौजूद हैं जहां कानून की रोशनी नहीं पहुंच पाती।
यह ज़रूरी हो गया है कि ऐसे मामलों में न केवल कानून सख्त हो बल्कि समाज भी सतर्क रहे। महिलाओं को अपने हक और सुरक्षा के लिए आवाज़ उठाने का साहस मिले, और ऐसे दरिंदों को समाज में जगह ना दी जाए। स्कूल, पंचायत और सामाजिक संस्थाओं को आगे आकर महिलाओं को जागरूक करना होगा ताकि कोई और इस तरह की साजिश का शिकार ना बने।