IndusInd Bank ने मार्च 2025 में खत्म हुई तिमाही में ₹2,329 करोड़ का भारी नुकसान दर्ज किया है, जबकि पिछले साल इसी तिमाही में बैंक ने ₹2,349 करोड़ का मुनाफा कमाया था। यह 19 सालों में बैंक की पहली तिमाही है जब उसे घाटा झेलना पड़ा है। यह घाटा मुख्य रूप से डेरिवेटिव पोर्टफोलियो में हुए बड़े नुकसान और कमजोर होते एसेट क्वालिटी की वजह से हुआ है। बैंक ने मार्च 10, 2025 को यह जानकारी दी कि डेरिवेटिव लेन-देन की आंतरिक समीक्षा के दौरान कुछ खामियां सामने आई हैं, जिनका असर दिसंबर 2024 तक बैंक की नेट वर्थ पर 2.35 प्रतिशत तक पड़ने की संभावना है। इसी के चलते बैंक के प्रबंध निदेशक और CEO सुमंत काठपालिया और डिप्टी CEO अरुण खुराना ने अप्रैल में अपने पद से इस्तीफा दे दिया।
19 सालों में पहली तिमाही घाटे में
मार्च 2025 की तिमाही में IndusInd Bank ने ₹2,329 करोड़ का नुकसान दर्ज किया, जबकि पिछले साल इसी समय बैंक को ₹2,349 करोड़ का मुनाफा हुआ था। घाटे की बड़ी वजह डेरिवेटिव नुकसान और बढ़ते NPA (Non Performing Assets) रहे। इसके अलावा, बैंक की आंतरिक ऑडिट में दो नई गड़बड़ियां भी सामने आईं, जो इंटरेस्ट इनकम से जुड़ी थीं। इन गड़बड़ियों की कीमत ₹674 करोड़ और ₹595 करोड़ रही, जिन्हें इस तिमाही के नतीजों में जोड़ा गया। इसी कारण बैंक के प्रोविजन में भी काफी उछाल देखा गया, जो मार्च 2024 की तुलना में ₹950 करोड़ से बढ़कर ₹2,522 करोड़ हो गया।
बैंक की सकल NPA दर दिसंबर 2024 के 2.25 प्रतिशत से बढ़कर मार्च 2025 में 3.13 प्रतिशत हो गई। वहीं शुद्ध NPA दर 0.68 प्रतिशत से बढ़कर 0.95 प्रतिशत तक पहुंच गई।
बोर्ड के चेयरमैन सुनील मेहता ने कहा कि, “यह घटनाएं हमारे बैंक जैसे संस्थान के लिए दुर्भाग्यपूर्ण हैं, लेकिन हम सभी गड़बड़ियों को समय पर और पूरी तरह से सुलझाने के लिए प्रतिबद्ध हैं।”
डेरिवेटिव लॉस का खुलासा
मार्च 10, 2025 को बैंक ने बताया कि उसके डेरिवेटिव पोर्टफोलियो की समीक्षा में पता चला कि बैंक की नेट वर्थ पर करीब 2.35 प्रतिशत का नकारात्मक असर पड़ा है, जो करीब ₹2,000 करोड़ का बनता है। बैंक ने इसके लिए भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) के नए नियमों को जिम्मेदार ठहराया, जो डेरिवेटिव ट्रेडिंग से संबंधित हैं। हालांकि, सच्चाई यह रही कि पुराने वर्षों के फॉरेक्स डिपॉजिट और डेब्ट हेजिंग से जुड़े सौदों की सही अकाउंटिंग नहीं की गई थी। इन सौदों से हुए नुकसान को NII यानी नेट इंटरेस्ट इनकम में नहीं दिखाया गया, जबकि इन्हीं सौदों से हुए खजाने के फायदे को P&L स्टेटमेंट में दिखाया गया।
RBI के निर्देशों के अनुसार सितंबर 2023 से बैंकों के लिए आंतरिक ट्रेड और हेजिंग पर रोक लगाई गई थी, जिसके बाद 1 अप्रैल 2024 से IndusInd Bank ने भी आंतरिक ट्रेडिंग बंद कर दी थी। इसके बाद जब बैंक ने बीते वर्षों के सौदों की जांच की, तो इन अनियमितताओं का खुलासा हुआ। इस घोषणा के बाद बैंक के शेयरों में भारी गिरावट आई और 11 मार्च को स्टॉक एक्सचेंज पर इसके शेयर 27 प्रतिशत तक टूट गए।
CFO और अधिकारियों पर सवाल
डेरिवेटिव लॉस के सामने आने के बाद बैंक के CFO गोबिंद जैन ने इस्तीफा दे दिया। वहीं, CEO सुमंत काठपालिया और डिप्टी CEO अरुण खुराना द्वारा बीते दो वर्षों में ₹157 करोड़ के शेयर बेचने की बात भी सामने आई, जिससे इन दोनों पर नैतिक जिम्मेदारी का सवाल उठने लगा।
बैंक ने इन सभी मामलों की जांच के लिए एक स्वतंत्र पेशेवर एजेंसी को नियुक्त किया, जिससे पूरी जानकारी सामने लाई जा सके।
RBI ने दी राहत की बात
इन सभी घटनाओं के बीच भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने मार्च 15 को बयान जारी कर कहा कि जमाकर्ताओं को घबराने की कोई जरूरत नहीं है। बैंक की वित्तीय स्थिति स्थिर है और RBI इस पर निगरानी बनाए हुए है। दिसंबर 2024 की ऑडिटर-रिव्यू की गई रिपोर्ट के अनुसार, बैंक की कैपिटल एडिक्वेसी रेश्यो 16.46 प्रतिशत और प्रोविजन कवरेज रेश्यो 70.20 प्रतिशत रही। साथ ही बैंक की लिक्विडिटी कवरेज रेश्यो (LCR) मार्च 9, 2025 को 113 प्रतिशत रही, जबकि नियामक आवश्यकता सिर्फ 100 प्रतिशत है।
बाहरी ऑडिट रिपोर्ट्स की जानकारी
15 अप्रैल को बैंक ने कहा कि PwC द्वारा की गई बाहरी जांच में डेरिवेटिव अनियमितताओं के चलते ₹1,979 करोड़ का नकारात्मक प्रभाव बैंक की नेट वर्थ पर पड़ा है। इसके अनुसार, बैंक की नेट वर्थ पर कुल 2.27 प्रतिशत का असर पड़ा है। वहीं, ग्रांट थॉर्नटन की रिपोर्ट में यह भी सामने आया कि बैंक के दो पूर्व अधिकारी उस समय इनसाइडर ट्रेडिंग में शामिल थे जब बैंक को डेरिवेटिव नुकसान से जुड़ी समस्याएं झेलनी पड़ रही थीं।
CEO और Deputy CEO का इस्तीफा
जब बैंक ने करीब ₹2,000 करोड़ की डेरिवेटिव हानि का खुलासा किया, उसके कुछ हफ्तों के भीतर ही CEO सुमंत काठपालिया ने 29 अप्रैल से प्रभावी इस्तीफा दे दिया। उन्होंने अपने पत्र में लिखा, “मैं इन गड़बड़ियों की नैतिक जिम्मेदारी लेता हूं और आग्रह करता हूं कि मेरा इस्तीफा आज के कार्यदिवस के अंत तक स्वीकार किया जाए।” इससे एक दिन पहले बैंक के डिप्टी CEO अरुण खुराना ने भी इस्तीफा दे दिया था।
लीडरशिप में बदलाव
बैंक के बोर्ड ने अब नए CEO की तलाश शुरू कर दी है। RBI ने बैंक को सलाह दी है कि वह 30 जून 2025 तक नए CEO की नियुक्ति का प्रस्ताव सौंपे। बैंक ने कहा है कि उसकी प्रक्रिया अंतिम चरण में है और समयसीमा से पहले ही RBI को अनुशंसा भेज दी जाएगी।