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भारत में KIA के इंजन चोरी कांड का खुलासा, पूर्व कर्मचारी और कबाड़ी रडार पर

KIA News: ऑटोमोबाइल इंडस्ट्री में आमतौर पर गाड़ियों की बिक्री और नए मॉडल्स की खबरें सुर्खियों में रहती हैं, लेकिन इस बार मामला कुछ अलग है। किआ इंडिया की फैक्ट्री से बड़ी तादाद में इंजन चोरी होने की खबर ने पूरे इंडस्ट्री को चौंका दिया है। यह चोरी कोई आम वारदात नहीं, बल्कि पूर्व कर्मचारियों और कबाड़ डीलरों की मिलीभगत से हुआ एक संगठित रैकेट का हिस्सा बताई जा रही है। पुलिस की तफ्तीश अब तेज हो चुकी है और कई लोगों से पूछताछ भी शुरू हो गई है।

यह मामला न सिर्फ एक नामी ऑटो कंपनी की सुरक्षा पर सवाल खड़े करता है, बल्कि यह भी दिखाता है कि कैसे अंदरूनी कर्मचारी ही कंपनी के लिए खतरा बन सकते हैं।

 

कैसे सामने आया इंजन चोरी का मामला

किआ इंडिया की आंध्रप्रदेश स्थित अनंतपुर प्लांट में कुछ समय पहले एक ऑडिट के दौरान इंजन स्टॉक में गड़बड़ी पाई गई। गिनती के दौरान पाया गया कि कई इंजन गायब हैं, जबकि दस्तावेजों में उनकी एंट्री की गई थी।

कंपनी ने जब आंतरिक जांच शुरू की तो शक की सुई सीधे कुछ पूर्व कर्मचारियों पर गई जो पहले फैक्ट्री में काम कर चुके थे। उसके बाद जब पुलिस को जानकारी दी गई तो पूरे मामले की परतें खुलने लगीं। जांच में यह भी सामने आया कि इन इंजन को चोरी कर कबाड़ मार्केट में बेचा जा रहा था, जहां उन्हें स्क्रैप की तरह डिस्पोज किया जाता या फिर दोबारा इस्तेमाल के लिए अलग-अलग चैनलों से निकाला जाता था।

पूर्व कर्मचारी और कबाड़ डीलरों की मिलीभगत

पुलिस जांच में सामने आया है कि कुछ पूर्व कर्मचारी जो अब कंपनी में नहीं हैं, उन्होंने फैक्ट्री के अंदर का पूरा सिस्टम समझ रखा था। उन्होंने ही यह रास्ता तैयार किया कि कैसे इंजन चोरी किए जाएं, कैसे उन्हें बाहर निकाला जाए और किन कबाड़ डीलरों से संपर्क किया जाए।

 

कबाड़ डीलर भी इतने सामान्य नहीं थे, बल्कि वे इस नेटवर्क का हिस्सा बन चुके थे। उन्हें अच्छी तरह मालूम था कि ये इंजन चोरी के हैं, लेकिन सस्ते दाम में मिलने की वजह से वे उन्हें खरीद लेते थे। फिर या तो उन पार्ट्स को अलग-अलग कर बेच देते, या किसी लोकल गैराज में दोबारा इस्तेमाल करने के लिए भेज देते थे।

कंपनी की सुरक्षा व्यवस्था पर उठे सवाल

इस घटना के बाद किआ इंडिया की सुरक्षा व्यवस्था को लेकर गंभीर सवाल उठने लगे हैं। एक ऐसी कंपनी जो हजारों करोड़ का निवेश करती है, वहां से इंजन चोरी होना यह दिखाता है कि इंटरनल सिक्योरिटी सिस्टम में कई खामियां हैं।

कंपनी ने इस मामले के बाद अपनी सिक्योरिटी प्रोसेस को रिव्यू करने का फैसला लिया है। अब वहां CCTV निगरानी बढ़ाई जा रही है, और साथ ही वर्कर मूवमेंट और स्टॉक मैनेजमेंट को भी डिजिटल ट्रैकिंग के जरिए कंट्रोल किया जाएगा। सूत्रों के मुताबिक, अब कंपनी बायोमैट्रिक एक्सेस और RFID ट्रैकिंग सिस्टम जैसे हाई-टेक उपायों पर भी विचार कर रही है ताकि भविष्य में ऐसा दोबारा ना हो।

पुलिस जांच का क्या स्टेटस है

आंध्र प्रदेश पुलिस की आर्थिक अपराध शाखा इस मामले की बारीकी से जांच कर रही है। अब तक लगभग दर्जन भर संदिग्धों से पूछताछ की जा चुकी है और कुछ लोगों को हिरासत में भी लिया गया है।

इस रैकेट का दायरा कितना बड़ा है, इसमें कितने लोग शामिल हैं, और चोरी किए गए इंजन कहां-कहां गए — इस पर जांच अभी जारी है। पुलिस का मानना है कि आने वाले दिनों में और गिरफ्तारियां हो सकती हैं। साथ ही, क्राइम ब्रांच अब इस मामले को इंटर-स्टेट लेवल पर जांचने की तैयारी में है, क्योंकि शक है कि कुछ इंजन दूसरे राज्यों में भी भेजे गए हैं।

 

ग्राहकों और ब्रांड की छवि पर असर

भले ही इस चोरी से सीधे ग्राहकों को कोई नुकसान नहीं हुआ, लेकिन इससे ब्रांड की इमेज को जरूर धक्का लगा है। एक बड़ी कंपनी में ऐसी लापरवाही से ग्राहक और निवेशक दोनों ही चिंता में पड़ सकते हैं।

हालांकि किआ इंडिया ने साफ किया है कि उन्होंने इस मामले को गंभीरता से लिया है और किसी भी दोषी को बख्शा नहीं जाएगा। कंपनी ने भरोसा दिलाया है कि उनके ग्राहकों की कार और सर्विस पर इसका कोई असर नहीं पड़ेगा। उद्योग विशेषज्ञों का मानना है कि ऐसी घटनाएं पूरी इंडस्ट्री को झटका देती हैं, इसलिए जरूरी है कि कंपनियां अपनी आंतरिक सुरक्षा पर ज्यादा ध्यान दें।

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