Land Purchase Rules: आजकल हर कोई चाहता है कि वो किसी खूबसूरत, शांत और सुविधाजनक जगह पर अपनी प्रॉपर्टी ले। कोई अपने राज्य में लेता है तो कोई दूसरे राज्य में बढ़िया लोकेशन देखकर खरीददारी की प्लानिंग करता है। लेकिन भारत में ऐसे भी कुछ राज्य हैं जहां करोड़ों रुपए होने के बावजूद भी आप जमीन नहीं खरीद सकते, वो भी सिर्फ इसीलिए क्योंकि आप उस राज्य के निवासी नहीं हैं। अब सोचिए, पैसे तो हैं लेकिन नियम ऐसे हैं कि वहां एक इंच जमीन भी बाहरी लोगों को खरीदने की इजाजत नहीं है।
कई लोग मेहनत से पाई-पाई जोड़कर जमीन खरीदने का सपना संजोते हैं। जब पैसा जुड़ जाता है, तो वे किसी और राज्य में जाकर भी सस्ती और अच्छी जगह देखकर वहां जमीन खरीदने की सोचते हैं। मगर कुछ राज्यों में यह सोचना भी बेकार है क्योंकि वहां के नियम इतने सख्त हैं कि आप चाहकर भी जमीन नहीं ले सकते। इन नियमों के पीछे कई स्थानीय और संवैधानिक कारण हैं, जिन्हें जानना जरूरी है।
हिमाचल प्रदेश: सुंदरता के बीच जमीन खरीदना सिर्फ सपना
हिमाचल प्रदेश एक ऐसा राज्य है जहां की खूबसूरती लाखों पर्यटकों को हर साल खींच लाती है। पहाड़ों, घाटियों और बर्फीले नजारों के बीच हर कोई वहां घर बसाने का सपना देखता है। लेकिन यह सपना हकीकत नहीं बन सकता। वजह है वहां का साल 1972 में बना भूमि कानून। इस कानून की धारा 118 के तहत बाहरी राज्यों के लोग हिमाचल में खेती योग्य भूमि नहीं खरीद सकते। अगर कोई वहां घर बनाना चाहता है, तो उसे सरकार से विशेष अनुमति लेनी पड़ती है, वो भी बहुत ही मुश्किल से मिलती है। इसी वजह से हिमाचल में बाहरी लोगों के लिए जमीन लेना लगभग नामुमकिन है।
नागालैंड: सांस्कृतिक विरासत के चलते सख्त नियम
नागालैंड एक आदिवासी बहुल और सांस्कृतिक रूप से समृद्ध राज्य है। जब 1963 में इसे राज्य का दर्जा मिला था, तो भारतीय संविधान में इसके लिए एक खास अनुच्छेद जोड़ा गया – आर्टिकल 371A। इस अनुच्छेद के तहत नागालैंड को विशेष अधिकार दिए गए हैं, जिसके मुताबिक राज्य की जमीन और संसाधनों पर सिर्फ यहां के स्थानीय लोगों का हक है। बाहर के लोगों को जमीन खरीदने की इजाजत नहीं है। यह नियम वहां की जनजातीय पहचान और जमीन की सुरक्षा के लिए बेहद जरूरी माना जाता है।
सिक्किम: न सिर्फ टैक्स में अलग, जमीन में भी सख्ती
सिक्किम एक ऐसा राज्य है जो सिर्फ अपनी हरियाली और ठंडे मौसम के लिए नहीं, बल्कि अपने अलग इनकम टैक्स नियमों और जमीन की सख्ती के लिए भी जाना जाता है। संविधान के अनुच्छेद 371F के तहत सिक्किम को भी खास दर्जा दिया गया है। इस अनुच्छेद के अनुसार, कोई भी बाहरी व्यक्ति यहां जमीन नहीं खरीद सकता। सिक्किम की जमीन पर सिर्फ स्थानीय लोगों का हक है और ये नियम राज्य की पहचान और संस्कृति को बचाए रखने के लिए बनाए गए हैं।
अरुणाचल प्रदेश: प्रकृति की गोद में लेकिन कानून की दीवार
अरुणाचल प्रदेश एक बेहद खूबसूरत पूर्वोत्तर राज्य है। यहां की हरी-भरी वादियां और पहाड़ी नजारे हर किसी को अपनी ओर खींचते हैं। लेकिन यहां भी जमीन खरीदने को लेकर सख्त नियम हैं। राज्य सरकार के अनुसार, कोई भी बाहरी व्यक्ति यहां जमीन नहीं खरीद सकता। खेती की जमीन या अन्य किसी भी प्रकार की भूमि को ट्रांसफर करने के लिए सरकारी मंजूरी अनिवार्य है। यह मंजूरी भी तभी दी जाती है जब कोई विशेष परिस्थिति हो। इस सख्ती का मकसद है राज्य की जनसंख्या और संसाधनों पर बाहरी असर को रोकना।
मिजोरम, मेघालय, मणिपुर: नॉर्थ ईस्ट के नियम सबसे अलग
पूर्वोत्तर भारत के कई राज्य जैसे मिजोरम, मेघालय और मणिपुर भी जमीन खरीदने को लेकर कड़े कानूनों का पालन करते हैं। यहां न केवल बाहरी लोग बल्कि इन राज्यों के निवासी भी एक-दूसरे के राज्यों में जमीन नहीं खरीद सकते। यह नियम वहां की सामाजिक और पारंपरिक व्यवस्थाओं को बनाए रखने के लिए हैं। जनजातीय संस्कृति और समाज की संरचना को प्रभावित न किया जा सके, इसके लिए राज्य सरकारों ने इन कानूनों को बहुत ही सख्ती से लागू किया हुआ है।
कुल मिलाकर देखा जाए तो भारत में जमीन खरीदने के लिए सिर्फ पैसा होना काफी नहीं है। कुछ राज्यों में कानूनी और संवैधानिक पाबंदियां इतनी कड़ी हैं कि चाहकर भी बाहरी लोग वहां एक टुकड़ा जमीन नहीं खरीद सकते। इन नियमों को बनाने का उद्देश्य सिर्फ कानून नहीं बल्कि वहां की पारंपरिक और सांस्कृतिक धरोहर को सुरक्षित रखना है। इसलिए अगर आप भी ऐसे किसी राज्य में जमीन खरीदने का सपना देख रहे हैं, तो पहले वहां के जमीन कानूनों को अच्छे से समझ लें। कहीं ऐसा न हो कि सपना देखने के बाद भी वो सिर्फ सपना ही रह जाए।