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बिना CIBIL Score के बैंक देंगे लोन, सरकार का ग्राहकों के लिए बड़ा फैसला: CIBIL Score

CIBIL Score: अक्सर जब कोई व्यक्ति बैंक से लोन लेने के लिए अप्लाई करता है, तो बैंक सबसे पहले उसके सिबिल स्कोर को देखता है। ये स्कोर किसी व्यक्ति की लोन चुकाने की क्षमता को दिखाता है और उसी आधार पर बैंक लोन मंजूर करता है या नहीं करता है। लेकिन अब एक नई व्यवस्था आ गई है जिससे किसानों को बड़ी राहत मिलने वाली है। सरकार ने बैंकों को साफ निर्देश दिए हैं कि कृषि लोन देते समय सिबिल स्कोर को अनिवार्य न मानें। अगर किसी किसान का सिबिल स्कोर कम भी है या खराब है, तो भी उसे लोन मिलना चाहिए। यह फैसला किसानों के हित को ध्यान में रखकर लिया गया है, क्योंकि कई बार किसान ज़रूरत के समय सिर्फ सिबिल स्कोर के कारण लोन से वंचित रह जाते हैं।

अब कौन से लोन पर नहीं देखा जाएगा CIBIL स्कोर

सरकार ने बैंकों को विशेष निर्देश दिए हैं कि अब किसान जब कृषि लोन के लिए आवेदन करेंगे तो उनसे सिबिल स्कोर को लेकर ज्यादा सवाल-जवाब न किए जाएं। कृषि लोन एक ऐसा साधन है जिससे किसान खेती की ज़रूरतों को पूरा करता है। बीज, खाद, सिंचाई और दूसरे कृषि उपकरणों के लिए किसानों को फाइनेंस की ज़रूरत होती है और इसके लिए बैंक से मदद ली जाती है। लेकिन कई बार सिर्फ सिबिल स्कोर के कारण जरूरतमंद किसान को लोन नहीं मिल पाता। अब इस समस्या को खत्म करने के लिए सरकार ने बैंकों को निर्देश दिए हैं कि वे किसानों को बिना सिबिल स्कोर पर जोर दिए लोन मुहैया कराएं।

 

CIBIL स्कोर दरअसल एक क्रेडिट रिपोर्ट होता है जो किसी व्यक्ति की वित्तीय स्थिति और पुराने लोन चुकाने के रिकॉर्ड को दर्शाता है। बैंकों और वित्तीय संस्थाओं द्वारा यह स्कोर लोन अप्रूवल से पहले देखा जाता है ताकि वे यह समझ सकें कि ग्राहक भविष्य में लोन चुका पाएगा या नहीं। हालांकि सरकार का मानना है कि किसानों की स्थिति अलग होती है और उन्हें इस स्कोर की वजह से वंचित नहीं किया जा सकता।

बैंकों पर होगी कार्रवाई अगर सिबिल स्कोर की मांग की गई

महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री ने स्पष्ट किया है कि अगर किसी बैंक ने किसानों से कृषि लोन के लिए सिबिल स्कोर की मांग की तो उसके खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी। उन्होंने कहा कि अगर किसान को लोन नहीं मिलेगा, तो इसका सीधा असर प्रदेश की अर्थव्यवस्था पर पड़ेगा और किसानों को परेशानी झेलनी पड़ेगी। इसलिए उन्होंने पहले भी कई बार बैंकों को निर्देशित किया है कि वे किसानों के लिए कृषि लोन को सुलभ बनाएं। फिर भी कुछ बैंक सिबिल स्कोर को लेकर अड़ियल रुख अपनाते हैं और इसकी वजह से कई मामलों में एफआईआर भी दर्ज करनी पड़ी है।

मुख्यमंत्री का कहना है कि यह मामला बहुत ही गंभीर है और बैंकों को इसे पूरी जिम्मेदारी के साथ संभालना चाहिए। किसानों को राहत देने के लिए यह जरूरी है कि बैंक अपनी सोच को बदले और किसान की जरूरत को प्राथमिकता दें न कि उसकी क्रेडिट हिस्ट्री को।

 

कब दिए गए सरकार के ये महत्वपूर्ण निर्देश

यह निर्देश तब दिए गए जब सह्याद्री गेस्ट हाउस में राज्य स्तरीय बैंकर्स समिति की 167वीं बैठक आयोजित की गई थी। उस बैठक में मुख्यमंत्री ने सभी बैंकों को चेतावनी दी थी कि अगर वे सिबिल स्कोर को लेकर किसानों को लोन देने में आनाकानी करेंगे, तो उनके खिलाफ कार्यवाही निश्चित की जाएगी। साथ ही आरबीआई ने भी इस विषय में स्पष्ट कर दिया है कि कृषि लोन देने में सिबिल स्कोर की अनिवार्यता नहीं होनी चाहिए।

44.76 लाख करोड़ की कृषि लोन योजना को मिली मंजूरी

 

उक्त बैठक में महाराष्ट्र राज्य के लिए वित्तीय वर्ष 2025-26 के दौरान 44.76 लाख करोड़ रुपये की लोन योजना को मंजूरी दी गई। यह एक बड़ा कदम है जो कृषि क्षेत्र को मजबूती देने की दिशा में है। मुख्यमंत्री ने खासतौर से राष्ट्रीयकृत बैंकों से कहा कि वे इस योजना को सफल बनाने के लिए हर संभव प्रयास करें और किसानों को लोन उपलब्ध कराएं। इसका मुख्य उद्देश्य कृषि लोन कवरेज को बढ़ाना और किसानों को सशक्त बनाना है ताकि वे आत्मनिर्भर बन सकें।

कृषि लोन के ज़रिए कैसे हो किसानों की मदद

मुख्यमंत्री का कहना है कि कृषि क्षेत्र की अनदेखी अब बर्दाश्त नहीं की जाएगी। इसी वजह से सरकार का पूरा फोकस इस पर है कि बैंकों को किसानों के प्रति सहानुभूति रखनी चाहिए और उन्हें लोन देने में मदद करनी चाहिए। मौसम विभाग ने भी इस साल अच्छी बारिश की उम्मीद जताई है, जिससे अच्छी फसल की संभावना है। इस स्थिति में अगर बैंकों की ओर से किसानों को पर्याप्त लोन मिलेगा, तो इसका फायदा दोनों पक्षों को होगा – किसान को भी और बैंक को भी।

अगर कृषि का विकास होता है तो इससे ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मजबूती मिलती है और बैंक भी अपने लोन टारगेट को पूरा कर सकते हैं। बैंक को कृषि को सिर्फ एक सहायक उद्योग नहीं बल्कि एक मजबूत बिज़नेस ऑप्शन के रूप में देखना चाहिए।

 

किसको होगा ज्यादा फायदा – बैंक या किसान

मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य सरकार की ओर से किसानों के लिए एक निवेश नीति लागू की जा रही है, जिसमें बैंकों की अहम भूमिका है। इस नीति के तहत हर साल कृषि क्षेत्र में 5,000 करोड़ रुपये के निवेश का लक्ष्य रखा गया है। अगर बैंक किसानों को ज्यादा लोन देंगे, तो उन्हें भी फायदा होगा क्योंकि आज का कृषि क्षेत्र सिर्फ परंपरागत खेती तक सीमित नहीं है, बल्कि यह एक व्यवसायिक अवसर बन गया है।

इस दिशा में बैंक अगर किसानों को बिना सिबिल स्कोर की अड़चन के लोन देंगे तो इससे न केवल किसान आत्मनिर्भर बनेंगे, बल्कि बैंक भी लाभ में रहेंगे। कृषि में निवेश का मतलब है देश के भविष्य में निवेश करना, और अगर सरकार और बैंक मिलकर इस दिशा में काम करें तो भारत की ग्रामीण अर्थव्यवस्था एक नई ऊंचाई छू सकती है।

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