New Toll Tax Policy: अब जब आप हाईवे पर गाड़ी लेकर निकलेंगे तो मन में एक ही सवाल नहीं उठेगा कि ‘कितना टोल कटेगा’? क्योंकि सरकार ने टोल वसूली के नियमों में बड़ा बदलाव कर दिया है। अब से टोल टैक्स पुराने सिस्टम की तरह फिक्स नहीं रहेगा, बल्कि आप जितनी दूरी हाईवे पर चलेंगे, उसी हिसाब से पैसा कटेगा। यानी अब 2 किलोमीटर का सफर हो या 200 किलोमीटर का, टोल उसी अनुपात में लगेगा।
केंद्रीय सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय ने नई टोल नीति को हरी झंडी दे दी है और इसकी प्रक्रिया शुरू कर दी गई है। यह फैसला ड्राइवरों, ट्रांसपोर्टर्स और आम लोगों के लिए राहत भरा माना जा रहा है, जो अब तक पूरे टोल की राशि देने को मजबूर होते थे, भले ही उन्होंने आधा रास्ता ही तय किया हो।
नई नीति में क्या है खास बदलाव
नई टोल टैक्स नीति के तहत अब टोल प्लाजा पर केवल वही लोग पूरा शुल्क देंगे जो पूरा हाईवे इस्तेमाल करते हैं। अन्य लोगों से प्रति किलोमीटर के हिसाब से टोल वसूला जाएगा।
सरकार इस व्यवस्था को GNSS (Global Navigation Satellite System) और FASTag टेक्नोलॉजी के ज़रिए लागू करेगी। गाड़ी में लगे सिस्टम से यह ट्रैक किया जाएगा कि आपने हाईवे पर कहां से एंट्री ली और कहां से निकले। इस दूरी के आधार पर ही टोल कटेगा, और कटौती भी उसी समय होगी। इससे उन लोगों को बड़ा फायदा मिलेगा जो सिर्फ कुछ किलोमीटर के लिए हाईवे का इस्तेमाल करते हैं लेकिन अब तक उन्हें भी फुल चार्ज देना पड़ता था।
कब से लागू होगी नई व्यवस्था
सरकार ने 2024 के अंत तक इस योजना को चरणबद्ध तरीके से लागू करने की बात कही है। शुरुआती तौर पर यह व्यवस्था कुछ चुनिंदा हाइवे पर लागू की जाएगी, फिर धीरे-धीरे पूरे देश में फैलाया जाएगा।
NHAI और संबंधित तकनीकी एजेंसियां GNSS सिस्टम की टेस्टिंग कर रही हैं और 2025 तक यह पूरे देश में लागू कर दिया जाएगा। मौजूदा FASTag सिस्टम को अपग्रेड करके ही यह नई सुविधा दी जाएगी, ताकि लोगों को अलग से कुछ न करना पड़े। यह नीति खासकर ट्रांसपोर्ट सेक्टर के लिए राहत लेकर आएगी, जहां टोल की लागत एक बड़ा खर्च होता है।
लोगों की जेब पर पड़ेगा सीधा असर
अब तक होता यह था कि किसी को अगर टोल प्लाजा से थोड़ा आगे जाना होता था, तो भी उसे पूरे सेक्शन का टोल देना पड़ता था। जैसे ही नई नीति लागू होगी, वैसे ही यह गड़बड़ी खत्म हो जाएगी और लोगों को वास्तविक दूरी के अनुसार ही शुल्क देना होगा।
सरकार का मानना है कि इससे लोगों को आर्थिक राहत मिलेगी, और हाइवे के उपयोग में भी पारदर्शिता आएगी। खास बात यह है कि अब लोग छोटे सफर के लिए भी हाईवे का इस्तेमाल करने से नहीं हिचकेंगे क्योंकि फालतू चार्ज नहीं लगेगा।
सिस्टम कैसे करेगा काम
गाड़ी में लगे GNSS डिवाइस से यह पता चलेगा कि आप कब-कहां से हाइवे में एंट्री करते हैं और कहां से बाहर निकलते हैं। जैसे ही आप हाईवे छोड़ते हैं, उसी समय आपके FASTag अकाउंट से किलोमीटर के हिसाब से रकम काट ली जाएगी।
इस टेक्नोलॉजी से ना सिर्फ ट्रैकिंग आसान होगी बल्कि टोल वसूली में होने वाली धांधली और ट्रैफिक की भी समस्या कम होगी। सरकार का दावा है कि इससे टोल प्लाजा पर जाम भी कम होगा, क्योंकि ज़्यादा ट्रैफिक अब GNSS आधारित ऑटोमैटिक सिस्टम से ही नियंत्रित होगा।
नए नियम से जुड़ी चुनौतियाँ भी रहेंगी
हालांकि यह नई व्यवस्था सुनने में जितनी आसान लगती है, उतनी है नहीं। देश में अभी भी कई इलाकों में इंटरनेट और टेक्नोलॉजी की पहुंच सीमित है। ऐसे में GNSS आधारित प्रणाली को लागू करना सरकार के लिए एक बड़ी चुनौती होगी।
इसके अलावा गाड़ियों में GNSS डिवाइस लगाना, FASTag सिस्टम को अपग्रेड करना और लोगों को इसके लिए जागरूक करना भी जरूरी होगा। सरकार को यह सुनिश्चित करना होगा कि इस नई व्यवस्था से किसी आम नागरिक को कोई असुविधा न हो।
Disclaimer: यह लेख सार्वजनिक रूप से उपलब्ध सरकारी सूचनाओं और मीडिया रिपोर्ट्स पर आधारित है। किसी भी आधिकारिक फैसले की पुष्टि संबंधित विभाग की वेबसाइट से करें। लेख में दी गई जानकारी भविष्य में अपडेट हो सकती है।