Personal Loan: अगर कोई व्यक्ति पर्सनल लोन लेकर समय पर उसका भुगतान नहीं करता है तो सबसे पहला असर उसके क्रेडिट स्कोर पर पड़ता है। क्रेडिट स्कोर एक ऐसा इंडिकेटर है जो यह बताता है कि आप कितने भरोसेमंद उधारकर्ता हैं।
क्रेडिट स्कोर गिरने से आगे चलकर होम लोन, व्हीकल लोन या किसी भी प्रकार की फाइनेंसिंग में परेशानी होती है। बैंक या NBFC तब लोन देने में झिझकते हैं या ब्याज दरें काफी ज्यादा तय करते हैं।
कानूनी कार्रवाई की संभावनाएं
यदि लोन की EMI लगातार डिफॉल्ट होती है, तो बैंक या फाइनेंशियल संस्था कानूनी कार्रवाई भी शुरू कर सकती है। ये कार्रवाई लोन रिकवरी एजेंट्स के जरिए हो सकती है या फिर कोर्ट केस के रूप में।
कुछ मामलों में व्यक्ति को कोर्ट से समन भी भेजा जा सकता है। इससे न सिर्फ आर्थिक दबाव बढ़ता है, बल्कि सामाजिक छवि पर भी असर पड़ता है, जो नौकरी और बिजनेस में समस्या ला सकता है।
गारंटर और को-एप्लिकेंट को भी नुकसान
अगर किसी पर्सनल लोन के लिए आपने गारंटर या को-एप्लिकेंट रखा है, तो भुगतान न करने की स्थिति में उनकी क्रेडिट प्रोफाइल भी प्रभावित होती है। बैंक EMI वसूली के लिए उनसे संपर्क कर सकते हैं।
इससे न केवल आपके रिश्तों में तनाव पैदा हो सकता है बल्कि आपके नाम से आगे किसी को भी लोन मिलने में परेशानी हो सकती है। गारंटर को भी कानूनी कार्रवाई का सामना करना पड़ सकता है।
नौकरी और वीज़ा प्रोसेस पर भी असर
क्रेडिट स्कोर या कोर्ट केस का रिकॉर्ड कई बार वीज़ा अप्लिकेशन या सरकारी नौकरी के बैकग्राउंड चेक में बाधा बन सकता है। कुछ कंपनियां भर्ती प्रक्रिया के दौरान वित्तीय इतिहास भी चेक करती हैं।
खराब वित्तीय ट्रैक रिकॉर्ड आपके पेशेवर भविष्य को प्रभावित कर सकता है। खासकर फाइनेंस या गवर्नमेंट सेक्टर की नौकरियों में यह बात बेहद अहम होती है।
लोन रिकवरी प्रक्रिया और मानसिक दबाव
बैंक और फाइनेंशियल कंपनियों के रिकवरी एजेंट्स लगातार कॉल, विज़िट और नोटिस के जरिए उधारकर्ता पर लोन चुकाने का दबाव बनाते हैं। कई बार यह व्यवहार मानसिक तनाव की स्थिति भी पैदा कर देता है।
हालांकि, RBI ने कड़े नियम बनाए हैं कि एजेंट अभद्र भाषा या रात के समय संपर्क न करें, फिर भी व्यवहारिक रूप से कई लोग इस दबाव को झेल नहीं पाते। यह स्थिति व्यक्ति की मानसिक और सामाजिक स्थिति को कमजोर करती है।
पर्सनल लोन लेना जितना आसान है, उसका समय पर भुगतान करना उतना ही जरूरी है। लापरवाही आपको सिर्फ आर्थिक रूप से नहीं, बल्कि मानसिक, सामाजिक और कानूनी रूप से भी नुकसान पहुँचा सकती है। इसलिए सोच-समझकर लोन लें और जिम्मेदारी से उसे चुकाएं।