India News: पुणे के बहुचर्चित पोर्श हादसे ने अभी देश की जनता और मीडिया की यादों से मिटा भी नहीं था कि अब उसी केस से जुड़ा एक और बड़ा खुलासा सामने आया है। मामला सिर्फ एक नाबालिग लड़के के खतरनाक ड्राइविंग और दो लोगों की मौत तक ही सीमित नहीं रहा, अब कहानी ने और भी ज्यादा चौंकाने वाला मोड़ ले लिया है। इस केस में गिरफ्तार किए गए एक डॉक्टर को अब अवैध किडनी ट्रांसप्लांट रैकेट में भी गिरफ्तार किया गया है।
जिस डॉक्टर को पहले केवल इस केस में आरोपी लड़के की मेडिकल जांच से जुड़ी गड़बड़ियों में नामजद किया गया था, अब वही डॉक्टर देश के एक सबसे खतरनाक अंग व्यापार गिरोह से जुड़ा पाया गया है। पुलिस की जांच में सामने आया है कि इस डॉक्टर की भूमिका सिर्फ नाबालिग को बचाने तक सीमित नहीं थी, बल्कि वह कई सालों से किडनी रैकेट का हिस्सा रहा है और उसने कई फर्जी डोनर और मरीजों की सर्जरी करवाई है।
पोर्श केस की जांच में कैसे हुआ नया खुलासा
पुणे पोर्श हादसे के बाद पुलिस की जांच सिर्फ एक्सीडेंट तक सीमित नहीं रही। हादसे के आरोपी नाबालिग के शराब पीने की पुष्टि में गड़बड़ी पाए जाने के बाद पुलिस ने जब मेडिकल स्टाफ से पूछताछ शुरू की, तभी उस डॉक्टर का नाम सामने आया जिसने शराब टेस्ट को प्रभावित किया था। इस डॉक्टर ने मेडिकल रिपोर्ट में कथित रूप से झूठी जानकारी दी थी जिससे आरोपी को बचाया जा सके।
लेकिन जब जांच एजेंसियों ने उसकी कॉल डिटेल्स, बैंक अकाउंट और अस्पताल से जुड़े दस्तावेजों की छानबीन की, तो मामला और गंभीर हो गया। डॉक्टर की कई बार मुलाकात उन लोगों से हुई थी जो पहले से ही अवैध किडनी ट्रांसप्लांट केस में संदिग्ध थे। यही नहीं, कुछ पुराने ट्रांसप्लांट केस की फाइलें भी दोबारा निकाली गईं और उसमें गड़बड़ियाँ पाई गईं।
किडनी रैकेट का खुलासा और डॉक्टर की भूमिका
पुलिस की जांच में यह सामने आया है कि आरोपी डॉक्टर प्राइवेट अस्पतालों की मिलीभगत से गरीब और मजबूर लोगों को किडनी बेचने के लिए तैयार करता था। बदले में उन्हें बहुत ही कम रकम दी जाती थी और बिचौलिए मोटी रकम कमा लेते थे। इन ट्रांसप्लांट्स के लिए फर्जी दस्तावेज बनाए जाते थे, जैसे कि डोनर और रिसीवर रिश्तेदार हैं – जबकि हकीकत में ऐसा कुछ नहीं होता था।
इस रैकेट में डॉक्टर की भूमिका केवल एक सर्जन की नहीं थी, बल्कि वह पूरे नेटवर्क का हिस्सा था – जो पैसों के बदले नियमों को ताक पर रखकर ट्रांसप्लांट को अंजाम देता था। जांच में यह भी सामने आया है कि डॉक्टर ने कई बार नियमों से छेड़छाड़ करके Ethics Committee और Authorization Board को गुमराह किया था। यही नहीं, जांच एजेंसियों को डॉक्टर के घर से कुछ संदिग्ध दस्तावेज और मोबाइल चैट्स भी मिले हैं जिनसे उसकी संलिप्तता और पक्की हो जाती है।
कानूनी कार्रवाई और आने वाला रास्ता
डॉक्टर को पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया है और कोर्ट में पेश करके रिमांड पर लिया गया है। इस दौरान पुलिस ने डॉक्टर से पूछताछ की तो कई और नाम सामने आए हैं जिन पर अब कार्रवाई शुरू हो चुकी है। महाराष्ट्र पुलिस इस मामले को अब ऑर्गन ट्रैफिकिंग केस के तौर पर दर्ज कर चुकी है और इसे राज्य के सबसे बड़े अंग व्यापार मामलों में से एक माना जा रहा है।
इस केस के बाद राज्य सरकार ने सभी प्राइवेट और सरकारी अस्पतालों को निर्देश जारी किए हैं कि सभी ट्रांसप्लांट मामलों की दोबारा समीक्षा की जाए। मेडिकल काउंसिल भी डॉक्टर की मेडिकल लाइसेंस को सस्पेंड करने पर विचार कर रही है। इस मामले की गंभीरता को देखते हुए एनआईए और स्वास्थ्य मंत्रालय भी इसे अपनी नजर में ले चुके हैं।
जनता में गुस्सा और चिकित्सा क्षेत्र पर उठते सवाल
यह मामला सामने आने के बाद न सिर्फ लोग आक्रोश में हैं, बल्कि चिकित्सा जगत की साख पर भी सवाल उठ रहे हैं। डॉक्टर जैसे पेशे से जब ऐसा कुछ होता है, तो पूरा समाज उस पर शक की नजर से देखने लगता है।
पुणे के पोर्श केस में आरोपी को बचाने की कोशिश और किडनी रैकेट में उसकी संलिप्तता ने जनता के भरोसे को झकझोर दिया है। लोग सोशल मीडिया पर डॉक्टर की गिरफ्तारी की मांग कर रहे थे, और अब जब सच्चाई सामने आ गई है, तो हर कोई यह सोच रहा है कि कहीं उनके शहर या अस्पताल में भी ऐसी कोई साजिश तो नहीं चल रही।
इस घटना ने सरकार, मेडिकल काउंसिल और आम नागरिकों को एक बार फिर से सोचने पर मजबूर कर दिया है कि क्या हम अपने सबसे भरोसेमंद सिस्टम पर भी आंख मूंदकर विश्वास कर सकते हैं?