RBI New Guidelines

RBI New Guidelines: ट्रांजेक्शन फेल होने पर इतने दिन में लौटेगा पैसा, जान लें रिजर्व बैंक के नियम

RBI New Guidelines: आज के दौर में हर दूसरा इंसान UPI, डेबिट कार्ड या इंटरनेट बैंकिंग का इस्तेमाल कर रहा है। लेकिन कई बार ऐसा होता है कि ट्रांजेक्शन करते वक्त पैसा अकाउंट से कट जाता है, लेकिन न तो वो रिसीवर तक पहुंचता है और न ही तुरंत रिफंड होता है। ऐसे में टेंशन बढ़ जाती है और कई बार ग्राहकों को समझ ही नहीं आता कि करना क्या है। अब इस परेशानी से राहत देते हुए RBI ने नए नियम जारी किए हैं, जिनमें बताया गया है कि ट्रांजेक्शन फेल होने पर बैंक को कितने दिन के अंदर पैसा लौटाना होगा।

यह नियम देशभर के ग्राहकों के लिए बड़ी राहत की बात है। पहले जहां लोग महीनों तक बैंक के चक्कर काटते थे, अब उन्हें तय समय में पैसा मिल जाएगा। इस फैसले से बैंकिंग सिस्टम में पारदर्शिता बढ़ेगी और ग्राहकों का भरोसा और मजबूत होगा।

 

RBI के अनुसार ट्रांजेक्शन फेल होने की स्थिति क्या है

जब कोई ग्राहक एटीएम से पैसे निकालता है, ऑनलाइन पेमेंट करता है, या फिर UPI से पैसा भेजता है और वह ट्रांजेक्शन किसी तकनीकी कारण से पूरा नहीं हो पाता, लेकिन पैसा अकाउंट से कट जाता है, तो उस स्थिति को ट्रांजेक्शन फेल माना जाता है।

ऐसे मामलों में बैंक ग्राहक को समय पर पैसा लौटाए, इसके लिए RBI ने साल 2019 में गाइडलाइन बनाई थी और हाल ही में उसे अपडेट भी किया गया है। अब बैंकों को ट्रांजेक्शन फेल होने के बाद क्लियर टाइमलाइन दी गई है ताकि ग्राहक को देर से रिफंड न मिले।

कितने दिन में पैसा वापस मिलेगा

RBI की गाइडलाइन के अनुसार अगर ATM से कैश नहीं निकलता लेकिन पैसा अकाउंट से कट जाता है, तो 5 वर्किंग डेज यानी 5 कार्यदिवस के अंदर बैंक को पैसा ग्राहक को वापस करना होगा।

 

अगर UPI या IMPS ट्रांजेक्शन फेल होता है, तो 1 वर्किंग डे के अंदर पैसा वापस आ जाना चाहिए। RTGS में फेल ट्रांजेक्शन का रिफंड 1 घंटे के अंदर होना चाहिए और NEFT के मामले में 2 घंटे में। अगर ये टाइमलाइन फॉलो नहीं होती, तो बैंक को ग्राहक को ₹100 प्रति दिन के हिसाब से हर्जाना देना होगा, जब तक पैसा वापस न आए। यह नियम ग्राहकों के हक की पूरी तरह से रक्षा करता है और बैंक को समयबद्धता में काम करने के लिए मजबूर करता है।

बैंक को क्या करना होगा, और ग्राहक क्या करें

बैंकों को यह सुनिश्चित करना होगा कि उनकी तकनीकी टीम इन सभी नियमों का पालन करे और किसी भी फेल ट्रांजेक्शन पर ऑटोमेटिक मॉनिटरिंग हो। ग्राहकों को भी चाहिए कि अगर पैसा समय पर वापस नहीं आता है तो वह बैंक की ब्रांच में जाकर या ग्राहक सेवा नंबर पर कॉल करके शिकायत दर्ज करें। इसके बाद भी अगर समाधान न मिले तो ग्राहक RBI के बैंकिंग लोकपाल (Ombudsman) पोर्टल पर शिकायत दर्ज कर सकते हैं।

RBI ने यह भी निर्देश दिए हैं कि हर बैंक को अपने ग्राहक को रियल टाइम SMS या ईमेल के जरिए ट्रांजेक्शन की स्थिति की जानकारी देनी होगी, जिससे ग्राहक भ्रम में न रहें।

 

टेक्नोलॉजी की गलती, लेकिन नुकसान ग्राहक को क्यों?

RBI का कहना है कि अब जब देश डिजिटल हो रहा है और कैशलेस ट्रांजेक्शन की संख्या करोड़ों में पहुंच चुकी है, तो सिस्टम में पारदर्शिता और समयबद्धता जरूरी हो गई है। टेक्नोलॉजी फेल हो सकती है लेकिन उसका खामियाजा ग्राहक क्यों भुगते? इसी सोच के आधार पर RBI ने नियम सख्त किए हैं ताकि किसी भी हालात में ग्राहक के पैसे का नुकसान न हो।

आजकल बहुत सारे लोग ऐसे हैं जिनका पूरा लेनदेन मोबाइल पर होता है। ऐसे में हर एक रुपया कीमती है और उस पर भरोसा बना रहना जरूरी है। अगर बार-बार ट्रांजेक्शन फेल हो और पैसा अटका रहे तो डिजिटल इंडिया का सपना अधूरा ही रह जाएगा।

ग्राहकों की जागरूकता ही सबसे बड़ा हथियार

अब जबकि नियम बन गए हैं, तो जरूरी है कि ग्राहक भी अपने हक के प्रति जागरूक रहें। उन्हें पता होना चाहिए कि कितने दिन में पैसा वापस आना चाहिए, और क्या करें अगर ऐसा नहीं होता है। हर ग्राहक को बैंक की रसीद, ट्रांजेक्शन आईडी, और SMS जैसे रिकॉर्ड संभालकर रखने चाहिए ताकि अगर शिकायत करनी पड़े तो सटीक जानकारी दी जा सके।

RBI का मकसद है कि ग्राहक और बैंक दोनों की जिम्मेदारियां साफ-साफ तय हों और डिजिटल ट्रांजेक्शन पर लोगों का भरोसा बना रहे। इसी सोच के साथ ये नई गाइडलाइंस लागू की गई हैं।

डिस्क्लेमर: यह लेख सिर्फ जानकारी के उद्देश्य से लिखा गया है। कृपया लेनदेन से जुड़ी समस्या के लिए संबंधित बैंक या RBI की वेबसाइट पर आधिकारिक जानकारी प्राप्त करें।

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