Supreme Court: सुप्रीम कोर्ट ने चेक बाउंस मामलों में आम जनता को बड़ी राहत दी है। अब 138 NI Act के तहत चेक बाउंस के मामलों में लंबी तारीखों पर कोर्ट जाने की जरूरत नहीं पड़ेगी। सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि ऐसे मामलों में ई-प्रक्रिया के माध्यम से मामलों का निपटारा किया जा सकता है। यह फैसला अदालतों पर बढ़ते बोझ को कम करने और जनता के समय और पैसे की बचत के लिए लिया गया है। इससे लाखों मामलों के निपटारे में तेजी आएगी और लोगों को बार-बार कोर्ट के चक्कर नहीं काटने पड़ेंगे।
ई-प्रक्रिया से होगा निपटारा
सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले के बाद अब चेक बाउंस के मामलों में ई-समन, ऑनलाइन सुनवाई और डिजिटल साक्ष्य के आधार पर कार्यवाही की जाएगी। इससे न्याय प्रक्रिया सरल और पारदर्शी होगी। इससे अभियुक्त और शिकायतकर्ता दोनों को सुविधा होगी और समय की बचत भी होगी। सुप्रीम कोर्ट ने सभी हाई कोर्ट को निर्देश दिया है कि वे अपने राज्य में इस फैसले को लागू कर तत्काल प्रभाव से व्यवस्था करें। इससे डिजिटल न्याय प्रणाली को भी बढ़ावा मिलेगा और छोटे मामलों में जल्दी निपटारा संभव होगा।
अदालतों का बोझ होगा कम
चेक बाउंस के मामलों में देशभर की अदालतों में लाखों केस लंबित हैं। इस फैसले के बाद अदालतों पर से दबाव कम होगा और अन्य महत्वपूर्ण मामलों पर ध्यान केंद्रित किया जा सकेगा। इससे अदालतों की कार्यक्षमता में सुधार होगा और न्याय की प्रक्रिया तेज होगी। इससे न्यायिक व्यवस्था में पारदर्शिता बढ़ेगी और केस के लंबित रहने से उत्पन्न होने वाली परेशानियों से भी राहत मिलेगी। इससे न्याय व्यवस्था में जनता का विश्वास भी मजबूत होगा।
जनता को मिलेगा सीधा लाभ
चेक बाउंस के मामलों में पीड़ित पक्ष और आरोपी दोनों को बार-बार तारीखों पर कोर्ट जाने में समय और धन की हानि होती थी। सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले से जनता को आर्थिक और मानसिक राहत मिलेगी। ई-प्रक्रिया से सुनवाई होने पर लोग घर बैठे मामले की सुनवाई में शामिल हो सकेंगे। इससे न्याय तक पहुंच आसान होगी और छोटे व्यापारी, कर्मचारी और आम लोग इससे सीधे लाभान्वित होंगे। इससे न्याय प्रणाली और अधिक सुलभ और जनता के अनुकूल होगी।
न्यायिक प्रणाली में डिजिटल क्रांति
इस फैसले से भारत की न्याय प्रणाली में डिजिटल क्रांति को बढ़ावा मिलेगा। ई-कोर्ट्स और ऑनलाइन कार्यवाही से न्याय प्रणाली अधिक आधुनिक और पारदर्शी बनेगी। इससे पेपरलेस कार्यवाही संभव होगी और केसों की जानकारी डिजिटल रूप में रिकॉर्ड होगी। यह कदम देश में डिजिटल इंडिया मिशन को भी मजबूती देगा और न्यायिक प्रणाली में एक नई शुरुआत मानी जाएगी। इससे आम लोगों के लिए न्याय प्राप्त करना सरल और सस्ता होगा।