Supreme Court Decision: भारत के सुप्रीम कोर्ट ने एक ऐसा अनोखा फैसला दिया है जो समाज में महिलाओं के हक और परिवार की ज़िम्मेदारी को लेकर मिसाल बन गया है। कोर्ट ने एक ससुर को हुक्म दिया कि वो अपनी पुश्तैनी दुकानों को बेचकर अपनी बहू को गुजारा भत्ता दे। ये फैसला खास इसलिए है क्योंकि इसमें कोर्ट ने कहा कि बेटा अगर अपनी पत्नी को बेसहारा छोड़ दे, तो परिवार को भी जवाबदेह ठहराया जा सकता है। इस तरह सुप्रीम कोर्ट ने साफ कर दिया कि परिवार को भी अपनी ज़िम्मेदारियों से मुंह नहीं मोड़ना चाहिए।
मामला कहां से शुरू हुआ
यह पूरा मामला मोहन गोपाल नाम के एक व्यक्ति और उसके बेटे वरुण गोपाल से जुड़ा है। वरुण की शादी 2012 में हुई थी और वह उस वक्त ऑस्ट्रेलिया में काम कर रहा था। शादी के तुरंत बाद वरुण अपनी पत्नी को यहीं छोड़कर ऑस्ट्रेलिया चला गया और कभी लौटकर नहीं आया। यही नहीं, उसने वहां दूसरी शादी कर ली और अब उसके उस रिश्ते से बच्चे भी हैं। बाद में, 2017 में उसने ऑस्ट्रेलिया की एक अदालत से पहली पत्नी को तलाक भी दिलवा दिया।
बहू की लंबी लड़ाई
पति द्वारा छोड़े जाने के बाद महिला ने अपने हक के लिए लंबी कानूनी लड़ाई लड़ी। उसने अपने पति और ससुर दोनों के खिलाफ शिकायत दर्ज कराई और गुजारा भत्ते की मांग की। मामला धीरे-धीरे ऊपर तक गया और सुप्रीम कोर्ट तक पहुंचा। कोर्ट ने महिला की हालत को देखते हुए, और भविष्य में उसका सहारा बने – इसके लिए यह सख्त और ऐतिहासिक फैसला दिया। यह फैसला बताता है कि कोर्ट सिर्फ कानून नहीं देखता, इंसाफ भी करता है।
अदालत का सख्त आदेश
सुप्रीम कोर्ट की बेंच ने दो जजों के साथ फैसला सुनाते हुए मोहन गोपाल को ये कहा कि उन्हें अपनी छह दुकानें बेचनी होंगी ताकि बहू का खर्च उठाया जा सके। कोर्ट ने यह भी देखा कि मोहन और उसका बेटा वरुण कोर्ट के कई आदेशों को नजरअंदाज कर चुके हैं। अब उन्हें मिलकर 1.25 करोड़ रुपये की बकाया राशि अपनी बहू को देनी ही होगी। कोर्ट ने यह भी जताया कि अब और लापरवाही नहीं चलेगी।
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किराये और बिक्री का निर्देश
कोर्ट ने दिल्ली हाई कोर्ट को निर्देश दिया कि इन छह दुकानों की बिक्री जल्द से जल्द की जाए। जब तक ये दुकानें बिक नहीं जातीं, तब तक इनसे मिलने वाला किराया महिला को हर महीने दिया जाए। ये इस बात को सुनिश्चित करता है कि महिला को तुरंत कुछ मदद मिले और फैसला आने के बाद भी उसे किसी तरह की पैसों की दिक्कत न हो। ये भी साफ कर दिया गया कि अब कोई बहाना नहीं चलेगा।
संपत्ति बहू के नाम करने का आदेश
सुप्रीम कोर्ट ने आगे एक सख्त बात कही कि अगर तीन महीने के अंदर ये संपत्तियां नहीं बेची जातीं, तो उन्हें बहू के नाम पर ट्रांसफर कर दिया जाएगा। कोर्ट ने साफ किया कि अब देरी नहीं सहन की जाएगी। बहू को उसका हक जल्द से जल्द मिले – ये जिम्मेदारी कोर्ट ने खुद उठाई है। इस फैसले से यह साफ हो गया है कि अब बहानों से काम नहीं चलेगा और महिला को पूरी सुरक्षा दी जाएगी।
कोर्ट की कड़ी टिप्पणी
सुनवाई के दौरान कोर्ट ने दस्तावेज भी देखे जिसमें साफ पता चला कि वरुण ने पत्नी को धोखा दिया और ऑस्ट्रेलिया में दूसरी शादी कर ली। बैंक स्टेटमेंट से यह भी सामने आया कि वरुण को अच्छी खासी रकम मिल रही थी, लेकिन फिर भी उसने पत्नी को एक पैसा नहीं भेजा। कोर्ट ने इस बात को गैर-जिम्मेदार और गलत बताया। कोर्ट ने कहा कि यह हर तरह से गलत है और कानून इसे सहन नहीं करेगा।
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ससुर की दलील नाकाम
मोहन गोपाल ने कोर्ट में कहा कि वह बेटे की हरकतों के लिए जिम्मेदार नहीं हैं। उन्होंने खुद को दोषमुक्त बताने की कोशिश की। लेकिन कोर्ट ने कहा कि जब बेटा बहू को छोड़कर चला गया और घरवाले चुप रहे, तो ये चुप्पी भी गुनाह के बराबर है। एक पिता और घर के बुजुर्ग होने के नाते मोहन गोपाल को बहू की मदद करनी ही होगी। कोर्ट ने उनकी बातों को खारिज कर दिया और उन्हें जिम्मेदार ठहराया।
फैसले का समाज पर असर
यह फैसला अब बाकी समाज के लिए एक मजबूत उदाहरण बन गया है। इससे साफ हो गया है कि शादी सिर्फ दो लोगों के बीच का रिश्ता नहीं है, बल्कि दो परिवारों की भी जिम्मेदारी होती है। अगर कोई बेटा पत्नी को छोड़ देता है, तो उसका परिवार भी जिम्मेदारी से नहीं भाग सकता। ये फैसला खास तौर पर उन महिलाओं के लिए उम्मीद की किरण है जो बिना कसूर अकेली रह जाती हैं।
न्याय प्रणाली का मजबूत संदेश
सुप्रीम कोर्ट के इस आदेश से एक बात और साफ होती है – भारत की न्याय प्रणाली अब और सख्त और साफ नजरिए से फैसले ले रही है। ये फैसला सिर्फ बहू के हक की बात नहीं करता, ये आने वाले कई मामलों को दिशा देगा। कोर्ट ने दिखाया कि अब महिलाओं के अधिकार को हल्के में लेने का वक्त खत्म हो चुका है। अब कानून सिर्फ कागज़ी बात नहीं, असली ज़िंदगी की सुरक्षा बन चुका है।
आने वाले समय के लिए प्रेरणा
इस फैसले ने यह तय कर दिया है कि आने वाले दिनों में कोर्ट ऐसे ही साहसिक फैसले लेने से पीछे नहीं हटेगा। जो लोग शादी के नाम पर किसी महिला के साथ धोखा करते हैं और फिर जिम्मेदारी से भाग जाते हैं, उन्हें अब सजा मिलेगी। सुप्रीम कोर्ट का ये फैसला एक नई शुरुआत है – जहां कानून महिलाओं के साथ पूरी तरह खड़ा है, चाहे आरोपी देश में हो या विदेश में।
Disclaimer
यह लेख सिर्फ जानकारी के उद्देश्य से लिखा गया है और इसे किसी भी प्रकार की कानूनी सलाह के रूप में न लिया जाए। फैसले से जुड़ी और सटीक जानकारी के लिए संबंधित सरकारी दस्तावेज या सुप्रीम कोर्ट की वेबसाइट देखें। किसी भी मामले में निर्णय लेने से पहले किसी योग्य वकील से सलाह लेना ज़रूरी है। लेखक लेख की सटीकता या परिणाम के लिए उत्तरदायी नहीं है।