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Supreme Court Decision: अब रजिस्ट्री के बाद भी नहीं मिलेंगे प्रॉपर्टी के मालिकाना हक, जानिए सुप्रीम कोर्ट का बड़ा फैसला

Supreme Court Decision: घर खरीदना हर इंसान का सपना होता है। लोग सालों की कमाई बचाकर प्रॉपर्टी लेते हैं और जैसे ही रजिस्ट्री होती है, लगता है अब सब अपना हो गया। लेकिन अब सुप्रीम कोर्ट के एक अहम फैसले ने लोगों की सोच को झकझोर दिया है। कोर्ट ने कहा है कि सिर्फ रजिस्ट्री हो जाने से कोई मालिक नहीं बन जाता। प्रॉपर्टी का असली मालिकाना हक तभी मिलेगा जब कानूनी प्रक्रियाएं पूरी तरह से पूरी हों। ये फैसला आने के बाद लाखों लोगों के मन में सवाल उठने लगे हैं।

क्या कहा है सुप्रीम कोर्ट ने अबकी बार

सुप्रीम कोर्ट का ये फैसला एक ऐसे मामले से जुड़ा है, जहां किसी ने प्रॉपर्टी खरीद ली, उसकी रजिस्ट्री भी करवा ली, लेकिन बाद में असली मालिक ने दावा कर दिया कि उसने अपनी मर्जी से नहीं बेचा। कोर्ट ने साफ कहा कि सिर्फ रजिस्ट्री हो जाने का मतलब ये नहीं कि आप असली मालिक बन गए। ट्रांसफर की पूरी प्रक्रिया, दस्तावेजों की वैधता और मर्जी से सौदा हुआ है या नहीं, ये सब देखना जरूरी है।

इसका मतलब ये है कि अगर प्रॉपर्टी लेने वाला या बेचने वाला किसी तरह की गड़बड़ी करता है, या सौदे में फर्जीवाड़ा होता है, तो सिर्फ रजिस्ट्री से मामला खत्म नहीं होता। कोर्ट का ये भी कहना है कि असली मालिकाना हक तभी मिलेगा जब ट्रांसफर ऑफ प्रॉपर्टी एक्ट के तहत सारी शर्तें सही तरीके से पूरी हुई हों।

इस फैसले का असर आम लोगों पर कैसा पड़ेगा

इस फैसले के बाद अब जो लोग सोचते हैं कि रजिस्ट्री के साथ ही सबकुछ खत्म हो गया, उन्हें अब सतर्क रहने की जरूरत है। खासकर उन लोगों के लिए जो बिचौलियों के जरिए या बिना जांच किए प्रॉपर्टी खरीद लेते हैं। अब उन्हें हर डॉक्यूमेंट, हर पेपर और सौदे की पूरी प्रक्रिया को कानूनी तरीके से पूरा करना होगा।

ग्रामीण इलाकों में और छोटे शहरों में अक्सर लोग बिना रजिस्ट्री की गई जमीन या कागजों के आधार पर जमीन खरीदते-बेचते हैं। अब उन्हें समझना होगा कि सिर्फ रजिस्ट्री नहीं, बल्कि वैध प्रक्रिया और कानूनी मर्जी भी ज़रूरी है। वकील की सलाह और रजिस्ट्री ऑफिस की पुष्टि के बिना अब कोई भी सौदा करना खतरनाक हो सकता है।

लोगों को अब क्या सावधानी रखनी चाहिए

अगर आप प्रॉपर्टी खरीदने जा रहे हैं तो सबसे पहले इस बात का ध्यान रखें कि मालिक ने अपनी मर्जी से बेचा है या नहीं। सेल एग्रीमेंट, रजिस्ट्री डॉक्यूमेंट, और पुराने मालिक के सभी वैध कागजात चेक करना बहुत जरूरी है। साथ ही, सिर्फ रजिस्ट्री करवा लेने से संतुष्ट न हो जाएं। कोर्ट अब इस बात को देखेगा कि सौदा सही तरीके से हुआ या नहीं। अगर सौदे में दबाव, धोखा या दस्तावेजों की कमी पाई गई तो मामला पलट सकता है। इसलिए हर सौदे से पहले और बाद में वकील की सलाह ज़रूर लें।

अब खरीददारों की ज़िम्मेदारी और बढ़ गई है

इस फैसले ने खरीददारों को भी अलर्ट कर दिया है। पहले लोग मान लेते थे कि रजिस्ट्री हो गई मतलब काम खत्म। लेकिन अब उन्हें सौदा करते समय हर स्टेप पर ध्यान देना होगा। सेलर की मंशा, दस्तावेजों की सच्चाई और ट्रांसफर की प्रक्रिया सबको जांचना होगा।

अगर कहीं भी फर्जीवाड़ा निकलता है या ट्रांसफर ठीक से नहीं हुआ तो कोर्ट में आपका रजिस्ट्री पेपर भी कमजोर पड़ सकता है। इसलिए यह फैसला न केवल कानून का बल्कि हर खरीददार का आईना है – जो दिखा रहा है कि सतर्कता से ही आप असली मालिक बन सकते हैं।

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