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पत्नी के गहनों और पैसों पर पति का हक़ है या नहीं, Supreme Court ने बता दिया साफ़

Supreme Court: पत्नी के गहने, पैसे और संपत्ति को लेकर अक्सर लोगों के मन में सवाल रहते हैं। शादी के बाद पति-पत्नी की ज़िंदगी भले एक हो जाती है, लेकिन क्या पैसों और गहनों पर भी दोनों का बराबर हक़ होता है? बहुत बार परिवारों में ऐसे झगड़े सामने आते हैं जहां सवाल उठता है कि पत्नी के मायके से आए गहने और पैसे पर पति का अधिकार है या नहीं। अब इस पर सुप्रीम कोर्ट ने एक अहम फैसला सुनाया है, जो हर घर के लिए समझना ज़रूरी है।

क्या कहा सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में

सुप्रीम कोर्ट ने अपने हालिया फैसले में साफ-साफ कहा है कि पत्नी के पास जो गहने, नकदी या संपत्ति मायके से आई है या उसे तोहफे में मिली है, वो उसकी निजी संपत्ति मानी जाएगी। इसका मतलब यह है कि उस पर पति या ससुराल पक्ष का कोई अधिकार नहीं बनता। चाहे वो गहने हों या नकद पैसा, अगर वो पत्नी को शादी या मायके से उपहार में मिला है, तो उस पर उसका पूरा हक़ रहेगा।

कोर्ट ने यह भी कहा कि अगर किसी वजह से ये चीजें ससुराल में ही रह गई हों और पत्नी को वो वापस नहीं दी जातीं, तो इसे दहेज कानून के तहत अपराध माना जाएगा। यानी अगर पत्नी अपने गहने या पैसा मांगती है और उसे नहीं लौटाया जाता, तो पति या ससुराल पक्ष के खिलाफ कानूनी कार्रवाई हो सकती है।

पति का हक़ कहां तक है

अब बात करते हैं उस हिस्से की जहां पति का अधिकार बनता है। पति और पत्नी की कमाई अगर साझा खाते में आती है या दोनों ने मिलकर कोई संपत्ति ली है, तो उस पर दोनों का बराबर का हक होता है। लेकिन यदि पत्नी ने अपने नाम से मायके या खुद की कमाई से कुछ खरीदा है, तो उस पर केवल उसी का अधिकार माना जाएगा।

पति सिर्फ इस वजह से उस धन या गहनों पर अधिकार नहीं जता सकता कि वह उसकी पत्नी है। कोर्ट का यह फैसला बहुत साफ और सीधे शब्दों में ये बात कहता है कि महिलाओं की संपत्ति उनकी अपनी होती है, चाहे वह शादी से पहले की हो या बाद में मिली हो।

इस फैसले से महिलाओं को क्या मिला

इस फैसले के बाद लाखों महिलाओं को एक तरह से मानसिक राहत मिली है। बहुत सारी महिलाएं शादी के बाद अपने गहनों को ससुराल में छोड़ देती हैं या पति के भरोसे पर बैंक लॉकर में रखवाती हैं। बाद में अगर रिश्तों में दरार आ जाती है तो यही चीज़ें विवाद का कारण बनती हैं।

अब सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले से ये तय हो गया है कि पत्नी अपने गहनों और पैसों की मालिक है और अगर कोई उसे जबरदस्ती रोकता है तो वह कानून की मदद ले सकती है। इससे महिलाओं को आत्मविश्वास मिलेगा और वो अपनी मेहनत या मायके से मिले अधिकारों को सुरक्षित समझेंगी।

ससुराल पक्ष की जिम्मेदारी क्या बनती है

कोर्ट ने अपने फैसले में यह भी बताया कि अगर पत्नी की संपत्ति ससुराल में है, तो ससुराल वालों की जिम्मेदारी बनती है कि उसे सुरक्षित रखा जाए और जब भी पत्नी उसे चाहे, उसे लौटा दिया जाए। ऐसा न करना कानून का उल्लंघन है और इसके लिए जेल तक हो सकती है।

यह बात भी अहम है कि अगर शादी टूट भी जाती है तो भी पत्नी की निजी संपत्ति उस तक लौटाई जानी चाहिए। ये सिर्फ नैतिक नहीं बल्कि कानूनी जिम्मेदारी भी है। कोर्ट का कहना है कि किसी भी महिला को उसकी संपत्ति से वंचित करना संविधान और कानून के खिलाफ है।

लोगों के लिए क्या सीख है इस फैसले में

इस फैसले ने लोगों को एक साफ़ संदेश दिया है कि रिश्तों की मर्यादा में कानून का पालन सबसे ज़रूरी है। आज के समय में जब महिलाएं आर्थिक रूप से भी मजबूत हो रही हैं, उनके अधिकारों को लेकर पारदर्शिता और संवेदनशीलता दोनों जरूरी हैं।

जो लोग अब तक इस सोच में थे कि शादी के बाद पत्नी की चीज़ें घर की संपत्ति बन जाती हैं, उन्हें ये फैसला ज़रूर पढ़ना चाहिए। इससे न केवल महिलाओं का सम्मान बढ़ेगा, बल्कि परिवारों में आपसी विश्वास भी मजबूत होगा।

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