tamilnadu ev evolution

तमिलनाडु बनेगा ईवी इनोवेशन का हब, सरकार ने पेश किया बड़ा रोडमैप, देशभर में बनेगी मिसाल : tamilnadu ev evolution

tamilnadu ev evolution : जब देशभर में इलेक्ट्रिक वाहनों (EV) को लेकर जागरूकता बढ़ रही है, उस वक्त तमिलनाडु ने एक ऐसा कदम उठाया है जो आने वाले वक्त में पूरे भारत को प्रभावित करेगा। राज्य सरकार ने हाल ही में ईवी सेक्टर में नवाचार और निवेश को बढ़ावा देने के लिए एक बेहद महत्वाकांक्षी रोडमैप जारी किया है। यह योजना सिर्फ कागज़ी घोषणा नहीं है, बल्कि ज़मीनी स्तर पर निवेश, रोज़गार और टेक्नोलॉजी के लिए तैयार की गई एक ठोस नीति है।

इस योजना के तहत तमिलनाडु न केवल भारत में बल्कि एशिया में भी ईवी उत्पादन और नवाचार का केंद्र बनने की तैयारी कर रहा है। सरकार का दावा है कि इससे ना सिर्फ राज्य की अर्थव्यवस्था को बूस्ट मिलेगा बल्कि लाखों लोगों को रोज़गार भी मिलेगा।

सरकार ने क्यों चुना ईवी सेक्टर को भविष्य का रास्ता

तमिलनाडु सरकार का मानना है कि पर्यावरण संकट, पेट्रोल-डीजल पर निर्भरता और वैश्विक टेक्नोलॉजी ट्रेंड को देखते हुए ईवी सेक्टर ही भविष्य है। यही वजह है कि राज्य सरकार ने पहले से ही इस दिशा में कई निवेशकों को आकर्षित करना शुरू कर दिया था।

अब नए रोडमैप के तहत राज्य में ईवी मैन्युफैक्चरिंग, रिसर्च और चार्जिंग इंफ्रास्ट्रक्चर को तेजी से बढ़ावा दिया जाएगा। सरकार की योजना है कि अगले कुछ वर्षों में तमिलनाडु को देश का सबसे बड़ा ईवी हब बनाया जाए, जहां दोपहिया, तिपहिया, चारपहिया और बसों का निर्माण बड़े स्तर पर हो।

नीति के अहम पहलू और लक्ष्य

तमिलनाडु के नए ईवी रोडमैप में साफ तौर पर लिखा गया है कि अगले पांच सालों में राज्य में 50,000 करोड़ रुपये से ज़्यादा का निवेश लाया जाएगा। इससे लगभग 1.5 लाख से अधिक नए रोज़गार के अवसर पैदा होंगे।

राज्य सरकार निवेशकों को सब्सिडी, टैक्स छूट, और जमीन की उपलब्धता जैसी सुविधाएं दे रही है। साथ ही, रिसर्च और इनोवेशन को बढ़ावा देने के लिए IIT मद्रास जैसे संस्थानों के साथ मिलकर काम किया जा रहा है। सरकार का उद्देश्य सिर्फ मैन्युफैक्चरिंग नहीं, बल्कि ईवी टेक्नोलॉजी के रिसर्च और डिजाइन में भी राज्य को अग्रणी बनाना है।

चार्जिंग इंफ्रास्ट्रक्चर पर विशेष ध्यान

ईवी गाड़ियों को अपनाने में सबसे बड़ी रुकावट चार्जिंग स्टेशन की कमी होती है। तमिलनाडु सरकार ने इस पहलू को गंभीरता से लेते हुए एक व्यापक योजना बनाई है।

इस योजना के तहत आने वाले दो वर्षों में राज्यभर में 10,000 से अधिक चार्जिंग स्टेशन लगाए जाएंगे। इनमें फास्ट चार्जिंग सुविधा भी उपलब्ध कराई जाएगी ताकि लोग लंबी दूरी की यात्रा के लिए भी ईवी को प्राथमिकता दें। प्राइवेट कंपनियों और सरकारी एजेंसियों के सहयोग से चार्जिंग स्टेशन बनाने का कार्य शुरू हो चुका है। इससे ग्राहकों का भरोसा बढ़ेगा और ईवी को अपनाने की गति भी तेज़ होगी।

निवेशकों और कंपनियों की बढ़ती दिलचस्पी

तमिलनाडु सरकार की इस नीति के बाद टाटा मोटर्स, ओला इलेक्ट्रिक, सन मोबिलिटी, एम्पीयर, ह्यundai, जैसी बड़ी कंपनियां निवेश की दिशा में आगे बढ़ चुकी हैं। कई कंपनियों ने अपने ईवी मैन्युफैक्चरिंग यूनिट्स की स्थापना शुरू कर दी है, जो न सिर्फ भारत बल्कि एक्सपोर्ट के लिए भी उत्पादन करेंगे।

राज्य सरकार ने निवेशकों को ‘Single Window Clearance’ की सुविधा दी है, जिससे परियोजनाओं को मंजूरी जल्दी मिल रही है। इससे कंपनियों को विश्वास मिला है कि तमिलनाडु में निवेश सुरक्षित और लाभदायक रहेगा।

जनता और पर्यावरण दोनों को होगा फायदा

ईवी नीति का सबसे बड़ा फायदा राज्य की आम जनता और पर्यावरण को होगा। प्रदूषण घटेगा, सस्ता परिवहन मिलेगा और राज्य की आर्थिक स्थिति भी मजबूत होगी। सरकार का लक्ष्य है कि आने वाले वर्षों में राज्य की सड़कों पर 30% वाहन इलेक्ट्रिक हों। इससे पेट्रोल-डीजल की खपत घटेगी और देश की विदेशी मुद्रा की बचत भी होगी। साथ ही, राज्य को एक नई पहचान मिलेगी – “भारत का ईवी इनोवेशन हब” के रूप में।

Disclaimer:
यह लेख सार्वजनिक डोमेन में उपलब्ध जानकारी और आधिकारिक रिपोर्ट्स पर आधारित है। निवेश या निर्णय लेने से पहले संबंधित विभाग या विशेषज्ञ की सलाह लें। लेखक किसी भी प्रकार की कानूनी जिम्मेदारी नहीं लेता।

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