Tenant landlord Dispute

क्या 12 साल किराए पर रहने के बाद किराएदार का हो जाएगा मकान, 90 प्रतिशत लोगों को नहीं है सही जानकारी: Tenant landlord Dispute

Tenant landlord Dispute: भारत में अगर कोई व्यक्ति किसी को अपना मकान किराए पर देता है, तो इसके लिए कुछ पक्के नियम और कानून बनाए गए हैं। बहुत से लोग सोचते हैं कि अगर कोई किराएदार सालों-साल किसी मकान में रह ले, तो वो उसका मालिक बन सकता है। खासकर 12 साल का आंकड़ा इस बारे में बहुत बार सुनने को मिलता है, लेकिन सच्चाई इससे थोड़ी अलग और कानूनी नजरिए से काफी जटिल है। देश की आम जनता में से करीब 90% लोगों को इस कानून की पूरी और सही जानकारी नहीं होती, जिसकी वजह से बाद में कई बार बड़ा विवाद खड़ा हो जाता है।

भारत में संपत्ति को किराए पर देने के लिए मकान मालिक और किराएदार दोनों के बीच एक सही तरीके से समझौता होना बहुत जरूरी होता है। बिना सही कागजात और लिखित समझौते के कई बार झगड़े होते हैं और फिर मामला कोर्ट-कचहरी तक पहुंच जाता है। इसलिए प्रॉपर्टी देने से पहले नियमों की पूरी जानकारी होना जरूरी है।

मकान किराए पर देने के जरूरी नियम

जब कोई मकान मालिक अपनी प्रॉपर्टी किराए पर देता है तो सबसे पहले एक लिखित किराया समझौता किया जाना चाहिए। इस एग्रीमेंट में यह साफ-साफ लिखा जाना चाहिए कि किराया कितना होगा, कब और किस तरीके से दिया जाएगा, मकान में कितने समय तक रहा जा सकता है और मरम्मत की जिम्मेदारी किसकी होगी। यह किरायेदारी समझौता किराएदार को यह अधिकार देता है कि वह तय समय के लिए उस मकान में रह सकता है, लेकिन इसका यह मतलब नहीं होता कि वह उस प्रॉपर्टी का मालिक बन जाएगा। मकान मालिक अगर किराया समय पर ले रहा है और एग्रीमेंट को समय-समय पर रिन्यू करता है, तो किसी भी स्थिति में किराएदार को मालिकाना हक नहीं मिल सकता।

12 साल बाद क्या मालिक बन सकता है किराएदार?

अब बात करते हैं उस धारणा की जो लोगों के बीच बहुत फैली हुई है। कुछ लोग कहते हैं कि अगर कोई व्यक्ति 12 साल तक किसी मकान में रह जाए तो वह उसका मालिक बन जाता है। लेकिन यह आधा सच है। भारतीय कानून में “Adverse Possession” यानी ‘विपरीत कब्जा’ नाम की एक व्यवस्था है, जो कुछ खास परिस्थितियों में लागू होती है। इसका मतलब यह है कि अगर कोई व्यक्ति किसी जमीन या मकान पर लगातार और बिना किसी अनुमति के 12 साल तक कब्जा बनाए रखता है और असली मालिक उस दौरान कोई आपत्ति या कानूनी कार्रवाई नहीं करता, तो वह व्यक्ति कोर्ट के जरिए उस संपत्ति का मालिकाना हक मांग सकता है।

लेकिन ध्यान रहे, यह नियम तभी लागू होता है जब वह कब्जा बिना अनुमति के, साफ तौर पर, लगातार और सार्वजनिक रूप से बना रहा हो। अगर वह व्यक्ति पहले से ही एक किरायेदार है और मकान मालिक को इसकी जानकारी है, तो यह Adverse Possession का केस नहीं माना जाएगा। यानी किराए पर रहना और अवैध कब्जा पूरी तरह अलग बातें हैं।

विपरीत कब्जे का कानून क्या कहता है

Adverse Possession के मामले में कब्जा करने वाले को यह साबित करना होता है कि वह पिछले 12 सालों से बिना किसी रुकावट के उस संपत्ति पर काबिज है और मालिक ने इसे रोकने की कोई कोशिश नहीं की। यह समय सीमा कुछ राज्यों में 30 साल तक भी हो सकती है। लेकिन यह तभी माना जाएगा जब मकान मालिक ने अपनी संपत्ति पर कोई कानूनी दावा या ऐतराज ना जताया हो। इसलिए मकान मालिकों को समय-समय पर अपनी संपत्ति की स्थिति जांचते रहना चाहिए और अगर कोई अनधिकृत रूप से कब्जा कर रहा है तो तुरंत कार्रवाई करनी चाहिए।

किराए के विवाद और उसका हल

अगर मकान मालिक और किराएदार के बीच किसी बात को लेकर विवाद हो जाता है तो उसे कोर्ट में सुलझाया जा सकता है। भारत के कई राज्यों में रेंट कंट्रोल एक्ट लागू है, जो इन दोनों पक्षों के अधिकारों और कर्तव्यों को तय करता है। इस कानून के तहत मकान मालिक किराया बढ़ाने, किराएदार को निकालने या मरम्मत की जिम्मेदारी जैसी चीजों पर कदम तभी उठा सकता है जब वह कानून के दायरे में हो। वहीं किराएदार को भी यह सुनिश्चित करना होता है कि वह तय नियमों के अनुसार ही उस मकान का उपयोग करे।

मकान मालिक क्या करें ताकि कब्जा ना हो

मकान मालिक को सबसे पहले किराए पर देने से पहले एक पक्का किराया एग्रीमेंट बनवाना चाहिए। इसमें सभी शर्तें लिखनी चाहिए और दोनों पक्षों के हस्ताक्षर होने चाहिए। इसके अलावा, समय-समय पर इस एग्रीमेंट को रिन्यू करते रहना चाहिए और किराए की रसीद बनवानी चाहिए। इससे कोई भी भविष्य में झूठा दावा नहीं कर सकेगा कि वह मकान पर मालिकाना हक रखता है।

इसलिए अगर आप मकान मालिक हैं या कोई प्रॉपर्टी किराए पर देना चाहते हैं तो इन कानूनी बातों को नजरअंदाज ना करें। समझदारी से काम लें, कागज पूरे रखें और वक्त-वक्त पर अपनी संपत्ति की जांच करते रहें। किराए पर देना आसान है लेकिन कानून की जानकारी के बिना मुश्किल भी बन सकता है।

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