UP Property Rates: अगर आप उत्तर प्रदेश में जमीन या प्लॉट खरीदने का प्लान बना रहे हैं, तो ज़रा रुककर इस खबर को जरूर पढ़िए। सरकार ने हाल ही में राज्य के 42 जिलों में सर्किल रेट यानी न्यूनतम भूमि मूल्य में बड़ा बदलाव किया है। ये रेट वही हैं जिनके आधार पर जमीन की सरकारी वैल्यू तय होती है और इसी के हिसाब से स्टांप ड्यूटी और रजिस्ट्रेशन फीस देनी होती है।
नए सर्किल रेट लागू होने से अब किसी भी ज़िले में जमीन या फ्लैट खरीदना पहले से ज़्यादा महंगा हो गया है। रेट में 10% से लेकर 30% तक की बढ़ोतरी की गई है, जिससे सीधा असर आम आदमी की जेब पर पड़ना तय है। आइए जानते हैं किन जिलों में बढ़े हैं दाम, किस इलाके में सबसे ज़्यादा असर पड़ेगा, और इस बदलाव से आम जनता व बिल्डरों पर क्या असर पड़ेगा।
सरकार ने क्यों उठाया यह कदम
उत्तर प्रदेश सरकार का कहना है कि सर्किल रेट्स में बदलाव लंबे समय से लंबित थे। बहुत से जिलों में पिछले चार–पांच सालों से किसी तरह का संशोधन नहीं हुआ था, जबकि बाजार भाव लगातार बढ़ते जा रहे थे। ऐसे में जमीन का सरकारी रेट और बाजार रेट में बहुत बड़ा अंतर बनता जा रहा था।
राजस्व बढ़ाने के उद्देश्य से सरकार ने अब सर्किल रेट्स को बाजार भाव के ज्यादा करीब लाने का प्रयास किया है। इससे एक ओर सरकार को स्टांप ड्यूटी और रजिस्ट्रेशन फीस के रूप में ज्यादा कमाई होगी, वहीं दूसरी ओर रियल एस्टेट ट्रांजैक्शन भी ज्यादा पारदर्शी बनेंगे।
कौन-कौन से जिले आए बदलाव की चपेट में
इस बार जिन 42 जिलों में सर्किल रेट बढ़ाए गए हैं, उनमें लखनऊ, वाराणसी, प्रयागराज, नोएडा, गाजियाबाद, कानपुर, मेरठ, आगरा, गोरखपुर, बरेली जैसे बड़े और व्यस्त शहर शामिल हैं। खासतौर पर उन इलाकों में ज्यादा बढ़ोतरी की गई है जहां हाल ही में इन्फ्रास्ट्रक्चर डेवलपमेंट, मेट्रो, रिंग रोड या एक्सप्रेसवे का निर्माण हुआ है।
लखनऊ के गोमती नगर, कानपुर के स्वरूप नगर, वाराणसी के सिगरा जैसे इलाकों में तो सर्किल रेट में 20–25% तक की बढ़ोतरी दर्ज की गई है। नोएडा और गाजियाबाद जैसे एनसीआर से सटे जिलों में भी औसतन 15% तक सर्किल रेट बढ़ा है। यह सब दर्शाता है कि सरकार ने खास तौर पर उन जगहों पर फोकस किया है जहां रियल एस्टेट की डिमांड अधिक है।
आम आदमी और निवेशक पर असर
सर्किल रेट बढ़ने का सीधा असर जमीन या मकान खरीदने वालों की जेब पर पड़ेगा। पहले जो फ्लैट 50 लाख में मिल रहा था, अब उसके रजिस्ट्रेशन के लिए अतिरिक्त 1.5 से 2 लाख रुपये तक अधिक स्टांप ड्यूटी चुकानी पड़ सकती है।
यह बोझ मध्यम वर्ग के उन खरीदारों पर ज्यादा पड़ेगा जो पहले से ही EMI और महंगाई से जूझ रहे हैं। वहीं दूसरी ओर जो लोग निवेश के उद्देश्य से जमीन खरीदते हैं, उनके लिए यह अवसर बन सकता है क्योंकि सर्किल रेट का बढ़ना यह भी दर्शाता है कि आने वाले समय में बाजार रेट और बढ़ सकते हैं। इस बदलाव का फायदा केवल उन्हीं को होगा जो लॉन्ग टर्म के नजरिए से प्रॉपर्टी में पैसा लगाते हैं।
रियल एस्टेट बाजार की प्रतिक्रिया
सर्किल रेट बढ़ने से रियल एस्टेट डेवलपर्स के बीच मिली-जुली प्रतिक्रिया सामने आई है। कुछ बिल्डरों का मानना है कि इससे बाजार में पारदर्शिता आएगी और नकद लेन-देन पर रोक लगेगी, जिससे लॉन्ग टर्म में फायदा होगा।
वहीं दूसरी ओर कुछ छोटे बिल्डर और प्लॉट विक्रेता चिंता में हैं क्योंकि सर्किल रेट बढ़ने से रजिस्ट्रेशन कॉस्ट बढ़ेगी और इससे ग्राहकों की संख्या घट सकती है। इससे खास तौर पर उन इलाकों में असर पड़ेगा जहां पहले से ही इन्वेंटरी ज्यादा है और डिमांड कम। कुल मिलाकर, बाजार थोड़े समय के लिए धीमा जरूर हो सकता है, लेकिन फिर से स्थिर हो जाएगा।