69000 शिक्षक भर्ती

69000 शिक्षक भर्ती: अभ्यर्थियों ने की अधिकारियों पर भी कार्रवाई की मांग, बोले- उन पर भी हो एक्शन

69000 शिक्षक भर्ती: उत्तर प्रदेश की बहुचर्चित 69000 शिक्षक भर्ती में एक के बाद एक खुलासे हो रहे हैं। इस भर्ती में बड़ी संख्या में ऐसे अभ्यर्थियों ने नौकरी पाई, जिन्होंने आवेदन के दौरान गलत दस्तावेज़ों या झूठी जानकारी का सहारा लिया। जैसे ही इन गड़बड़ियों का खुलासा हुआ, प्रशासन ने फर्जी नियुक्तियों पर कार्रवाई शुरू कर दी है। अब आंदोलन कर रहे सच्चे अभ्यर्थियों की मांग है कि इस गड़बड़ी में जो अधिकारी शामिल थे, उनके खिलाफ भी सख्त कार्रवाई होनी चाहिए।

कुशीनगर जिले में कार्रवाई की शुरुआत

 

कुशीनगर जिले से शुरू हुई कार्रवाई ने पूरे प्रदेश में हलचल मचा दी है। यहां 2209 नियुक्तियों में से 20 शिक्षकों को बर्खास्त किया गया है। जांच में पता चला कि इन शिक्षकों ने बीटीसी में फेल होने के बावजूद भी नौकरी हासिल कर ली थी। इसके लिए उन्होंने गलत अंकों की जानकारी या नकली प्रमाणपत्रों का उपयोग किया था। जिला प्रशासन ने बर्खास्तगी का आदेश जारी करते हुए यह भी कहा है कि आगे और भी ऐसे मामलों की जांच की जा रही है।

हमीरपुर में 477 शिक्षकों की जांच शुरू

कुशीनगर के बाद हमीरपुर जिले में भी कार्रवाई की लहर देखने को मिली है। यहां 477 शिक्षकों की भर्ती प्रक्रिया की दोबारा जांच की जा रही है। बेसिक शिक्षा अधिकारी ने सभी शिक्षकों को जरूरी दस्तावेज़ जमा करने का निर्देश दिया है। कई शिक्षकों ने अपनी शैक्षणिक योग्यता और ट्रेनिंग को लेकर ग़लत जानकारी दी थी। अब इन्हें अपने दस्तावेज़ों के साथ यह प्रमाणित करना होगा कि उनकी भर्ती वैध तरीके से हुई थी।

 

गाजीपुर में भी संकट में शिक्षकों की नौकरी

गाजीपुर जिले में तीन ऐसे शिक्षक चिन्हित किए गए हैं जिनकी नियुक्ति पर सवाल उठे हैं। इन अभ्यर्थियों ने बीटीसी प्रशिक्षण अधूरा छोड़ दिया था, बावजूद इसके उन्हें नियुक्ति मिल गई। अब जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी ने इन शिक्षकों से सात दिनों के भीतर जवाब मांगा है, वरना उनकी सेवाएं समाप्त की जा सकती हैं।

अब उठी अधिकारियों पर कार्रवाई की मांग

आरक्षित वर्ग से आने वाले अभ्यर्थियों का नेतृत्व कर रहे अमरेंद्र पटेल ने इस पूरे मामले में सिर्फ फर्जी अभ्यर्थियों को ही नहीं, बल्कि उन्हें नौकरी दिलाने में मदद करने वाले अधिकारियों को भी दोषी बताया है। उन्होंने कहा कि विभाग के कई अधिकारी जानबूझकर ऐसे अभ्यर्थियों की रक्षा कर रहे हैं, जिनकी भर्ती गलत ढंग से हुई थी। पटेल ने सरकार से मांग की है कि भ्रष्टाचार में शामिल अधिकारियों पर भी कार्रवाई की जाए, ताकि भविष्य में ऐसी घटनाओं की पुनरावृत्ति न हो।

कोर्ट के आदेश और दायरे बढ़ने की आशंका

इलाहाबाद हाई कोर्ट ने भी इस मामले में कड़ा रुख अपनाया है। कोर्ट ने साफ कहा है कि जो अभ्यर्थी अंतिम तारीख के बाद अपने दस्तावेज़ अपलोड कर पाए थे, उनकी नियुक्ति वैध नहीं मानी जाएगी। इसका मतलब है कि और भी कई शिक्षकों की नौकरी अब खतरे में है। विभाग को ऐसे अभ्यर्थियों की सूची तैयार करने का निर्देश भी दिया गया है।

अन्य राज्यों में भी फर्जीवाड़े का पर्दाफाश

यह सिर्फ उत्तर प्रदेश तक सीमित मामला नहीं है। मध्य प्रदेश के दमोह जिले में भी 40 ऐसे शिक्षक सामने आए हैं, जिन्होंने फर्जी दस्तावेज़ों के आधार पर शिक्षक की नौकरी पाई थी और पिछले 20 वर्षों से सेवा में थे। अब जब यह खुलासा हुआ, तो जिला कलेक्टर ने इन पर सख्त कार्रवाई के निर्देश दिए हैं और एफआईआर भी दर्ज करवाई गई है।

 

69000 शिक्षक भर्ती में हुई गड़बड़ियों ने यह सवाल खड़ा कर दिया है कि आखिर इस भर्ती प्रक्रिया की निगरानी क्यों नहीं की गई। सरकार और शिक्षा विभाग की बड़ी जिम्मेदारी है कि वे न सिर्फ फर्जी दस्तावेज़ों से नौकरी पाने वालों को बाहर करें, बल्कि उन अधिकारियों पर भी कड़ी कार्रवाई करें जिन्होंने इन अभ्यर्थियों को नियुक्ति दिलवाई। पारदर्शिता, ईमानदारी और योग्यता के आधार पर ही किसी भी भर्ती प्रक्रिया को आगे बढ़ाना जरूरी है, ताकि भविष्य में कोई प्रतिभाशाली अभ्यर्थी न्याय से वंचित न रह जाए।

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