MG Astor: MG Astor जब पहली बार इंडिया में आई थी, तब लगा था कि मार्केट में तहलका मचा देगी। लुक शानदार था, फीचर्स जबरदस्त थे और कंपनी ने ADAS जैसी टेक्नोलॉजी देकर इसे सबसे एडवांस SUV बना दिया था। लेकिन वक्त बीतने के साथ इसका ग्राफ धीरे-धीरे नीचे आता गया। आज हालात ऐसे हैं कि लोग शोरूम जाकर दूसरी SUV चुन रहे हैं और Astor वहीं किनारे पड़ी रह जाती है। आखिर ऐसा क्या हुआ कि एक दमदार शुरुआत के बाद भी MG Astor इंडियन कस्टमर्स के दिल में जगह नहीं बना पाई?
फीचर्स बहुत हैं, पर भरोसा नहीं बन पाया
MG Astor में फीचर्स की कोई कमी नहीं है। ADAS, डिजिटल असिस्टेंट, बड़ा टचस्क्रीन, कनेक्टेड कार टेक्नोलॉजी – सब कुछ है। लेकिन दिक्कत ये है कि आम ग्राहक इन फीचर्स से ज़्यादा भरोसे को अहमियत देता है। इंडिया में कार खरीदना सिर्फ टेक्नोलॉजी से नहीं होता, वहाँ सर्विस, पार्ट्स की उपलब्धता और रीसेल वैल्यू भी उतनी ही मायने रखती है।
कई लोगों ने सोशल मीडिया पर लिखा है कि उन्हें MG की सर्विस उतनी सहज नहीं लगी, जितनी मारुति या ह्युंडई जैसी कंपनियों की होती है। छोटे शहरों में MG के सर्विस सेंटर कम हैं और स्पेयर पार्ट्स भी जल्दी नहीं मिलते। इससे ग्राहक थोड़े झिझकते हैं और वहीं से बिक्री धीमी हो जाती है।
कीमत और मुकाबले की टक्कर ने बिगाड़ी बात
MG Astor की कीमत की बात करें तो वह सीधी टक्कर देती है हुंडई क्रेटा, किआ सेल्टोस और मारुति ग्रैंड विटारा जैसी पॉपुलर गाड़ियों से। अब इन ब्रांड्स ने सालों से इंडियन मार्केट में भरोसे का एक स्तर बना रखा है। ऐसे में एक नई ब्रांड को उसी दाम पर खड़ा करना और फिर उम्मीद करना कि लोग लाइन लगा लेंगे, थोड़ा मुश्किल था।

ग्राहक सोचता है कि जब उसे उसी दाम में ज्यादा बड़ा नेटवर्क, भरोसेमंद ब्रांड और फुल प्रूफ कार मिल रही है, तो वह क्यों रिस्क ले MG के साथ? यही सोच कई बार Astor की बिक्री को नुकसान पहुंचा रही है। ऊपर से सेल्टोस और क्रेटा बार-बार फेसलिफ्ट और नए वर्जन ला रहे हैं, जबकि Astor वैसे की वैसी बनी हुई है।
ब्रांड परसेप्शन अब भी एक बड़ा मुद्दा
MG ब्रांड को इंडिया में अभी भी लोग “चीनी कंपनी” समझते हैं, चाहे वह कितनी भी बार बताएं कि वे ब्रिटिश हेरिटेज से हैं। सोशल मीडिया और न्यूज मीडिया में कई बार MG को लेकर निगेटिव बातें फैली हैं, जिसका असर आम खरीदार पर पड़ता है। लोग रिसर्च करते वक्त जब MG के बारे में उलझन में पड़ते हैं, तो उनका फैसला बदल जाता है।
इसके साथ ही ब्रांड ने लोगों से जुड़ाव बनाने के लिए बहुत ज्यादा काम नहीं किया। न तो TVC बहुत यादगार रहे, न ही किसी बड़े लोकल कनेक्शन पर काम किया गया। जब एक ब्रांड लोकल तरीके से बात नहीं करता, तो लोगों को अपनापन नहीं लगता।
डीलरशिप एक्सपीरियंस और ऑफर की कमी
कई लोगों ने बताया है कि MG के शोरूम में एक्सपीरियंस बहुत फॉर्मल होता है। छोटी जगहों पर जहां ग्राहक पहले कार को छूना, चलाना और बार-बार सवाल पूछना चाहता है, वहां यह स्टाइल काम नहीं आता। दूसरी कंपनियां जब लोकल फेस्टिवल या ऑफर से ग्राहकों को खींचती हैं, MG वहां थोड़ी पीछे रह जाती है।
फाइनेंस और EMI ऑप्शन भी काफी सीमित बताए जाते हैं। एक मिडिल क्लास परिवार जब अपनी पहली कार लेने आता है, तो उसे लगता है कि दूसरी कंपनियों के साथ उसे ज्यादा बेहतर पैकेज मिलेगा।
अब MG को क्या करना चाहिए?
अगर MG को Astor को सफल बनाना है तो सबसे पहले उसे ग्राहकों का भरोसा जीतना होगा। ज्यादा सर्विस सेंटर खोलने होंगे, रीसेल पर ध्यान देना होगा और ऑफर को ज़्यादा आकर्षक बनाना होगा। इसके साथ ही लोकल ब्रांडिंग और मार्केटिंग जरूरी है जो छोटे शहरों और कस्बों में सीधा जुड़ाव बना सके।
एक और बात यह है कि ग्राहकों को सिर्फ फीचर्स से इम्प्रेस नहीं किया जा सकता। भारत में कार अब भी एक इमोशनल प्रोडक्ट है, जो परिवार, भरोसे और सेवाओं से जुड़ा होता है। MG को यह समझकर अपना नजरिया बदलना होगा।यह लेख ग्राहकों के फीडबैक, मार्केट रिपोर्ट्स और ऑटोमोबाइल एक्सपर्ट्स की राय पर आधारित है। यहां दी गई जानकारी का मकसद सही जानकारी पहुंचाना है, किसी ब्रांड को नीचा दिखाना नहीं।