India News : तमिलनाडु के तिरुचिरापल्ली जिले से एक दिल दहला देने वाली खबर सामने आई है। रविवार शाम को थुवरनकुरिची थाना क्षेत्र के यागपुरम समथुवापुरम में एक महिला और उसकी 10 साल की बेटी की खदान के गहरे पानी में डूबकर मौत हो गई। इस दर्दनाक हादसे ने पूरे गांव को झकझोर कर रख दिया है।
मृतकों की पहचान 35 वर्षीय आर. उलगयी उर्फ उलगनायकी और उनकी बेटी आर. जयश्री के रूप में हुई है। दोनों घर से निकली थीं लेकिन जब समय पर नहीं लौटीं, तब परिवार और गांव वालों को चिंता हुई। बाद में पता चला कि दोनों की लाश खदान में मिली। हादसे की जानकारी मिलते ही पुलिस मौके पर पहुंची और शवों को बाहर निकाला गया।
कैसे हुआ हादसा, क्या है घटनाक्रम
बताया जा रहा है कि रविवार की शाम करीब 5 बजे के आसपास उलगयी अपनी बेटी जयश्री के साथ घर से बाहर गई थीं। पास में ही एक पुरानी पत्थर की खदान है, जो अब एक गहरे तालाब में बदल चुकी है। यह जगह बच्चों और महिलाओं के लिए पहले भी खतरे की जगह मानी जाती रही है, क्योंकि इसमें न तो कोई सुरक्षा दीवार है और न ही चेतावनी का कोई बोर्ड।
गांववालों का कहना है कि जयश्री शायद खेलने के लिए खदान के किनारे गई थी और पैर फिसलने से पानी में गिर गई। मां उलगयी जब बेटी को बचाने गई, तो वो भी पानी में समा गई। आसपास कोई मौजूद नहीं था, जिससे तुरंत मदद नहीं मिल सकी।
स्थानीय लोगों की भूमिका और पुलिस की कार्रवाई
कुछ देर बाद जब घरवाले दोनों को ढूंढते हुए खदान तक पहुंचे, तो वहां उनकी चप्पलें और कुछ कपड़े नजर आए। इसके बाद शक गहराया और लोगों ने तुरंत पुलिस को सूचना दी। थुवरनकुरिची पुलिस मौके पर पहुंची और स्थानीय गोताखोरों की मदद से शवों को बाहर निकाला गया।
शवों को पोस्टमार्टम के लिए सरकारी अस्पताल भेजा गया है और पुलिस ने अकस्मात मौत का केस दर्ज कर लिया है। इस घटना के बाद से पुलिस ने क्षेत्र में सतर्कता बढ़ा दी है और खदानों की सुरक्षा जांच का भी आदेश दिया गया है।
गांव में मातम और प्रशासन की चुप्पी
इस हादसे के बाद पूरे यागपुरम गांव में मातम पसरा हुआ है। उलगयी और जयश्री के घर पर सैकड़ों लोग सांत्वना देने पहुंचे। गांव की महिलाओं ने रो-रोकर बुरा हाल कर लिया है, और लोग प्रशासन पर भी नाराजगी जता रहे हैं।
स्थानीय लोगों का कहना है कि यह कोई पहली घटना नहीं है, इससे पहले भी इसी खदान में दो बच्चे डूब चुके हैं। लेकिन प्रशासन की ओर से अब तक कोई सुरक्षा उपाय नहीं किया गया है। न कोई बाड़, न चेतावनी बोर्ड और न ही किसी प्रकार की निगरानी – ऐसे में गांव वाले इसे सरकारी लापरवाही मान रहे हैं।
बच्चों की सुरक्षा को लेकर बढ़ी चिंता
इस घटना ने एक बार फिर बच्चों की सुरक्षा को लेकर सवाल खड़े कर दिए हैं। ग्रामीण इलाकों में ऐसी खाली खदानें जो अब गड्ढों में तब्दील हो चुकी हैं, वो बच्चों के लिए जानलेवा साबित हो रही हैं।
सरकार और प्रशासन को चाहिए कि ऐसी जगहों की पहचान करके वहां उचित इंतजाम किए जाएं – जैसे कि बाड़ लगाई जाए, चेतावनी बोर्ड लगाए जाएं और स्थानीय स्तर पर गश्त बढ़ाई जाए। हादसा होने के बाद जागना न तो बच्चों की जान वापस ला सकता है और न ही माता-पिता के आंसू रोक सकता है।